माइग्रेन, सिर दर्द, अस्थमा, अनीमिया में ये है गुणकारी…

-ईख, खजूर से बनने वाला गुड़, एक औषधि

-गुड़ का विश्व में सबसे अधिक उत्पादन भारत में

भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा को जड़ी बूटियों के अधिक प्रयोग के चलते ही इसको अन्य चिकित्सा प्रणाली की तुलना में सबसे अधिक सुरक्षित माना गया है। मौसम में होने वाले परिवर्तन के चलते कई रोग इंसान को घेर लेते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में उत्पन्न होने वाले रोगों  के उपचार में गुड़ का सेवन सबसे अधिक गुणकारी होता है।  ईख, खजूर से बनने वाले गुड़ को एक औषधि माना गया है। सबसे खास बात यह है कि भारत में गुड़ का विश्व में सबसे अधिक उत्पादन होता है। आईए आपको बताएं कि गुड़, शक्कर के सेवन से किस तरह से लाभ हासिल किए जा सकते हैं।

गुड़ में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक भारत

गुड़ का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादन व  बाजार भारत है। भारत में गुड़ के सबसे बड़े बाजार में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश का सीतापुर जिला और दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम जिला आता है। भारत में जहां-जहां ईख पैदा होती है, उस क्षेत्र में गुड़ उद्योग भारत के सबसे पुराना उद्योग है। इन इलाकों में किसान खुद ही आज भी पुराने ढंग से गुड़ बनाते आ रहे हैं। दक्षिण भारत में भी यह उद्योग बहुत प्रचलित है। भारत में गुड़ ईख के रस के अतिरिक्त ताड़ के रस, मीठी ताड़ी से भी बनाया जाता है। यह रस इन पेड़ों से ग्रीष्म ऋतु में निकला जाता है।

कैसे बनाया जाता है गुड़

ईख (गन्ने) में से देसी कोल्हू के जरिए रस निकाला जाता है। ईख में रस 60-65 फीसद निकलता है। इस रस को बड़े-बड़े कड़ाहों में कपड़े से छान कर डाला जाता है। इसके बाद इस  रस को उबाला जाता है। रस को उबालकर कर सुखाने से प्राप्त होने वाले ठोस पदार्थ को गुड़ कहा जाता है। लोहे के बड़े  कड़ाहों में गन्ने के रस को भर कर उबाला जाता है। उबालते समय इसे लगातार हिलाया जाता है। ताकि गुड़ का सही ढंग से निर्माण हो सके। गन्ने के रस को साफ करने के लिये प्राय: चूने का उपयोग किया जाता है।

गुड़ के अन्य प्रकार

भारत में कई तरह से गुड़ का निर्माण किया जाता है। भारत गुड़ के चूर्ण रूप को शक्कर कहा जाता है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इसका सेवन लगभग सभी घरों में किया जाता है।  पश्चिम बंगाल में खजूर से गुड़ का निर्माण किया जाता है। इसे ताल गुड़ कहते हैं। गुड़ को बनाते समय कई तरह मसालों का प्रयोग किया जाता है। देश में इलायची, सौंफ, काली मिर्च, मूंगफली और कसा हुए नारियल से बने गुड़ का सेवन किया जाता है। गुड़ का सेवन आम तौर पर भोजन के पश्चात हाजमा दुरुस्त करने के लिए किया जाता है। भारत में गुड़ के साथ चनों का भी सेवन किया जाता है। जो शरीर को विशेष एनर्जी प्रदान करता है।

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प्राचीन काल से जारी है गुड़ का उपपोग

भारत में अधिकतर लोग मीठा खाने के शौकीन है। भारत में प्राचीन काल से ही गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता आ रहा है। गुड़ में लोह तत्व (आयरन) एक प्रमुख स्रोत है। गुड़ में चीनी अधिक होती है। गुड़ में इसकी मात्रा कभी-कभी 90 प्रतिशत से भी अधिक तक होती है। इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व और खनिज लवण अधिक विद्यमान रहते हैं जो चीनी में नहीं होते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में विभिन्न रूपों में इसका उपयोग किया जाता है।

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गुड़ के सेवन से होता है विभिन्न रोगों का उपचार

भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा अनुसार गुड़ का सेवन बेहद लाभकारी होता है। इससे कई रोगों का उपचार किया जा सकता है। खास कर सर्दी के मौसम में इस का सेवन बेहद गुणकारी है।

माइग्रेन, सिरदर्द में है गुणकारी

माईग्रेन व सिरदर्द में गाय के घी के साथ गुड़ का उपयोग बेहद लाभकारी है। सुबह सवेरे खाली पेट के समय और दिन में कम से कम दो बार जरुर लें।

अस्थमा से बचने के लिए करें गुड़ का सेवन

गुड़ में आयरन की अधिक मात्रा होने के कारण इसमें एंटी एलर्जिक तत्व अधिक होते हैं। इसके सेवन से सांस प्रणाली में सुधार होती है।

अनीमिया को रोकता है

गुड़ का सेवन अनीमिया के शिकार व्यक्ति के लिए बेहद लाभकारी होता है। खास कर गर्भवती महिलाओं के हित में है। शरीर में रक्त की कमी को दूर करने में मदद करता है। साथ ही रक्तचाप को भी नियंत्रण में करता है।

दिल के रोगों से करता है बचाव

दिल के रोग से बचने के लिए गुड़ का सेवन जरुर करना चाहिए। हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। जो दिल की बीमारी होने के खतरे से दूर रखता है।

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आंखों की कमजोरी को करता है दूर

आंखों की कमजोरी को दूर करने के लिए गुड़ का सेवन करना चाहिए। आंखों की कमजोरी को दूर करने  में यह दवा का काम करता है। आंखों की रोशनी को बढ़ाता है।

हड्डियों को करता है मजबूत

गुड़ में कैल्शियम व फास्फोरस होने के कारण यह हड्डियों को मजबूत करता है। जबकि चीनी का सेवन हड्डियों के लिए नुकसानदायक होती है।

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गले, फेफडों के संक्रमण में लाभदायक

गुड़ का उपयोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक रहता है।

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गुड़ का सेवन करें अस्थमा से होगा बचाव

अस्थमा से बचने के लिए गुड़ का सेवन करना बहुत फायदेमंद है। गुड़ के गुण शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। जिन लोगों को अस्थमा होता है, उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। जो प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है।

प्रदीप शाही

 

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