कौन सा मंदिर, किस देश के राष्ट्रीय ध्वज में है अंकित ??

-कंबोडिया में स्थापित है विश्व का सबसे विशाल भगवान विष्णू का मंदिर
-2400 एकड़ में फैला मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक
क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे विशाल मंदिर भारत में नहीं कंबोडिया में स्थित है। जी हां, यह बिल्कुल सत्य है। 2400 एकड़ में फैले विशाल भगवान विष्णू के मंदिर को कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर भी अंकित किया हुआ है। सबसे खास बात यह भी है कि यह मंदिर यूनेस्को की सूची में विश्व धरोहर स्थलों में से एक के है। इस मंदिर की स्थापना खमेर साम्राज्य के सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112ई.) के शासनकाल में की गई थी। यह मंदिर कंबोडिया के अंकोर में स्थित है। इस शहर का पुराना नाम यशोधरपुर था। 12 वीं शताब्दी के अंत से लेकर मौजूदा समय तक इस मंदिर की पहचान बौद्ध मंदिर के तौर में हो रही है।

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विश्व के सबसे विशाल मंदिर को राष्ट्र ध्वज मिला स्थान
अंकोर शहर में मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में स्थापित यह मंदिर विश्व का सबसे बड़ा मंदिर है। राष्ट्र का सम्मान माने जाने वाले इस मंदिर को कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया। इस मंदिर को मेरु पर्वत का भी प्रतीक माना जाता है। मंदिर की दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों सहित चित्रण किया हुआ है। चित्रण में अप्सराओं की सुंदर फोटो को दर्शाया गया है। असुरों व देवताओं के बीच समुद्र मंथन के समय के दृश्य भी अंकित किए गए है। विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थानों में से एक होने के चलते इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों में से एक के तौर पर शामिल किया हुआ है।

वह कौन सा मंदिर है जिसका चंद्र देव ने करवाया था निर्माण….
मंदिर का निर्माण कब हुआ….
सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंग्कोरथोम में विष्णु का एक विशाल मंदिर बनवाया। इस मंदिर की रक्षा के लिए इसके चारों तरफ एक खाई भी खुदवाई गई। जिसकी चौड़ाई लगभग 700 फीट रही। खाई में पानी भी भरा हुआ था। मंदिर के पश्चिम भाग में इस खाई को पार कर मंदिर पहुंचने के लिए एक पुल का निर्माण किया गया। पुल पार कर मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार बनाया गया। जो करीब एक हजार फीट चौड़ा है। मंदिर की दीवारों पर रामायण को मूर्तियों के रुप में अंकित किया गया है। अंग्कोरथोम कंबुज देश की राजधानी था। वहां भगवान श्री विष्णु, शिव, शक्ति, गणेश देवताओं की पूजा की जाती थी। इन मंदिरों के निर्माण में जिस कला का अनुकरण हुआ है वह भारतीय गुप्त कला से प्रभावित है। राज्य में विभिन्न स्थानों पर आश्रम स्थापित कर रामायण, महाभारत, पुराण तथा अन्य भारतीय ग्रंथों का अध्ययन व अध्यापन करवाया जाता था। विद्वानों के अनुसार यह मंदिर चोल वंश के मंदिरों की झलक देता है।

कौन से हैं भारत के सबसे अमीर मंदिर ??
मंदिर के गलियारों में देव-दानव युद्ध, महाभारत, पुराण, रामायण, बलि-वामन, स्वर्ग-नरक, समुद्र मंथन से संबद्ध अनेक शिलालेख व शिला चित्र मौजूद है। राम कथा भी वर्णित है। शिला चित्रों में रावण वध, सीता स्वयंवर को बड़े सटीक ढंग से दर्शाया गया है। राम धनुष-बाण लिए स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ने, सुग्रीव से राम की मैत्री, बाली और सुग्रीव के युद्ध, अशोक वाटिका में हनुमान की उपस्थिति, राम-रावण युद्ध, सीता की अग्नि परीक्षा और राम की अयोध्या वापसी को दर्शाया गया है। नगर के बिल्कुल मध्य में भगावन शिव का एक भव्य मंदिर बना हुआ है। जो तीन भागों में विभाजित है। प्रत्येक भाग में एक उंचा शिखर बना हुआ है। मध्य शिखर की उंचाई लगभग 150 फीट है। चारों तरफ कई शिखर बने हुए हैं। इनकी उंचाई करीब 80 फीट मानी गई है। इन सभी शिखरों में समाधि की अवस्था में भगवान शिव की मूर्तियां प्राण प्रतिष्ठित हैं। मंदिर की दीवारों पर पशु, पक्षी, फूल व अप्सराओं की आकृतियां बनी हुई है।

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