इस मंदिर में भगवान गणेश गजमुखी नहीं, नरमुखी रुप में हैं विराजमान….

-देश का एकमात्र सिद्धिविनायक गणेश जी का मंदिर
सिद्धिविनायक भगवान श्री गणेश के देश या विदेश में जितने भी मंदिर हैं, वहां उनकी गजमुखी प्रतिमाएं ही प्राण-प्रतिष्ठित हैं। परंतु देश में एकमात्र एेसा मंदिर भी है, जहां पर भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा गजमुखी नहीं नरमुखी है। आखिर एेसा क्यों है कि भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा को गजमुखी के स्थान पर इंसान के रुप वाली प्रतिमा के रुप में प्राण-प्रतिष्ठित किया गया है। आईए आपको बताएं कि यह मंदिर देश में कहां पर स्थित है।

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कहां पर स्थित है इंसान के चेहरे में है श्रीगणेश
दक्षिण भारत के तमिलनाडु के कूटनुर स्थित आदि विनायक मंदिर में भगवान श्री गणेश के गजमुख स्वरुप की प्रतिमा के स्थान नरमुख वाली प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित है। यह मंदिर भारत का इकलौता मंदिर है। इंसान के मुख वाली प्रतिमा होने के कारण यहां पर भगवान गणेश जी का दर्शन कर आशीर्वाद लेने में अधिक संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

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यहां पर भगवान श्री राम ने की पूर्वजों की शांति के लिए पूजा
आदि विनायक भगवान श्री गणेश जी के इस मंदिर की एक खास विशेषता यह भी है कि यहां पर लोग अपने पितरों की शांति कराने के लिए पूजन करने आते हैं। यहां मान्यता है कि इसी जगह पर ही भगवान श्रीराम ने भी अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा-अर्चना की थी। जिस परंपरा के चलते आज भी बड़ी संख्या में भक्त अपने पूर्वजों की शांति के लिए यहां पूजा पहुंचते हैं। क्यों कि यहां पर भगवान श्री राम ने भी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की थी।

इस मंदिर को तिलतर्पण पुरी भी कहा जाता है
आमतौर पर पितृदोष के लिए नदियों के किनारे तर्पण की विधि की जाती है, लेकिन इस मंदिर की खूबी के कारण इस जगह का नाम ही तिलतर्पणपुरी पड़ गया है। क्या होता है तिलतर्पण पुरी का अर्थ। इस स्थान को तिलतर्पण पुरी कहने के पीछे भी एक कारण माना गया है। तिलतर्पण पुरी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। तिलतर्पण का अर्थ होता है, पूर्वजों को समर्पित और पुरी का अर्थ होता है शहर। यानिकि पूर्वजों को समर्पित शहर।

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मंदिर में भगवान शिव भी हैं विराजमान
आदि विनायक मंदिर के मध्य में में देवों के देव भगवान शिव का भी एक मंदिर विद्यमान है। शिव मंदिर से बाहर निकलते ही भगवान गणेश के नरमुखी रुप के दर्शन किए जा सकते हैं।

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सरस्वती मंदिर के लिये प्रसिद्ध है यह धाम
भगवान गणेश के नरमुखी मंदिर के लिये यह धाम प्रसिद्ध है। भगवान गणेश व भगवान शिव के दर्शन करने के बाद भक्त माता सरस्वती मंदिर में दर्शन किए बिना नहीं जाते हैं। इस सरस्वती मंदिर का निर्माण कवि ओट्टकुठार ने करवाया था।

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प्रदीप शाही

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