दांत, कान दर्द, सर्दी, खांसी, गठिया के उपचार में है यह रामबाण….

-लहसून है आयुर्वेद और रसोई की पहली पसंद
-भारत में विश्व में दूसरे स्थान पर होता है लहसून का उत्पादन
लहसून प्याज की एक एेसी प्रजाति है, जो अपने गुणों के कारण प्राचीन काल से ही आयुर्वेद की औषधी बनाने और रसोई में बनाए जाने वाले व्यंजनों को लजीज बनाने के लिए एक समान प्रयोग होती आ रही है। दांत, कान दर्द, सर्दी, खांसी, गठिया जैसे कई अन्य रोगों के उपचार में है रामबाण माने जाने वाला लहसून का भारत में विश्व में दूसरे स्थान उत्पादन किया जा रहा है। लहसून का विश्व में सबसे अधिक उत्पादन चीन में किया जाता है।


विश्व में सभी जगह होता है इसका उत्पादन
लहसून का उत्पादन सारा साल होता है। मूल रूप से इसका उत्पादन चीन व भारत में अधिक होता। मौजूदा समय इसके गुणों के कारण इसकी खेती विश्व भर में होने लगी है। लहसुन Garlic प्याज की एक प्रजाति है, इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में हरा प्याज भी शामिल हैं। प्राचीन काल से ही लहसुन का रसोई और आयुर्वेदिक दवाओं के बनाने में प्रयोग किया जाता आ रहा है। लहसून में एक खास गंध होती है। इसका स्वाद तीखा होता है। जो पकाने के बाद काफी हद तक बदल कर मीठा हो जाता है। लहसून का जड़ को छोड़ कर सभी हिस्से का प्रयोग किया जाता है। लहसून को कच्चा व पका कर दोनों रुप में खाया जा सकता है।


लहसून में पौषक तत्वों का भरपूर खजाना
लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की मात्रा अधिक होती है। इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन A, B और C, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड पदार्थ पाए जाते हैं। इसके अलावा लहसून में प्रोटीन, वसा, कार्बोज, खनिज पदार्थ, चूना, आयरन, सल्फ्यूरिक एसिड की विशेष मात्रा पाई जाती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है। जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्रोत होता है।

 

लहसून सेवन से मिल सकते हैं यह लाभ
लहसून चाहे प्याज की ही एक प्रजाति है। परंतु लहसून में प्याज की तुलना में अधिक गुण हैं। यदि लहसून का सही ढंग से सेवन किया जाए, तो कई रोगों को आसानी से निवारण किया जा सकता है। आयुर्वेद में लहसुन को पाचक, सारक, रस विपाक, टूटी हड्डी जोड़ने वाला, पित्त व रक्तवर्धक, शरीर में बल, मेधाशक्ति और आंखों के लिए हितकर रसायन माना गया है। इससे पेट के कीड़े भी मर जाते हैं। कोढ़ यानी सफेद कुष्ट रोग को जड़ से मिटा देता है। पेट की गैस की समस्या को समाप्त करता है। लहसून की तासीर गर्म और खुश्क होती है। इसलिए सीमित मात्रा में इसका प्रयोग करना चाहिए।

 

हृद्य संबंधी रोगों में आएगी कमी
अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाए, तो इसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसून की पांच कलियों को खाया जाए। तो हृदय संबंधी रोगों का आसानी से समाधान किया जा सकता है।

फ्लू, नजला से बचाता है
फ्लू से बचने के लिए लहसून की एक कली को दो काली मिर्च के साथ पीसकर रोजाना दो बार सूंघे। ऐसा करने से आपका फ्लू शीघ्र ठीक हो जाता है।

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कमर दर्द से दिलाए निजात
कमर के दर्द रसे निजात पाने के लिए सरसों के तेल में अजवाइन , लहसून और हींग को गर्म करें। तेल के ठंडा होने पर इसकी कमर पर मालिश करें। इससे जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।

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मधुमेह (शूगर) को करे कंट्रोल
मधुमेह के रोगियों को बार-बार मूत्र होने की शिकायत रहती है। इसका मुख्य कारण शरीर में पोटाशियम का कम होना होता है। लहसून के सेवन से पोटाशियम की कमी समाप्त हो जाती है। जो शूगर को कंट्रोल कर देता है।

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खाली पेट लहसून से मिलते हैं लाभ
लहसून में कई एेसे एंटीबायोटिक तत्व मौजूद हैं, जो आपका वजन घटाने और पेट साफ करने में मदद करते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है।

 

सर्दी, खांसी में देता है राहत
लहसून के पांच बूंद रस के साथ रोजाना एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है। साथ ही गले में मौजूद सारी इन्फेक्शन दूर हो जाती है।

 

दांतों के दर्द को करे दूर 
दांत के दर्द को समाप्त करने के लिए लहसून की एक कली को पीसकर यदि दर्द वाले दांत पर लगा दिया जाए तो दर्द कुछ ही समय में समाप्त हो जाता है।

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कान में दर्द से दिलाए राहत
कान में दर्द होने, मैल जम जाने पर सरसों के तेल में या फिर तिल के तेल में लहसून की कलियों को गर्म करें। जब लहसुन जल जाए तो इसे नीचे उतारकर को ठंडा कर लें। रस को छान कर उसकी दो बूंदें कान में डालें। राहत मिलेगी।

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एलर्जी को मिटाने में है गुणकारी
लहसून एंटी वायरल, एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण हैं। इस कारण बंद नाक, छींक आने, आंखों के पानी निकलने व अन्य एलर्जी के लक्ष्णों में इसका सेवन बेहद लाभकारी होता है।

 

प्रदीप शाही

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