तंत्र के देवता काल भैरव की अराधना बिना है तंत्र साधना अधूरी

-भगवान शिव के रुप है भगवान काल भैरव
-अष्टमी पर काल भैरव जंयती पर पूजन कर मिलती है विशेष कृपा
भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही रूप माना गया है। एेसे में इनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है। काल भैरव को तंत्र के देवता के रुप में प्रमुख तौर से पहचाना जाता है। काल भैरव की अराधना के बिना कोई भी तंत्र साधना अधूरी है। काल भैरव जयंती पर भगवान का पूजन करने से विशेष कृपा हासिल होती है। अलग-अलग मनोकामना पूरी करने के लिए काल भैरव के आठ रुपों का पूजन करने की परंपरा कायम है। आठ रुपों में विद्यमान काल भैरव अपनी पूजा करने पर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।


काल भैरव अष्टमी
धार्मिक ग्रंथों अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालभैरव अष्टमी पर्व के तौर पर मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था। इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती को रूप में मनाए जाने की परंपरा है।

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भगवान काल भैरव के कौन-कौन से आठ रुप
1. कपाल भैरव 2. क्रोध भैरव 3. असितांग भैरव 4. चंद भैरव 5. गुरु भैरव 6. संहार भैरव 7. उन्मत भैरव 8. भीष्ण भैरव

अटके हुए कार्य पूर्ण करते हैं कपाल भैरव
कानूनी कार्रवाई, अटके हुए कार्य का समाधान करने में कपाल भैरव पूजन का विशेष महत्व है। कपाल भैरव के रुप में चमकीले शरीर वाले भगवान हाथी पर सवार हो कर, एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में तलवार और तीसरे में शस्त्र व चौथे में पात्र धारण किए दिखते हैं। इस रुप में पूजन करने से उक्त समस्याएं हल हो जाती हैं।


खराब समय में लड़ने की क्षमता देते हैं क्रोध भैरव
जीवन में आने वाली परेशानियां, खराब वक्त में लड़ने की क्षमता हासिल करने के लिए क्रोध भैरव का पूजन किया जाता है। गहरे नीले रंग शरीर वाले, तीन आंखों वाले क्रोध भैरव गरुड़ पर सवार होते हैं।

कलात्मक क्षमता बढा़ने में मदद करते हैं असितांग भैरव
इंसान ने यदि कलात्मक क्षमताओं को बढ़ाना है तो उन्हें काल भैरव के असितांग रुप का पूजन करना चाहिए। इस रुप में वह हंस पर सवार हो कर गले में सफेद कपालों की माला पहनते हैं। और हाथ में एक कपाल धारण किए रहते हैं।

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शत्रुओं पर विजय दिलाते है चंद भैरव
शत्रुओं पर विजय हासिल करने और हर बुरी परिस्थिति से लड़ने की क्षमता के लिए चंद भैरव की पूजा की जाती है। मोर पर सवार तीन आंखों वाले चंद भैरव इस रुप में एक हाथ में तलवार, दूसरे में पात्र, तीसरे में तीर और चौथे हाथ में धनुष धारण करते हैं।

विद्या व ज्ञान प्रदान करते हैं गुरू भैरव
गुरु भैरव की पूजा करने से अच्छी विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है । इस रुप में गुरु भैरव बैल पर सवार होकर नग्न रुप में विराजमान रहते हैं। शरीर पर सांप लिपटाए गुरु भैरव के एक हाथ में कपाल दूसरे में कुलहाड़ी व तीसरे हाथ में तलवार धारण किए होते हैं।

मनुष्य के सभी पापों को समाप्त करते हैं संहार भैरव
इंसान अपने सभी पापों को यदि समाप्त करना चाहता है, तो उसे नग्न रुप वाले संहार भैरव का पूजन करना चाहिए। तीन आंखों वाले कुत्ते पर सवार होकर सिर पर कपाल धारण करते हैं। इस रुप में संहार भैरव की आठ भुजाएं होती हैं और शरीर पर सांप लिपटा होता है।

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नकारात्मक बुराईयों को समाप्त करते हैं उन्मत भैरव
शांत स्वाभाव वाले उन्मत भैरव इस रुप में मनुष्य की सभी नकारात्मकता और बुराइयों को समाप्त करते हैं। घोड़े पर सवार उन्मत भैरव के शरीर का रंग हल्का पीला होता है।

भीषण भैरव दिलाते हैं बुरी आत्मा व भूतों से मुक्ति
भीषण भैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी आत्माओं और भूतों से छुटकारा मिलता है । इस रुप में शेर पर सवार भीषण भैरव अपने एक हाथ में कमल, दूसरे में त्रिशूल, तीसरे हाथ में तलवार और चौथे में एक पात्र पकड़े हुए है ।

कुमार प्रदीप

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