शमशान में स्थित इस मंदिर में होते हैं तांत्रिक अनुष्ठान

-युधिष्ठर ने विजय हासिल करने के लिए किया बगलामुखी मंदिर का निर्माण
तांत्रिक अनुष्ठान करने के लिए प्राचीन तंत्र ग्रंथों में जिन दस महाविद्या का वर्णन है। उनमें माता बगलामुखी (मां भगवती) देवी का प्रमुख स्थान है। भारत में मां बगलमुखी के केवल तीन प्राचीन मंदिर मध्य प्रदेश स्थित दतिया और नलखेड़ा, हिमाचल प्रदेश स्थित कांगड़ा में स्थापित हैं। इन्हें सिद्धपीठ का दर्जा भी दिया गया है। सबसे अहम बात यह है की नलखेड़ा का माता बगलमुखी का मंदिर शमशान घाट में स्थापित है।


मंदिर का इतिहास
माता बगलामुखी मंदिर का निर्माण युधिष्ठर ने महाभारत युद्ध में जीत हासिल करने के लिए भगवान श्री कृष्ण के कहने पर किया था। मंदिर में मां बगलामुखी के दाएं माता लक्ष्मी तथा बाएं माता सरस्वती की प्रतिमाएं हैं। इस तरह की माताओं की त्रिमूर्ति भारत में कहीं भी नहीं दिखाई देती है। मां भगवती बगलामुखी का यह मंदिर श्मशान के मध्य में निर्मित है। इस मंदिर में देश के गणमान्य लोग अपनी .मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए यहां अनुष्ठान करवाने अक्सर आते रहते हैं। इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करवाए जाते हैं। माता की प्रतिमा अपने आप ही प्रकट हुई बताई जाती है। मंदिर के प्रागंण में बेल पत्र , चंपा, आंवला, नीम व पीपल के वृक्ष मौजूद है।

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वास्तु के अनुसार हुआ मंदिर का निर्माण
मंदिर परिसर की पूर्व दिशा में एक ढ़लान है। इस ढलान के पास ही एक नहर पश्चिम दिशा से निकलकर दक्षिण दिशा में जाती है। वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा की ढलान शक्ति और सफलता प्राप्त करने में प्रमुख रुप से सहायक होती है। मंदिर परिसर के अंदर ही पश्चिम दिशा में एक शेड़ बना है। इस शेड के नीचे कई हवन कुंड बने हुए है। जहां अनुष्ठान के लिए हवन यज्ञ किए जाते हैं।

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बीती 10 पीढ़ियों से कर रहा पुजारी का परिवार मंदिर में पूजा

मंदिर के पुजारी पंडित कैलाश नारायण शर्मा के अनुसार यह बहुत प्राचीन मंदिर है। उनकी दसवीं पीढ़ी इस मंदिर में  पूजा करते आ रहे हैं। वर्ष 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।

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