90% हिन्दुओं को नहीं पता कैसे मूषक बना, भगवान् गणेश जी का वाहन

प्रदीप शाही

-क्रोंच को क्यों दिया था देवराज इंद्र ने श्राप

विश्व में केवल भारतीय संस्कृति में ही जीव-जंतुओं को भगवान के वाहन के रुप में पूजा जाता है। इतना ही नहीं पेड पौधों में देवताओं का वास मानते हुए इनका पूजन किया जाता है। सिद्धि विनायक, गौरी नंदन भगवान श्री गणेश के भारी भरकम शरीर अनुसार एक छोटे से मूषक को उनका वाहन माना जाता है। आखिर कैसे और क्यों एक मूषक को ही भगवान श्री गणेश का वाहन बनाया गया। इसके पीछे भी एक बेहद रोचक कथा है।

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देवराज इंद्र के श्राप से बने गंधर्व क्रोंच एक मूषक

कहा जाता है कि एक बार देव राज इंद्र की सभा में देवगण आपस में विचार चर्चा कर रहे थे। सभा में देवी देवताओं के अलावा गंधर्व और अप्सराएं भी मौजूद थी। सभी उपस्थित गण देव राज इंद्र की बात को गंभीरता से सुन रहे थे। सभा में एक क्रोंच नामक गंधर्व भी मौजद था। परंतु वह देव राज इंद्र की बातों पर ध्यान न करते अप्सराओं सहित हंसी ठठौली करने में ही व्यस्त था।

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देवराज इंद्र ने काफी समय तक क्रोंच की इस हरकत को नजरअंदाज किया। लंबे समय तक क्रोंच की जब हरकतें बंद ही नहीं हुई तो देवराज इंद्र ने क्रोंच को एक मूषक बनने का श्राप दे दिया। देव राज इंद्र के श्राप के चलते क्रोंच एक मूषक के रुप में तब्दील हो गया। मूषक बनते ही क्रोंच ने इधर-उधर भाग कर सभा में मौजूद गणों को परेशान करना शुरु कर दिया। इस घटना के बाद तो देवराज इंद्र का गुस्सा पहले से भी अधिक बढ़ गय़ा। उन्होंने मूषक को बिना देर किए देवलोक से बाहर फैंकने के आदेश दे दिए। देवराज का आदेश पाते ही द्वारपालों ने मूषक को स्वर्ग लोक से बाहर फैंक दिया।

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स्वर्ग लोक से फैंका गया मूषक सीधा पराशर मुनि के आश्रम में जा गिरा। क्रोंच से बने मूषक ने मुनि के आश्रम में सारे सामान को खराब कर दिया। पौधों सहित आश्रम में रहने वाले ऋषियों मुनियों के परिधानों व ग्रंथों को भी कुतर डाला। मूषक की ओर से किए गए नुकसान से आहत हो कर पराशर मुनि ने भगवान श्री गणेश जी का आह्वान किया। साथ ही इस मूषक के आंतक से उन्हें बचाने की गुहार लगाई। गौरी पुत्र श्री गणेश ने तब अपने पाश को उस आतंकी चूहे को पकड़ कर लाने के लिए किया। श्री गणेश के पाश ने क्रोंच से बने मूषक तो पाताल लोक में अपने बंधन में जकड़ लिया।

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ऐसे बने मूषक भगवान श्री गणेश के प्रिय वाहन

भगवान श्री गणेश के सामने जब उस मूषक को पेश किया गया। तो मूषक श्री गणेश जी को देखकर डर गया। साथ ही उसे माफ करने की प्रार्थना करने लगा। गणेश जी मूषक के इस व्यवहार को देख कर हंसने लगे। श्री गणेश जी से मूषक ने कहा कि वह उनसे कुछ भी मांग सकता है। तब श्री गणेश जी ने कहा कि ठीक है। तुम मेरा वाहन बन जाओ। क्रोंच से बने मूषक ने बिना कुछ सोचे विचारे हां कर दी। भगवान श्री गणेश उस मूषक के उपर विराजमान हो गए। भारी भरकम श्री गणेश जी के वजन कारण मूषक की सांसे रुकने लगी। तब मूषक ने भगवान श्री गणेश से अपने प्राणों की भीख मांगते कहा कि भगवन मुझे इतनी शक्ति दो कि मैं आपका भार वहन करने में सफल हो सकू। तब श्री गणेश ने मूषक की चतुराई से मांगे वरदान को पूर्ण कर दिया। ऐसे में गंधर्व क्रोंच से बने मूषक भगवान श्री गणेश के प्रिय वाहन बन गए।

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