जानिए कहां आज भी रास रचाते हैं भगवान श्री कृष्ण ?

भारत में कुछ ऐेसे रहस्यमयी स्थान हैं जिनके रहस्यों से आज तक विज्ञान भी पर्दा नहीं उठा पाया। इन रहस्यमयी स्थानों में कुछ मंदिर भी आते हैं जो वहां घटित होने वाले चमत्कारों के कारण देश के साथ-साथ विदेश में भी प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी स्थान के बारे में बताएंगे जिसमें शाम होने के बाद लोगों का प्रवेश वर्जित है। यहां तक कि पशु-पक्षी भी शाम होते ही इस स्थान को छोड़कर चले जाते हैं।

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यह स्थान है वृंदावन में स्तिथ निधि वन।  इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि आज भी रात को भगवान श्री कृष्ण गोपियों संग रास रचाने आते हैं। मान्यता है कि जो भी इस रासलीला को देख लेता है वह पागल हो जाता है। इसी कारण शाम को आरती के बाद निधिवन को बंद कर दिया जाता है।

कहा जाता है कि आज से 10 साल पहले जयपुर से आया एक श्रद्धालु रास लीला देखने के लिए छुपकर बैठ गया था। सुबह वह निधि वन में बेहोश पाया गया, होश में आने पर वह अपना दिमागी संतुलन खो चुका था। एक और ऐसी ही घटना भी इस स्थान से जुड़ी है। कहते हैं कि एक और श्रद्धालु ने भी इसी तरह ही रास लीला देखने का प्रयास किया था लेकिन वह भी पागल हो गया था। उस व्यक्ति की समाधि आज भी निधि वन में मौजूद है। इसका कारण यह है कि वह व्यक्ति भगवान कृष्ण का परम भक्त था इसलिए उस व्यक्ति की समाधि इस स्थान पर बनाई गई है।

रंगमहल में रोजाना सजाई जाती है सेज

निधि वन में मौजूद ‘रंग महल’ में हर रात को एक पलंग को सजाया जाता है। कहा जाता है कि इस रंग महल में राधा-कृष्ण रोजाना आते है। सजाए जाने वाले पलंग के पास पानी, श्रृंगार का सामान, दातुन और पान आदि रखा जाता है। जब सुबह ‘रंग महल’ का द्वार खोला जाता है तो पलंग पर बिछा बिस्तर अस्त-व्यस्त होता है। पानी का लोटा खाली होता है, दातुन प्रयुक्त हुई मिलती है। रंगमहल में केवल श्रृंगार का सामान चढ़ाने की परंपरा है और इसी श्रृंगार के सामान को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दिया जाता है।

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निधि वन के पेड़ बढ़ते है उल्टी दिशा में

आम तौर पर पेड़ ऊपर की ओर बढ़ते हैं लेकिन निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। इन शाखाओं को सहारा देकर ऊपर की ओर उठाया जाता है।

रासलीला में तुलसी के पेड़ बन जाते हैं गोपियाँ

कहा जाता है कि निधि वन में लगे तुलसी के पेड़ रासलीला के दौरान गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं। सुबह होते ही यह फिर से तुलसी के पौधों में तबदील हो जाते हैं। तुलसी के यह पौधे जोड़ों के रूप में होते हैं इन पौधों का कोई भी हिस्सा नहीं तोड़ा जाता। कहा जाता है कि जिसने भी इन पौधों की डंडी तक लेजाने की कोशिश की उसे किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ा है इसीलिए इन पौधों को कोई भी हाथ तक नहीं लगाता । 

नज़दीक के घरों में नहीं हैं कोई खिड़की

निधि वन के नज़दीक जितने भी मकान हैं। उनमें कोई भी खिड़की नहीं रखी गई।  लोगों के अनुसार शाम होने के बाद कोई भी व्यक्ति वन में झांक कर नहीं देखता। जिसने भी निधि वन में देखने की कोशिश की वह या तो पागल हो गया या फिर अंधा हो गया या उसे दैवीय प्रकोप का समाना करना पड़ा है। कुछेक मकानों में खिड़कियां हैं लेकिन वह लोग भी शाम को आरती के बाद सारी खिड़कियां बंद कर लेते हैं।

राधा रानी का मंदिर भी है मौजूद

निधि वन में राधा रानी का मंदिर भी है जिसे वंशी चोर राधा रानी का मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण के हर समय बांसुरी बजाते रहने के कारण राधा रानी ने उनकी बांसुरी चुरा ली थी। क्योंकि राधा रानी को लगता था कि कृष्ण उसकी ओर ध्यान नहीं देते केवल बांसुरी बजाने में ही मगन रहते हैं। इसी मंदिर में भगवान कृष्ण की प्रिय गोपी ललिता जी की मूर्ति भी स्थापित है।

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वन में स्थित है विशाखा कुंड

निधि वन में स्थित विशाखा कुंड के साथ भी एक कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि रास लीला के दौरान विशाखा नामक एक सखी को प्यास लगी तो श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से इस कुंड को खोदकर पानी निकाला था। इसी लिए इस कुंड को विशाख कुंड के नाम से जाना जाता है।

धर्मेन्द्र संधू

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