काले बाले, सुंदर त्वचा और कुष्ट रोग…

आयुर्वेद ने मानव को स्वस्थ व निरोगी जीवन जीने के लिए कई प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियों का ज्ञान प्रदान किया है। प्रकृति में अनेक ऐसी जड़ी-बूटियां उपलब्ध हैं जिनके नियमित प्रयोग द्वारा मानव स्वस्थ काया प्राप्त कर सकता है। एक ऐसे ही प्राकृतिक फल का नाम है ‘हरड़’। जिसका प्रयोग कई तरह के रोगों के निवारण में सहायक सिद्ध होता है। आयुर्वेद में ‘हरड़’ को ‘हरीतकी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह वात, कफ व पित्त को दूर करने वाली रामबाण औषधि है। आयुर्वेद में सात प्रकार की हरड़ों का उल्लेख मिलता है किन्तु आज केवल दो प्रकार की हरड़ ही पाई जाती है -छोटी हरड़ व बड़ी हरड़। त्रिफला में बड़ी हरड़ का तथा बच्चों की बीमारियों में छोटी हरड़ का प्रयोग किया जाता है।

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हरड़ के फायदे

हरड़ कब्ज, पाचन विकार, उल्टी, बुखार, एसिडिटी को दूर करने में फायदेमंद है। हरड़ का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जाता है। हरड़ को अगर पीसकर खाया जाए तो यह दस्त लगाती है। अगर हरड़ को उबालकर खाया जाए तो यह दस्त बंद कर देती है। तथा भूनकर खाई हुई हरड़ तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को दूर करती है।

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मधुमेह में है लाभदायक

हरड़ खून में शूगर के स्तर को कम करके इंसुलिन को बढ़ाने में मदद करती है। एक अध्ययन के अनुसार हरड़ का नियमित रूप से सेवन खून में ग्लूकोज को कम करता है। लेकिन इसका प्रयोग डाक्टर की सलाह से करना चाहिए ।

कुष्ट रोग में है रामबाण
कुष्ट रोग को ठीक करने में हरड़ रामबाण सिद्ध होती है। गौ मूत्र व हरड़ का लगातार सेवन करने से भयानक से भयानक कुष्ट रोग भी ठीक हो जाता है।

त्वचा संबंधी रोगों में है फायदेमंद
हरड़ का काढ़ा त्वचा संबंधी रोगों में लाभकारी है। हरड़ के फल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर इसका सेवन दिन में दो बार नियमित रूप से करने से त्वचा रोगों में आराम मिलता है। त्वचा में एलर्जी होने पर हरड़ के फल व हल्दी से तैयार लेप को प्रभावित भाग पर लगाने से लाभ होता है।


मुंह व मसूड़ों की सूजन में है लाभकारी
मुंह में सूजन होने पर हरड़ युक्त पानी के गरारे करने से फायदा मिलता है। हरड़ का पेस्ट पतली छाछ के साथ मिलाकर गरारे करने से मसूड़ों की सूजन में आराम मिलता है। हरड़ का चूर्ण दांतों के दर्द में राहत देता है।

 

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बालों को रखता है काला
हरड़ एक स्वस्थ वर्धक टोनिक है जिसके प्रयोग से बाल काले, चमकीले व आकर्षक दिखते हैं। हरड़ के फल को नारियल के तेल में उबालकर लेप बनाकर लगाने से या फिर रोजाना 3 से 5 ग्राम हरड़ पाउडर का पानी के साथ सेवन करने से बाल काले व आकर्षक दिखते हैं।

वजन कम करने में है सहायक
हरड़ का नियमित रूप से सेवन वजन कम करने में सहायक सिद्ध होता है। इसका प्रयोग मोटापा कम करता है।
पेट के रोगों में मिलती है राहत
हरड़ का सेवन करने से पेट संबंधी रोगों गैस, बदहज़मी में राहत मिलती है। यह पाचन तंत्र में सुधार करता है।

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तिल्ली रोग के उपचार में है लाभदायक
तिल्ली रोग के उपचार में भी हरड़ लाभदायक है। इसके लिए 3 से 5 ग्राम हरड़ का सेवन दूध व 3 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर दिन में एक या दो बार करने से लाभ मिलता है। इससे तिल्ली बढ़ने की समस्या से निज़ात पाई जा सकती है।

बवासीर में है उपयोगी
बवासीर के रोगियों के लिए भी हरड़ लाभदायक है। बवासीर से राहत पाने के लिए हरड़ का प्रयोग काढ़ा बनाकर किया जाता है। गर्म पानी में हरड़ को उबालकर काढ़े का सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।

हरड़ के नुकसान
-गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
-पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हरड़ का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
-कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को हरड़ के प्रयोग से बचना चाहिए।
-लम्बे समय तक उपवास करने वाले लोगों को भी हरड़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
-बढ़े हुए पेट व अपच की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए हरड़ का प्रयोग हानिकारक हो सकता है।
-पतले व दुर्बल महसूस करने वाले लोगों को हरड़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
हरड़ का प्रयोग किसी चिकित्सक की सलाह से करना ज्यादा सही रहता है।
धर्मेन्द्र संधू

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