इस किले में रहती है आत्मांए, सूर्यास्त के बाद है नो एंट्री

-राजस्थान के भानगढ़ किले को मिला है श्राप


भारत देश की धरती पर सदियों से अनोखे अजूबों का वास है। जिन अजूबों को साइंस भी सुलझाने में असफल हो चुकी है। भारत की धरती पर देवी देवताओं, सिद्ध ऋषि मुनियों के आशीर्वाद से बने कहीं नक्काशी युक्त मंदिर, कहीं रहस्यमयी गुफाएं तो कहीं राजा महाराजाओं की ओऱ से अदभुत वास्तुकला से निर्मित विशाल किले देखने वालों को पहली नजर में ही हतप्रभ कर देते हैं। वहीं राजा महराजाओं की विलासितों से आहत हुए सिद्ध पुरुषों के मिले श्रापों को आज भी महसूस किया जा सकता है। राजस्थान का किला भानगढ़ इस बात का जीवंत प्रमाण है। जहां श्राप के कारण आज भी आत्माओं की उपस्थिति को महसूस किया जा सकता है। यही कारण है भारत सरकार के आर्कियोंलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम ने सूर्यास्त को बाद जनमानस की नो एंट्री कर दी है। कहा जाता है कि जो भी इस किले में शाम ढलने के बाद गया वह कभी वापिस नहीं लौटा। भानगढ़ का किला आज भी शापित आत्माओं की गहरी पकड़ में है।


किला भानगढ़
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ के किले का निर्माण आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था। भगवंत दास के छोटे बेटे और मुगल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया। मुगलों के कमज़ोर पड़ने के बाद महाराजा सवाई जय सिंह इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया था। भानगढ़ का किला विशाल चारदीवारी से घिरा है। इसके भीतर पहुंचते ही दायीं तरफ कुछ हवेलियों के अवशेष ङी रह गए हैं। किले के अंतिम छोर पर तीन मंजिला महल है जिसकी ऊपरी मंजिल लगभग पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। किला चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस किले में कई मंदिर भी है जिसमे भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर प्रमुख मंदिर हैं। भानगढ़ के सभी मंदिरों से अधिकतर मंदिरो से मुर्तिया गायब है। केवल सोमेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग आज भी स्थापित है।


किले को शापित होने का मिला है योगी का श्राप
जिस जगह पर किला बना हुआ है। इस स्थान के पास बालूनाथ योगी का तपस्‍या स्‍थल था। उन्होंने किले के निर्माण की इस बात की सहमति दी। परंतु साथ में शर्त भी रख दी कि मेरे तपस्या स्थल पर किले की परछाई न छूने पाए। राजा के वंशजों ने इस बात पर ध्‍यान न देते हुए कि‍ले का निर्माण लगातार जारी रखा। आखिर एक दिन किले एक दि‍न कि‍ले की परछाई तपस्‍या स्‍थल पर आ गई।तब योगी बालूनाथ ने भानगढ़ को ध्वस्त होने का श्राप दे दिया। गौर हो योगी बालूनाथ की समाधि आज भी मौजूद है।


तांत्रिक ने दिया था नगर को ध्वस्त होने का श्राप
भानगढ़ की राजकुमारी रत्‍नावती की सुदंरता अद्वितीय थी। राजकुमारी के स्‍वयंवर की तैयारी शुरु हो गई। वहीं दूसरी तरफ राज्‍य के सिंधू सेवड़ा नामक एक तांत्रिक राजकुमारी को पाना चाहता था। जो कि संभव नहीं था। एक बार राजकुमारी की दासी राजकुमारी के श्रृंगार के लि‍ए बाजार से सामान लेने आई। तो तांत्रिक ने राजकुमारी के लिए ले जाने वाले इत्र को जादू से सम्‍मोहि‍त करने वाला बना दि‍या। राजकुमारी रत्‍नावती के हाथ से वह तेल एक चट्टान पर गि‍र गया। वह चट्टान तांत्रिक की तरफ लुढ़कती हुई आने लगी। वह चट्टान के नीचे आ कर दब गया। मरने से पहले तांत्रिक ने उस नगरी व राजकुमारी को नाश होने का श्राप दे दिया कि वह अब कभी दोबारा जन्म ने हीं ले सकेंगे।। कुछ दिनों बाद भानगढ़ व अजबगढ़ में युद्ध हुआ। जिसमें राजकुमारी सहित बड़ी सख्या में लोग मारे गए।

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किले के कमरों में सुनाई देती हैं अजीबोगरीब आवाजें
एक बार भारत सरकार ने अर्धसैनिक बल को इस की सच्चाई जानने के लिए भेजा कि किले में क्या सचमुच में आवाजें सुनाई देती है। कई सैनिकों ने किले में मौत की चीखें व रुहें भटकने की आवाजें सुनने की पुष्टि भी की। किले के भीतरी कमरों में महिलाओं के रोने व चूडि़यां खनकने की बातें भी सामने आई। किले की पिछलें भाग में एक छोटा सा दरवाजा है, जहां अक्सर अंधेरा रहता है। यहां पर विशेष तरह की गंध महसूस की जा सकती है।

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