केवल इस पावन सरोवर में मां के मोक्ष के लिए होता है मातृ श्राद्ध

-कर्दम ऋषि के 10 हजार वर्षों के तप का फल है यह सरोवर…

-ऋग्वेद, रामायण, महाभारत में भी है बिंदू सरोवर का उल्लेख

कैलाश मानसरोवर, नारायण सरोवर, पुष्कर सरोवर, पंपा सरोवर के अलावा बिंदू सरोवर भारत के प्रमुख पांच पावन सरोवर है। बिंदू सरोवर की पवित्र सरोवर के रुप में पहचान ऋषि कपिल के पिता कर्दम ऋषि की 10 हजार वर्षों की तपस्या का फल है। कर्दम ऋषि की उत्पत्ति हिंदू धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों अनुसार सृष्टि की रचना हेतू भगवान श्री ब्रह्मा जी की छाया से मानी जाती है। बिंदू सरोवर द्वापर काल में तीर्थ के रुप में पहचाना जाता था। जो आज भी तीर्थ के रुप में पहचाना जाता है।

कहां स्थित है पावन बिंदू सरोवर

गुजरात के अहमदाबाद से 130 किलोमीटर दूर उत्तर में  ऐतिहासिक सिद्धपुर “सिद्ध स्थल” में पावन बिंदु सरोवर स्थित है। इस स्थल का वर्णन ऋग्वेद की ऋचाओं में भी मिलता है। इतना ही नहीं इसका उल्लेख रामायण व महाभारत में वर्णित है। बिंदू सरोवर को सरस्वती और गंगा के मध्य स्थित बताया गया है। यह देश में केवल एक ऐसा तीर्थ है जहाँ पुत्र अपनी माता की मोक्ष हेतु कार्तिक माह में आ कर पूजा अर्चना और कर्म काण्ड करते है

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सरोवर को प्राप्त है मातृ श्राद्ध का है दर्जा

बिंदु सरोवर भारत में केवल एकमात्र तीर्थ है, जहां माता के मोक्ष के श्राद्ध किया जाता है। जबकि गया में पितरों का पिण्ड दान करने की परंपरा है। मां के दूध का क़र्ज़ को चुकाने की परंपरा केवल हिन्दू धर्म में है। जो किसी अन्य धर्म में नहीं। कपिल मुनि, महर्षि कर्दम और माता देवहुति के पुत्र हैं। कपिल मुनि भगवान् विष्णु के अवतार हैं। माना जाता है कि कर्दम ऋषि जब तपस्या को चले गए तो माता देवहुति बेहद दुखी हो गयी। कपिल मुनि ने अपनी माता के सामने सांख्य दर्शन की विवेचना करते हुए उनका ध्यान भगवान् विष्णु में केन्द्रित किया। बाद में भागवन श्री विष्णु में ध्यान लगाते समय माता देवहुति की मृत्यु हो गई। इसी सरोवर के तट पर माता की मृत्यु पश्चात कपिल मुनि ने उनकी मोक्ष प्राप्ति हेतु अनुष्ठान किया था इस प्रकार अपनी माता का श्राद्ध करने वाले कपिल मुनि प्रथम मुनि हुए। इस घटना का उल्लेख भगवत पुराण में है। इसके बाद ही यह स्थान मातृ मोक्ष स्थल के रूप में प्रसिद्द हुआ। कपिल मुनि ने हिन्दू पंचांग के कार्तिक माह में यह अनुष्ठान किया था। अतः हर साल कार्तिक माह में विशाल मेले का आयोजन होता है। जहां पुत्र अपनी माता का श्राद्ध करने आते हैं। माता जाता है कि महान ऋषि परशुराम ने भी अपनी माता का श्राद्ध सिद्धपुर में बिंदु सरोवर के तट पर ही किया था। बिंदु सरोवर के किनारों पर पत्थर के घाट बनाये गए है। ऋषि परशुराम का आश्रम भी निकट है। पास ही मोक्ष पीपल है। जहां पुत्र अपनी माता के मोक्ष के लिए प्रार्थना करते है।

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शास्त्रों में पावन सरोवरों का उल्लेख

भारत में बिंदू सरोवर के अलावा कैलाश मानसरोवर, नारायण सरोवर, पुष्कर सरोवर, पंपा सरोवर, कर्नाटक के नंदी हिल्स पर अमृत सरोवर, राजस्थान के बीकानेर में कपिल सरोवर,  मथुरा गोवर्धन में कुसुम सरोवर, गुजरात के अभयारण्य में नल सरोवर, महाराष्‍ट्र के जिला बुलढाणा में लोणास सरोवर, कृष्ण सरोवर, राम सरोवर, शुद्ध सरोवर का पुराणों में  ‍उल्लेख  है।

कुमार प्रदीप

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