कान, नाक वेधन संस्कार का महत्व, विज्ञान ने भी स्वीकारा 

-महिलाओं के सोलह श्रृंगार का प्रतीक है कान, नाक वेधन

-एक्यूप्रेशर के अहम प्वाइंट हैं कान, नाक

हिन्दू धर्म में कान, नाक वेधन 16 संस्कारों का हिस्सा माने गए है। सदियों पहले प्रचलित यह संस्कार महिलाओं के सोलह श्रृंगार का जहां हिस्सा रहे। वहीं इन संस्कारों के महत्व को विज्ञान ने भी स्वीकार करते माना है कि यह स्थान एक्यूप्रेशर में अहम स्थान है। कान, नाक के वेधन से कई तरह के रोगों का निदान भी होता है। आईए आपको बताएं कि कान, नाक वेधन से महिलाओं के सोलह श्रृंगार के अलावा उनके स्वास्थय में किस तरह का लाभ हो सकता है।

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महिलाओं के सोलह श्रृंगार का हिस्सा है नाक, कान छेदन

यह सच है कि हर महिला की खूबसूरती उसके सोलह श्रृंगार के बिना अधूरी रहती है।  हिंदू धर्म में सोलह शृंगार को बेहद अधिक  महत्व दिया गया है।  यदि किसी महिला का कान व नाक  छेदन नहीं होता है, तो उसका सोलह श्रृंगार ही पूरा नहीं होता है। सोलह श्रृंगार को बेहद माना गया है।  सोलह श्रृंगार की पूर्ति नाक और कान के छिदवाने के बिना पूरी नहीं हो सकती है।

सदियों से जारी है नाक, कान छिदवाने की परंपरा

महिलाओं में नाक और कान छिदवाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। मौजूदा समय में  नाक और कान छिदवाने की प्रथा अब एक फैशन में बदल चुकी है। इस समय नाक व कान छिदवाने का शौक पुरुषों में सिर चढ़ कर बोल रहा है, लेकिन यह परंपरा खासकर महिलाओं के लिए ही शुरू की गई थी। हिंदू धर्म में नाक छिदवाने की प्रथा को बेहद सत्कार दिया जाता है। हिंदू धर्म में इसे संस्कार के रप में मान्ता प्रदान की गई है। कान वेधन से सुनने की शक्ति की वृद्धि, कान में आभूषण पहनने तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिये किया जाता है।

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लड़कियों के कान, नाक छिदवाने का विधान

लड़कियों के बचपन में ही कान व नाक छेदन का विधान है। लड़कियों के सबसे पहले बाएं कान में, फिर दाहिने कान में छेद करके तथा बाएं नाक में छेद किया जाता है। इनमें आभुषण पहनाने का विधान है।

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कान व नाक छिदवाने से कौन-कौन से रोगों से मिलती  है राहत

साइंस अनुसार कान व नाक में छेद किए जाने वाले प्वाइंट एक्यूप्रेशर के होते हैं। इस तरह से मस्तिष्क के दोनों भागों को प्रभावशील बनाने के लिए नाक और कान में छेद कर सोना पहनना लाभकारी माना गया है। नाक में नथुनी पहनने से नाक संबधी रोगों में कमी आती है।  सर्दी-खांसी में राहत भी मिलती है। माना जाता है कि जिन महिलाओं के नाक में छेद किया होता है। उनमें प्रसव के दौरान पीड़ा को सहने की  शक्ति अधिक होती है। क्यों कि यह स्थान एक्यूप्रेशर प्वाइंट एक प्रकार का हार्मोन पैदा करता है।  यह हार्मोन प्रसव के दौरान होने वाली पीड़ा से राहत दिलाने में मदद करता है। इतना ही नहीं इस हार्मोन की मदद से पेट दर्द भी कम होने की शिकायत होती है। नाक छिदवाने से महिलाओं में सिर दर्द की समस्या भी कम हो जाती है।

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