झुर्रियां, सफेद बालों को करें टा-टा, करें सेवन…

-शूगर, हाई बीपी रोग से दिलाए निजात

-बिहार में 85 फीसद से अधिक होता है मखाने का उत्पादनप्राचीन काल से धार्मिक अनुष्ठान, पर्वों में, व्यंजनों व दवाओं में प्रयोग किए जाने वाले मखाने (Lotus seed) का एशिया में अधिक सेवन किया जाता है। प्रोटीन, फाइवर, आयरन की भरपूर मात्रा को समेटे मखाना का उत्पादन भारत के अलावा जापान, कोरिया में किया जाता है। पंरतु भारत के मिथिलांचल के मखाने की डिमांड बेहद अधिक है। आय़ुर्वेद में भी मखाने के गुणों के चलते इसका प्रयोग किया जाता है। मखाने का सेवन कर घर बैठे ही कई रोगों से निजात पाई जा सकती है।

भारत के बिहार राज्य में होता सबसे अधिक उत्पादन
बिहार के मिथिलांचल की संस्कृति के मौलिक पक्ष को मजबूत करने में मखाने का मुख्य योगदान है। जायकेदार, पौष्टिक और औषधीय गुणों वाले मखाने का 85 फीसद से अधिक उत्पादन बिहार में होता है। यह देश के कुल उत्पादन का बहुत बड़ा हिस्सा है। बिहार के मिथिलांचल के सहरसा, सुपौल, दरभंगा और मधुबनी जिलों में मखाने का उत्पदान किया जाता है। गौर हो दरभंगा में मखाना पर शोध के लिए अनुसंधान केंद्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भी स्थापित किया गया है। इसमें किसी तरह के उर्वरक का इस्तेमाल नहीं होता। यह अपने लिए जैविक खाद तालाब में खुद ही तैयार कर लेता है। तालाबों में सड़ी-गली फूल पत्ती और वनस्पति से इसके लिए खाद का काम करती है।

क्या है मखाना ? कैसे होता है इसका उत्पादन ?
मखाना पानी की एक घास है। जिसे आमतौर से कुरूपा अखरोट भी कहा जाता है। इसका उत्पादन उथले पानी वाले तालाबों में होता है। इसके बीज सफेद और छोटे होते हैं। महा दिसंबर से जनवरी के बीच मखाना के बीजों की बुआई की जाती है। तालाब के पानी की निचली सतह पर इन बीजों को गिराया जाता है। अधिक पानी वाले गहरे तालाब मखाने की खेती सही ढंग से नहीं होती है। जबकि कम और उथले पाली वाले एक हेक्टेयर तालाब में 80 किलो बीज बोए जाते हैं। अप्रैल माह में इन पौधों में फूल लग जाते हैं। पौधों पर फूल तीन से चार दिनों तक टिके रहते हैं। एक से दो माह के अंतराल में बीज फलों में बदलने लगते हैं। फल माह जून जुलाई में 24 से 48 घंटे तक पानी की सतह पर तैरते हैं ।फिर नीचे बैठने लग जाते है। यह सभी फल कांटेदार होते है। फलों के कांटों को गलने में एक से दो माह का समय लग जाता है। माह सितंबर, अक्टूबर महीने में इन्हें इक्टठा कर इन की प्रोसेसिंग शुरू कर दी जाती है। धूप में बीजों को सुखा कर बीजों के आकार के आधार पर इन की ग्रेडिंग की जाती है। इन फलों को फोड कर फिर उबाला जाता है।

मखाना में है प्रोटीन व अन्य खनिज की भरपूर मात्रा
मखाने का उत्पादन तालाब, झील, दलदली क्षेत्र के शांत पानी में होता है। इसी कारण मखाने में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। माखाने के बीज को भूनकर इसका उपयोग मिठाई, नमकीन, खीर बनाने में किया जाता है। मखाने में आसानी से पचने वाला प्रोटीन 9.7 फीसद, 76 फीसद कार्बोहाईड्रेट, 12.8 फीसद नमी, 0.1 फीसद वसा, 0.5 फीसद खनिज लवण, 0.9 फीसद फास्फोरस व प्रति 100 ग्राम 1.4 मिलीग्राम आयरन पदार्थ मौजूद होते है।

मखाने के सेवन से होते हैं रोग दूर
मखाने में पौषक तत्वों की भरपूर मात्रा है। जो थकावट को समाप्त कर शरीर में उर्जा भर देता है। मखाने का सही ढंग से सेवन कर शरीर को स्वस्थ व निरोग बना सकते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में मखाने का खास तौर से प्रयोग किया जाता है।

 

झुर्रियां, सफेद बालों से दिलाए मुक्ति
आयु बढ़ने के कारण मुंह पर झुर्रियां और सिर पर सफेद बालों का पैदा होना स्वाभाविक होता है। परंतु मखाने के सेवन से इस समस्या का समाधान हो सकता है। मखाने में मौजूद फ्लेवोनोइड्स नामक एंटी आक्सीडेंट त्वचा का पोषण कर मुंह पर पैदा होने वाली झुर्रियों को समाप्त करने में मदद करता है।

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गर्भवती महिलाओं की पाचन शक्ति बढ़ाता है
मखाना गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद पौष्टिक आहार माना गया है। । गर्भवती महिलाओं की पाचन शक्ति बढ़ाने और उनकी अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए यह बहुत फायदेमंद है। इससे शारीरिक कमजोरी से जुड़़ी बीमारियों का उपचार किया जा सकता है।

शूगर मरीजों के लिए बेहद लाभदायक
शूगर मरीजों के लिए मखाने का सेवन बेहद लाभदायक है। मखाना रक्त में शूगर के स्तर को बेहतर ढंग से कंट्रोल करने में सक्षम है। शूगर के मरीजों के लिए यह बेहद पौष्टिक आहार है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन बनने लग जाता है। जिससे शूगर की मात्रा कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे शूगर रोग समाप्त हो जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल
मखाने में पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है। इस वजह से मखाना हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। सोडियम की कम मात्रा होने के कारण मखाना सोडियम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

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दिल को रखे स्वस्थ
मखाने के सेवन से हार्ट अटैक जैसे गंभीर रोग से निजात मिलने का रास्ता साफ होता है। इससे दिल स्वस्थ रहता है। पाचन क्रिया भी सही रहती है।

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जोड़ों के दर्द से मिले राहत
मखाने में मौजूद कैल्शियम के चलते जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे रोगों से राहत मिलती है। आमतौर पर कैल्शियम की कमी के कारण ही यह दर्द पैदा होते हैं।

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नींद न आने की समस्या से मिलती है निजात
जो लोग नींद न आने की समस्या से परेशान रहते हैं। उनके लिए मखाने का सेवन बेहद लाभदायक रहता है। रात के समय दूध के साथ मखाने का सेवन इस समस्या से निजात मिलती है।

प्रदीप शाही

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