यहां पर नदी की जलधारा करती है शिवलिंगों का जलाभिषेक

-सहस्त्र शिवलिंग, शिव परिवार का नदी किनारे किया निर्माण

भारत को अजूबों का देश कहा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। पुरातन समय में मनमोहक नक्काशी में बने मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित विभिन्न देवी देवताओं की रहस्य से भरी प्रतिमाएं यह प्रमाणित करती हैं, कि प्राचीन काल में ऋषियों, मुनियों को विज्ञान की मौजूदा समय की तुलना में बेहतर जानकारी थी। मंदिरों में छिपे रहस्य को आज तक कोई भी नहीं जान सका है। एक विशेष अजूबा कर्नाटक के शहर सिरसी में शलमाला नदी के पास भी है। जहां पर इस धरती के आधार कहे जाने वाले, कण-कण में विद्यमान भगवान शंकर के हजारों की तादाद में बने शिवलिंग का नदी की जलधारा ही जलाभिषेक करती है।

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किस ने करवाया था इन हजारों शिवलिंग का निर्माण

मान्यता अनुसार 16वीं शताब्दी में सदाशिवाराय नाम के एक राजा थे। वह भगवान शिव के परमभक्त थे। शिव भक्ति में लीन होने के कारण उन्होंने  भगवान शिव की अद्भुत रचना का निर्माण करवाने की ठानी। राज्य में से बहने वाली शलमाला नदी के आसपास स्थित चट्टानों पर ही भगवान शिव का एक नहीं, सैंकड़ों नहीं हजारों की तादाद में शिवलिंग का निर्माण करवा दिया। इतना ही नहीं इन शिव लिंग के पास शिव परिवार की प्रतिमामों का भी निर्माण किया। इन शिवलिंगों के पास नंदी, नागों की भी प्रतिमाएं बनी हुई है। राजा सदाशिवाराय ने यह सभी शिवलिंग व शिव परिवार की प्रतिमाओं की इस ढंग से निर्माण किया। ताकि इन सभी का नदी की जलधारा हर पल जलाभिषेक करती रहे। हजारों शिवलिंग एक साथ होने की वजह से इस स्थान का नाम सहस्त्रलिंग पड़ा। इन प्रतिमाओं के बनने का समय 1678 से 1718 तक का माना जा रहा है।

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शिवरात्रि व श्रावण सोमवार को लगता है मेला

राजा सदाशिवाराय की ओर से बनाए सहस्त्र शिवलिंगों को देखने के लिए प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्त व विदेशी प्रर्यटक आते हैं। परंतु शिवरात्रि व श्रावण के सोमवार पर यहां मेला लगता है। हजारों शिवलिंग का पूजन देखने लायक होता है। जब नदी की जलधारा का वेग कम होता है, तो समूचे शिवलिंग व शिव परिवार के एक साथ दर्शन होते हैं। यह अद्भुत नजारा देखने लायक होता है।

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कंबोडिया में भी स्थापित ही सहस्त्र शिवलिंग

शलमाला नदी के किनारे स्थापित सहस्त्र शिवलिंग की तरह ही कंबोडिया में एक ही स्थान पर हजारों शिवलिंग बने हुए हैं। इसकी जानकारी 1969 में जीन बोलबेट जनमानस को दी थी। गौर हो जीन लंबे समय से मनुष्य जाति से जुड़े रहस्य खोजने में लगे हुए हैं। उनके अनुसार उक्त शिवलिंग राजा सूर्यवर्मन प्रथम के समय में बनना शुरू हुए और राजा उदयादित्य वर्मन के समय में पूर्ण तौर से बनकर तैयार हुए. इन राजाओं ने 11वीं और 12वीं सदी में वहां राज किया था। कंबोडिया में यह सहस्रलिंग कबल स्पियन नदी में स्थापित हैं।

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प्रदीप शाही

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