-चमत्कारों के कारण हैं यह शिवलिंग विशेष
देवों के देव महादेव के समूचे विश्व में करोड़ों शिवलिंग प्राण-प्रतिष्ठित हैं। सभी का अपना-अपना महत्व है। कुछ शिवलिंग अपने प्राचीन इतिहास के कारण प्रसिद्ध हैं, तो कई शिवलिंग के साथ जुड़े चमत्कार हमें आज भी अचंभित करते हैं। क्या आपने सुना या देखा है कि शिवलिंग का हर साल आकार बढ़ता है। यदि नहीं तो आईए, आज आप को भारत के पांच एेसे चमत्कारिक शिवलिंग के बारे बताते हैं, जिनका हर साल आकार बढ़ रहा है।
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तिल के आकार से हर साल बढ़ता तिल भांडेश्वर शिवलिंग
भगवान शिव की नगरी कही जाने वाली काशी में सतयुग में प्रकट हुआ स्वयंभू शिवलिंग बाबा तिल भांडेश्वर में प्राण-प्रतिष्ठित हैं। कलयुग से पहले तक यह शिवलिंग हर दिन तिल आकार में बढ़ता था, लेकिन कलयुग के आगमन पर लोगों को यह चिंता सताने लगी कि यदि इसी आकार में हर दिन शिवलिंग बढ़ता रहा तो पूरी दुनिया इस शिवलिंग में समा जाएगी। तब लोगों ने भगवान शिव की आराधना की। तब भगवान शिव ने प्रकट होकर साल में केवल संक्रांति पर ही इसके बढ़ने का वरदान दिया। कहते हैं उस समय से हर साल मकर संक्रांति पर इस शिवलिंग का तिल बराबर आकार बढ़ता है।
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पौड़ावाला शिव मंदिर में जौ के दाने समान बढ़ता है शिवलिंग
हिमाचल प्रदेश में नाहन से लगभग आठ किलोमीटर की दूर स्थित पौड़ीवाला शिव मंदिर का संबंध लंकापति रावण से माना जाता है। माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना लंकापति रावण ने थी। इस मंदिर को स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि हर वर्ष महाशिवरात्रि पर यह शिवलिंग एक जौ के दाने के बराबर बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग में साक्षात भगवान शिव का वास है।
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मतंगेश्वर शिवलिंग में होती है हर साल वृद्धि
मध्यप्रदेश के खजुराहो का मतंगेश्वर शिवलिंग बेहद प्राचीन है। कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने भी इस मंदिर में पूजा की थी। मौजूदा समय में इस शिवलिंग का आकार 18 फीट का है। इस मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग हर साल तिल के आकार में बढ़ रहा है।
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एक चावल के दाने समान बढ़ रहा मृदेश्वर महादेव शिवलिंग
गुजरात के गोधरा में स्थित मृदेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग हर चावल के दाने के आकार अनुसार बढ़ रहा है। इस शिवलिंग के बढ़ रहे आकार को प्रलय का संकेत माना जाता है। इस शिव लिंग के बाबत कहा जाता है कि जिस दिन इस शिवलिंग का आकार साढ़े आठ फुट का हो जाएगा उस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा। और उसी दिन महाप्रलय आ जाएगी। शिवलिंग के मंदिर की छत छूने में अभी लाखों वर्ष लग सकते हैं। क्योंकि शिवलिंग का आकार एक वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर ही बढ़ता है। मृदेश्वर शिवलिंग की विशेषता है कि इसमें से अपने आप ही जल की धारा निकलती रहती है जो शिवलिंग का अभिषेक करती यह जल धारा में हर मौसम में एक समान बहती रहती है।
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हर साल छह से आठ इंच बढ़ता है शिवलिंग
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक प्राकृतिक शिवलिंग है। जिसे भूतेश्वर महादेव कहा जाता है। इसे भकुर्रा महादेव के नाम से भी पुकारा जाता है। कहा जाता है कि हर साल यह शिवलिंग छह से आठ इंच तक बढ़ रहा है। यहां पर भक्तों की हर मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। इतना ही नहीं मनोकामना पूरी होने पर भक्त भगवान के दरबार में आखर आभार भी प्रकट करते हैं।
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प्रदीप शाही