रामायण से जुड़ा है इस कुएं का इतिहास, स्नान करने से दूर होते हैं रोग, मिलता है मोक्ष

धर्मेन्द्र संधू

भारत अपनी महान संस्कृति व अनूठी परंपराओं और मान्यताओं के कारण पूरे विश्व में अलग पहचान रखता है। भारत में कुछ ऐसे रहस्यमयी स्थान हैं जो लोगों की आस्था व श्रद्धा का केन्द्र होने के साथ-साथ शोध का विषय भी बने हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी कुएं के बारे में जानकारी देंगे, जिसके बारे में लोगों का विश्वास है कि इस कुएं के पानी से कई प्रकार के रोगों का इलाज होता है। मान्यता है कि इस कुएं के पानी से स्नान करने से रोग ही दूर नहीं होते बल्कि तीर्थ स्थानों का फल भी प्राप्त होता है। इस रहस्यमयी व चमत्कारी कुएं का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है।

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उत्तर प्रदेश में है यह अदभुत कुआं

उत्तर प्रदेश के बांदा नामक स्थान पर यह रहस्यमयी कुआं है। बांदा से चित्रकूट मार्ग पर एक धार्मिक स्थल भरतकूप है। इसी स्थान पर सारा साल लोगों का तांता लगा रहता है। लोग इस कुएं के पानी से स्नान करने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। लोगों का विश्वास है कि इस कुएं के चमत्कारी पानी से स्नान करने से कुष्ठ रोग व कई अन्य रोग दूर हो जाते हैं। कुएं का दूसरा अर्थ कूप भी है इसीलिए रामायण काल में भरत के इस स्थान पर आने से इस स्थान का नाम भरतकूप पड़ा। इस कुएं के पास ही एक मंदिर भी बना हुआ है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बुंदेल शासकों के समय में हुआ था। इस मंदिर में भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण जी के साथ ही भरत व शत्रुघन की प्रतिमाएं स्थापित हैं।  इस कुएं पर स्नान करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में माथा जरूर टेकते हैं।

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रामायण काल से जुड़ा है इस कुएं का इतिहास

इस कुएं का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान जब भरत जी अयोध्या से उन्हें मनाने के लिए आए थे। तब वह अपने साथ में भगवान राम का राज्याभिषेक करने के लिए सभी तीर्थों का जल लाए थे। भगवान राम के न मानने पर भरत सारी सामग्री व जल को एक कूप में छोड़कर केवल भगवान राम की खड़ाऊ लेंकर वापिस चले गए थे। इसी कारण इस स्थान को भरत कूप कहा जाता है। 

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यहां स्नान करने से रोग होते हैं दूर, तीर्थों का मिलता है फल

मान्यता है कि यहां पर स्थित कुएं के जल से स्नान करने मात्र से ही कई प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। खासकर कुष्ट रोग समाप्त हो जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस पावन जल से स्नान करने से सभी तीर्थों का पुण्य मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है। इस स्थान पर सारा साल ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मकर संक्रांति पर भक्तों का तांता लग जाता है। इस दौरान पांच दिनों तक चलने वाले एक मेले का आयोजन भी किया जाता है।

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कैसे पहुंचें

प्रयागराज (इलाहाबाद) से भरतकूप की दूरी 140 किलोमीटर के करीब है। वहीं चित्रकूट से भरतकूप 40 किलोमीटर व बांदा से 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लखनऊ से बांदा की दूरी 200 किलोमीटर के करीब है। रेल गाडी से भी भरतकूप स्टेशन तक पहुंचा जा सकता है। साथ ही बांदा से इलाहाबाद जाने वाली बस से भी इस पावन कुएं तक पहुंच सकते हैं। माना जाता है कि इस कुएं के जल से स्नान मात्र करने से ही पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान राम की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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