नहीं रहेगा पीठ का दर्द

-अलसी के बीज से तेल, रेशे से बनता है कपड़ा

-आयुर्वेद में रोगनाशक पौधे के रुप में होता इसका उपयोग

क्या आप एेसे पौधे के बारे जानते हैं, जिसका प्रयोग खाने के लिए तो किया ही जाता है। साथ में इस पौधे से निकलने वाले रेशे से कपड़े का निर्माण होता है। इतना ही नहीं इस के बीज से निकलने वाले तेल का रंग, वार्निश, साबुन, पेंट बनाने में प्रयोग किया जाता है। बीज का तेल निकालने के बाद बचे पदार्थ को गाय व भैंसों के भोजन के रुप में प्रयुक्त किया जाता है। इस पौधे का नाम है अलसी। जिसे तीसी भी कहा जाता है। इतने गुणों को अपने आप में समेटे अलसी के पौधे को आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में भी प्रयुक्त किया जाता है। अलसी के सेवन पीठ दर्द से आसानी से निजात हासििल की जा सकती है।

अलसी का उप्तपादन सबसे अधिक कहां होता है ?

अलसी का उप्तपादन उन देशों में होता है, जहां पर गर्मी व सर्दी अधिक नहीं होती है। अलसी को रेशेदार फसल के रुप में प्रमुख तौर से जाना जाता है। अलसी का बीज निकालने वाले देशों में भारत, संयुक्त राज्य अमरीका तथा अर्जेनटाइना के नाम उल्लेखनीय हैं। अलसी की लाल, श्वेत तथा धूसर रंग की  तीन उपजातियाँ हैं । इसके पौधे दो या ढाई फीट उंचे होते हैं। जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से ही तेल निकलता है।

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अलसी का कहां-कहां होता है प्रयोग

अलसी एक एेसा पौधा है। जिसका कई ढंग से उपयोग किया जाता है। अलसी के सेवन से कई तरह के रोगों से निजात पाई जा सकती है। वहीं इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट आदि का निर्माण किया जाता है।  इसके बीज से तेल निकाला जाता है। वायु के संपर्क में आने के कुछ समय में यह ठोस अवस्था में बदल जाता है। जब इसे विशेष रासायनिक पदार्थो के साथ उबाला जाता है। तब यह क्रिया बहुत शीघ्र पूरी होती है। इसी कारण अलसी का तेल रंग, वारनिश और छापने की स्याही बनाने के काम आता है। इस पौधे से विशेष प्रकार का रेशा प्राप्त होता है। रेशे से  लिनेन (एक खास प्रकार का कपड़ा) बनाया जाता है। तेल निकालने के बाद बचे हुए पदार्थ को खल कहा जाता है। यह खल गाय और भैंस को भोजन के तौर पर डाला जाता है। यह इन जानवरों का पंसदीदा भोजन माना गया है।

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अलसी के सेवन से होता है कई रोगों का समाधान

अलसी पौधा बेहद गुणकारी पौधा है। इसके सही ढंग से सेवन करने से कई रोगों का धर बैठे  का निदान किया जा सकता है। अलसी के बीज में आयरन, जिंक, पोटैशियम, फस्फोरस, कैल्शियम, Vitamin C, Vitamin E जैसे तत्व पाए जाते हैं।  आयुर्वेदिक दवाओं में अलसी के गुणों के कारण ही इसका बड़ी तादाद में उपयोग किया जाता है।

अलसी के सेवन से करें पीठ दर्द, सूजन को अलविदा

पीठ दर्द, सूजन जैसी समस्या को अलविदा कहने के लिए अलसी का सेवन बेहद लाभदायक है। अलसी के बीजों में पाए जाने वाला अल्फा-लिनोलेनिक एसिड आर्थराइटिस के अलावा अन्य सभी तरह के जोड़ों के दर्द  में राहत प्रदान करता है।

 

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दिल को रखे स्वस्थ

अलसी में ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड की भारी मात्रा पाई जाती है। इस तत्व की सबसे अधिक मात्रा मछलियों में पाई जाती है। शरीर को स्वस्थ रखने के  कारण ही मछलियों का सेवन अधिक किया जाता है। परंतु शाकाहारी लोग अलसी का सेवन कर शरीर को बेहतर ढंग से स्वस्थ रख सकते हैं। इससे दिल को स्वस्थ भी रखा जा सकता है।

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महिलाओं के हार्मोन्स को बैलेंस करने में सहायक

अलसी का बीज एस्ट्रोजन और Anti-Oxidant गुणों से भरपूर है। जो महिलाओं के हार्मोन्स को बैलेंस करने में बहुत मदद करता है। लंबे समय से गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली माताओं को अलसी के बने लड्डू प्रदान किए जाते हैं। जो महिलाओं के स्वास्थय को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

 

बीपी नियंत्रित करे अलसी

अलसी के बीज ब्लड प्रेशर (बीपी) को कंट्रोल करने, हाइपरटेंशन के रोगियों के लिए, ब्लड शुगर कंट्रोल में करने में मदद करता है। अलसी के बीज में  विटामिन B कांप्लेक्स, मैगनिशियम की भरपूर मात्रा है, जो कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करत  है।

डेंड्रफ समाप्त करे, बाल टूटने से बचाए

अलसी का बीज नाखूनों को मजबूती देने, मजबूत करने, आंखों की ज्योति बरकरार रखने,  बालों को टूटने से रोकने, डेंड्रफ समाप्त करने में मदद करता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण इसका प्रयोग वजन कम करने में भी प्रयोग होता है।

अलसी का कैसे करें सेवन

अलसी के बीजों का साबुत सेवन नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि यह पचे बिना ही बाहर निकल जाते हैं। इसका चूर्ण बना तक ही सेवन करना चाहिए। यदि खाली पेट सुबह गर्म पानी के साथ एक चम्मच चूर्ण सेवन किया जाए, तो इसका अधिक लाभ मिलता है। बहुत ज्यादा सेंकने या फ्राई करने से अलसी के गुण नष्ट हो जाते हैं।

प्रदीप शाही

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