सकारात्मक उर्जा, अच्छी सेहत पानी है तो जाएं रोजाना मंदिर

-विज्ञान ने भी स्वीकारे तथ्य
जब हम किसी मंदिर के सामने से गुजरते हैं, तो हमारा मस्तक स्वतः ही झुक जाता है। यह धार्मिक पहलू है। वहीं दूसरी तरफ साइंस ने यह स्वीकार है कि रोजाना मंदिर जाने वालों को अच्छी सेहत औऱ सकारात्मक उर्जा मिलती है। आईए आज आपको बताएं कि मंदिर जाने से किस तरह से लाभ मिलते हैं। हमारी कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स भी कंट्रोल होती हैं।

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घंटी बजाने के पीछे क्या हैं वैज्ञानिक कारण
मंदिर में घर में हो या किसी धार्मिक स्थल वहां घंटी बजाने के धार्मिक कारण तो हैं ही। परंतु घंटी बजाने के हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी दिखाई देते हैं।  वैज्ञानिकों का मानना है कि जब घंटी बजाई जाती है, तो वातावरण में जो कंपन पैदा होती है। वह वायुमंडल के कारण काफी दूर तक चली जाती है।  इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं। इससे उस क्षेत्र का वातावरण शुद्ध हो जाता है। जब हम मंदिर का घंटा बजाते हैं, तो सात सेकेंडस तक हमारे कानों में उसकी आवाज़ गूंजती है। इस दौरान बॉडी में सुकून पहुंचाने वाले सातों प्वाइंट्स एक्टिव हो जाते हैं।

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मंदिर जाने से हाई बीपी होता हैं कंट्रोल
मंदिर के अंदर नंगे पैर जाने से मंदिर के परिसर में फैली सकारात्मक उर्जा पैरों के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश करती है। नंगे पैर चलने के कारण पैरों में मौजूद एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर दवाब भी पड़ता है। जिससे हाई बीपी की समस्या पर कंट्रोल होता है।

तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ाने में मिलती है मदद
मंदिर जा कर वहां पर माथे के मध्य तिलक लगाने से इंसान की एकाग्रता में वृद्धि होती है। क्योंकि यह स्थान इंसान के लिए बेहद अहम माना गया है। इस स्थान से मस्तिष्क क तरह सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है। चंदन का तिलक लगाने से ठंडक मिलती है।

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इम्युनिटी बढ़ाने में मिलती है मदद
मंदिर में जाकर जब हम दोनों हाथ जोड़कर पूजा करते हैं। तो दोनों हाथों की हथेलियों और उंगलियों के कई प्वॉइंटस पर दवाब बढ़ता है। इससे हमारी इम्युनिटी बढ़ती है।

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बैक्टीरिया से होता है बचाव
मंदिर के परिसर में आयोजित होने वाले हवन के दौरान जलने वाली कपूर और हवन सामग्री से निकलने वाले धुंए से बैक्टीरिया समाप्त होता है। इससे वायरल इंफेक्शन का खतरा भी टल जाता है।

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शंख बजाने से होता है स्ट्रेस दूर
मंदिर में आरती के दौरान बजने शंख से परिसर का शांत माहौल भक्तिमय हो जाता है। शंख की आवाज से स्ट्रेस दूर हो जाती है। क्योंकि यह आवाज कानों के माध्यम से हमारे मन को भी प्रभावित करती है। इससे हमारे ब्रेन फंक्शन में भी सुधार होता है।

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नकारात्मक शक्तियां होती हैं दूर

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित मू्तियों के समक्ष माथा निवाने से इंसान के भीतर मौजूद नकारात्मक शक्तियां भी दूर हो जाती है। इसका मुख्य कारण इंसान के मन में अपने ईष्ट के प्रति श्रद्धाभाव का होना भी होता है।

प्रदीप शाही

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