महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने नहीं, भगवान श्री गणेश जी ने की….

-इस ग्रंथ में हैं एक लाख श्लोक संग्रहित

प्रदीप शाही

भारतीय संस्कृति बेहद प्राचीन है। इसीलिए इस सनातन धर्म के नाम से भी पुकारा जाता है। भारतीय संस्कृति ने विश्व को बहुमूल्य ग्रंथों का खजाना प्रदान किया है। वेद, पुराण, उपनिष्द, रामायण के अलावा महाभारत एक ऐसा धार्मिक, एतिहासिक, पौराणिक व दार्शनिक ग्रंथ है। जिसे विश्व का सबसे विशाल साहित्यक ग्रंथ के रुप में स्वीकार किया गया है। इस साहित्यक ग्रंथ की सबसे खास विशेषता यह है कि इस ग्रंथ में एक लाख श्लोक संग्रहित हैं। इतने श्लोक किसी भी ग्रंथ में संकलित नहीं हैं। आमतौर पर महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास द्वारा की गई मानी जाती है। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस साहित्यक ग्रंथ के रचयिता भगवान श्री गणेश जी हैं।

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वेद व्यास नहीं भगवान श्री गणेश जी हैं महाभारत के रचयिता

महाभारत साहित्यक ग्रंथ में वेदों व वेदांगों (वेदार्थ ज्ञान में सहायक शास्त्र को ही वेदांग कहा जाता है।) के रहस्यों का समूचा विवरण है। महाभारत सत्य घटनाओं पर आधारित ग्रंथ है। इस ग्रंथ में चिकित्सा, अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, शिक्षा, ज्योतिष, न्याय के अलावा वास्तुशास्त्र की विस्तृत जानकारी है। जो इंसान के जीवन में लाभदायक सिद्ध होती है। आमतौर से महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास जी की ओर से की गई मानी जाती है। सत्य यह है कि महाभारत की रचना भगवान श्री गणेश जी ने की है। जबकि महर्षि वेदव्यास खुद महाभारत के मुख्य किरदारों में एक थे। कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास जी ने महाभारत की कथा अपने मन में रच ली थी। परंतु उनके सामने एक समस्या आ गई कि वह महाभारत की कथा को किस से लिखवाएं। वह चाहते थे कि महाभारत को बेहद ही सरल भाषा में लिखा जाए। वह जिस भाषा में बोलें। लिखने वाला विद्वान उसे उसी भाषा में लिख दे। साथ ही इसमें किसी भी तरह की कोई गलती न होने पाए।

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तब महर्षि वेदव्यास जी इस समस्या के समाधान के लिए भगवान ब्रह्मा जी का ध्यान किया। भगवान ब्रह्मा जी ने कहा कि आपने एक ऐसे महाकाव्य की मन में रचना कर ली है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए आपको रिद्धि सिद्धि के मालिक भगवान श्री गणेश से मदद लेनी चाहिए। भगवान ब्रह्मा जी के आदेशानुसार महर्षि वेदव्यास जी भगवान शिव व पार्वती के सुपुत्र भगवान गणेश के पास कैलाश पर्वत पर पहुंचे। उन्होंने श्री गणेश जी को अपनी समस्या से अवगत करवाया। भगवान श्री गणेश ने महर्षि वेदव्यास की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उनके इस महाकाव्य को पूरा करवाने का वादा किया। परंतु श्री गणेश जी ने उनके सामने एक शर्त रख दी कि वह जब एक बार कलम उठा लेंगे, तो महाकाव्य को संपूर्ण करने के बाद ही रुकेंगे। इसलिए उन्हें महाकाव्य के पूर्ण होने तक मध्य में न रोका जाएगा। महर्षि वेद व्यास जी इस शर्त को सुन कर तनिक परेशान हो गए। उन्होंने श्री गणेश जी की शर्त को स्वीकार करते हुए अपनी शर्त भी रख दी। उन्होंने कहा कि काव्य लिखने से पहले श्री गणेश जी को हर श्लोक का अर्थ समझना होगा। ताकि श्री गणेश की शर्त को बिना किसी समस्या के पूरा किया जा सके। श्री गणेश जी उनकी इस शर्त को स्वीकार कर लिया।

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उत्तराखंड स्थित माणा गांव की गुफा में रचित हुई थी महाभारत

माना जाता है कि महर्षि वेद व्यास जी ने उत्तराखंड स्थित माणा गांव की एक गुफा में भगवान श्री गणेश जी को महाभारत नामक अपने महाकाव्य को सुनाया। श्री गणेश जी की ओर से अनवरत लिखते रहने के कारण भगवान श्री गणेश जी की कलम टूट गई। तब श्री गणेश जी अपने सूंड को कलम के तौर पर प्रयोग कर महर्षि वेद व्यास जी के महाकाव्य को पूरा किया था।

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