आराध्य की आरधना में किए हवन का है धार्मिक, वैज्ञानिक महत्व

-मानव जीवन के अलावा वातावरण शुद्धि के लिए लाभदायक है हवन

हिन्दू धर्म में पुण्य प्राप्ति के लिए आराध्य की पूजा अर्चना की जाती है। परमात्मा की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिवत पूजा अर्चना व धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में हवन का विशेष महत्व है। माना जाता है कि हवन में डाली गई आहुतियां सीधे रूप से आराध्य को प्राप्त होती हैं। अग्नि प्रज्वलित करके इस अग्नि के द्वारा अपने आराध्य देव को हवि पहुंचाने की क्रिया को ‘हवन’ कहते हैं। अग्नि में आहुति के रूप में डाले जाने वाले पदार्थ को ‘हवि’ कहते हैं। हवन में प्रयुक्त होने वाली लकड़ी को ‘समिधा’ कहा जाता है। समिधा की लकड़ी मुख्य रूप से आम, पीपल, बिल्व, खैर व गूलर इत्यादि की ऋतुओं के आधार पर होती है। हवन की शुरूआत में पहले समिधा से अग्नि प्रज्वलित की जाती है फिर इसमें हवन सामग्री व घी इत्यादि की आहुतियां डाली जाती हैं।

हवन में प्रयुक्त होने वाले मुख्य पदार्थ

हवन में नियम के अनुसार चार प्रकार के पदार्थों का प्रयोग किया जाता है। इन पदार्थों में सुगंधित, पुष्टिकारक, मिष्ठान व रोगनाशक का प्रयोग हवन के समय किया जाता है। सुगंधित पदार्थों में चंदन, केसर, इलायची, जावित्री, जायफल, कपूर, छड़ीला, अगर, तगर, कचरी व पानड़ी इत्यादि आते हैं।

पुष्टिकारक पदार्थों में गुगल, सूखे फल, घी, चावल, जौ, नारियल, तिल व शहद का प्रयोग किया जाता है।

मिष्ठान पदार्थों में गुड़, दाख, शक्कर व छुहारा आदि का उपयोग किया जाता है।

रोगनाशक पदार्थों में ब्राह्मी, तेजपत्र, आंवला, गिलोय व तुलसी इत्यादि का इस्तेमाल होता है।

कहा जाता है कि आग में डालने से कोई भी पदार्थ नष्ट नहीं होता बल्कि ठोस, द्रव्य या गैस में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति दो-चार मिर्च खा सकता है लेकिन अगर इन्हीं दो-चार मिर्चों को आग में जला दिया जाए तो कई लोग खांसने लगते हैं। उसी प्रकार हवन में डाली गई प्राकृतिक सामग्री जलने के बाद वातावरण व मानव पर प्रभाव डालती है। हवन में डाला गया शुद्ध घी, सूखे फल, जड़ी बूटियां, पेड़ों की लकड़ी इत्यादि जलने के बाद हज़ारों मानवों, पशु-पक्षियों व जीवों सहित समूचे वातावरण के लिए लाभदायक व जीवनदायक सिद्ध होते हैं।

आराध्य की आराधना के साथ-साथ हवन से वातावरण भी शुद्ध होता है। हवन के पवित्र धुंए से वातावरण व हवा में मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। हवन करते समय उच्चारित होने वाले मंत्रों से पैदा होने वाली तरंगें प्रकृति में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं।

वैज्ञानिकों की दृष्टि में हवन

हवन को लेकर विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा की गई शोध में पाया गया कि हवन के धुंए से वातावरण शुद्ध होता है। फ्रांस के वैज्ञानिक ट्रेले ने शोध करके यह नतीजा निकाला कि हवन में जब आम की लकड़ी को जलाया जाता है तो इससे फ़ार्मिक एल्डिहाइड नामक गैस पैदा होती है। यह गैस हानिकारक कीटाणुओं व जीवाणुओं को मार कर वातावरण को शुद्धता प्रदान करती है।

टौटीक नामक वैज्ञानिक ने अपनी शोध में यह तथ्य निकाला कि हवन के धुंए में आधा घंटा बैठने व धुंए के संपर्क में रहने से टाइफाइड जैसी बिमारी फैलाने वाले जीवाणु भी समाप्त हो जाते हैं।

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हवन के बारे में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों द्वारा भी शोध किया गया कि क्या सच में हवन से वातावरण शुद्ध होता है या नहीं। इस शोध में वैज्ञानिकों द्वारा यह नतीजा निकाला गया कि ग्रन्थों में वर्णित हवन सामग्री को जलाने पर वातावरण से कीटाणु नष्ट होते  हैं व वातावरण शुद्ध होता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार हवन में डाली जाने वाली आहुति में इस्तेमाल होने वाली सामग्री वातावरण में फैले विषाणुओं को तो नष्ट करती ही है साथ ही प्रदूषण को भी खत्म करती है। इस लिए हवन का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व है। वैज्ञानिक दृष्टि से  रोज़ाना घर में किया गया हवन आस पास के वातावरण को शुद्ध करता है व बीमारियों से भी दूर रखता है। हवन सामग्री के रूप में प्रयोग में लाई गई प्राकृतिक वस्तुएं विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाती हैं।

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स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हवन सामग्री

आसानी से उपलब्ध हवन सामग्री द्वारा कोई भी व्यक्ति घर पर रोजाना हवन करके स्वस्थ, निरोगी जीवन व्यतीत कर सकता है। अलग-अलग रोगों के लिए अलग प्रकार की हवन सामग्री निम्नलिखित अनुसार है-

घी का प्रयोग लंबी आयु व ढाक के पत्तों से किया गया हवन आंखों की बीमारी में लाभदायक सिद्ध होता है। भांग व धतूरा मनोरोगों को ठीक करने मे प्रभावी सिद्ध होता है। हवन में किया गया शहद व घी का प्रयोग मधुमेह, गूलर व आंवला शरीर के दर्द, आम के पत्ते बुखार व बेल पेट की बीमारियों के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त सरसों, तिल, आक की लकड़ी, शक्कर इत्यादि रोग शान्ति, असाध्य बीमारियों व शरीर की रक्षा के लिए लाभप्रद हैं।

प्राचीन समय से चली आ रही हवन की प्रथा आज भी उतनी ही प्रासंगिक, सार्थक व लाभदायक है जितनी प्राचीन समय में थी। हवन आज के समय की जरूरत बन गया हैं। जैसे-जैसे तेज़ी से धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है वैसे ही वातावरण को शुद्ध करने के लिए प्रत्येक मानव को अपने घर या आसपास में हवन करना चाहिए। तभी मानवता व संसार का भला हो सकता है।

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