किसानों को प्रमाणित बीज देने के लिए बारकोड और क्यू.आर. कोड की प्रणाली लागू करेगा पंजाब

चंडीगढ़, 19 सितम्बरः
नकली और घटिया मानक के बीज बेचने वाले व्यापारियों के हाथों किसानों की होती लूट रोकने के लिए एक और किसान पक्षीय अहम फैसला लेते हुए पंजाब सरकार ने बीज की प्रामाणिकता के लिए बारकोड और क्यू.आर. कोड का प्रयोग करने समेत आधुनिक प्रौद्यौगिकी लागू करने का फैसला किया है जिससे किसानों को गेहूँ और धान समेत अलग-अलग फसलों का प्रमाणित बीज मुहैया करवाना यकीनी बनाया जा सके।
आलू की फसल के बीज के लिए सफलतापूर्वक प्रोजैक्ट से उत्साहित होते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ब्लॉकचेन प्रौद्यौगिकी के द्वारा बीज का पता लगाने के लिए आधुनिक प्रमाणित विधि को अमल में लाने की मंजूरी दे दी है जिससे यह यकीनी बनाया जा सके कि किसानों के साथ नकली और गैर-प्रामाणिक बीजों का धोखा न हो सके। प्रामाणिक बीज आगामी सीजन से किसानों को बाँटे जाएंगे और इसकी शुरुआत चारा, तेल और दालों के 1.50 लाख क्विंटल बीजों से की जायेगी जिसके लिए पंजाब राज्य बीज निगम (पनसीड) द्वारा 10,000 एकड़ जमीन में काश्त की जायेगी। इसी तरह रबी-2021 की शुरुआत के समय अगले सीजनों के लिए गेहूँ और धान के बीजों के लिए भी ऐसा ही किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नयी प्रौद्यौगिकी बीज की उत्पत्ति का पता लगाने में सहायक होगी जिससे यह यकीनी बनाया जा सकेगा कि किसानों को सही और प्रामाणिक बीज मिलने के अलावा नकली और घटिया मानक के बीजों की समस्या भी खत्म हो जाये जिसने पिछले समय में फसलों का बहुत ज्यादा नुक्सान किया।
घटिया गुणवत्ता के बीज किसानों तक पहुँचने की समस्या और राज्य के कृषि अर्थचारे को बुरी तरह प्रभावित करने पर चिंता जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बीज की उत्पत्ति का पता लगाए जाने से ही किसानों को गैर-मानक बीज विक्रेताओं और व्यापारियों के हाथों होते शोषण से बचाया जा सकता है।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बीज की तस्दीक और प्रमाणित करने की समूची प्रक्रिया संबंधित प्रमाणित अथॉरिटी द्वारा सॉफ्टवेयर के द्वारा की जायेगी जिससे इसमें पारदर्शिता यकीनी बनाई जा सके और इससे किसानों पर भी कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
पनसीड और पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन के एम.डी. मनजीत सिंह बराड़ ने बताया कि पनसीड द्वारा चारे के बीज के उत्पादन के लिए अन्य राज्यों में कंट्रैक्ट फार्मिंग की संभावना तलाशी जा रही है जिससे किसानों को वाजिब कीमतों पर और प्रमाणित बीज मुहैया करवाए जा सकें। इन दोनों संस्थानों ने इससे पहले आलू के बीज उत्पादन में बीज का पता लगाने की प्रौद्यौगिकी लागू की थी जिसके बहुत सफल नतीजे निकले।
श्री बराड़ ने आगे बताया कि बीज का पता लगाने का मुख्य उद्देश्य बीज खरीदते समय किसानों की मदद करना है जिससे वह बीज की उत्पत्ति की पहचान करने के योग्य हो जाएँ कि यह बीज कहाँ से आया है और कहाँ पैदा हुआ है। सॉफ्टवेयर प्रणाली बीजों की टेस्टिंग, प्रमाणीकरण और निर्माण प्रक्रिया के द्वारा बीज को ट्रैक कर सकेगी। उन्होंने बताया कि इसको डीलर के लाईसेंसिंग सिस्टम के साथ जोड़ देने पर वितरण प्रक्रिया के समय भी बीजों की ट्रेकिंग की जा सकेगी जिससे कुछ लोगों द्वारा बेचे जाते घटिया मानक के बीजों की समस्या खत्म करने में मदद मिलेगी।
-NAV GILL

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