Friday, May 3, 2024
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’नदी में पैसे नहीं डालने चाहिए। क्यों?’

-ख्वाजा को शांत रखने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी दूर स्थान पर जाते समय मांगी जाती है दुआ -आईए जानते हैं-अर्थव्यवस्था पर भारी आस्था ! -आस्था और परंपरा जारी रखने के लिए क्या करें हमारे देश में रोज न जाने कितनी रेलगाड़ियाँ,...

19 नवंबर सोमवार को होगा भगवान श्री कृष्ण के शालिग्राम रुप से तुलसी माता...

-धरती पर तुलसी के रुप में वास करती है मां लक्ष्मीइस समूचे ब्राह्मांड में हर तरफ विद्यमान परम पिता परमात्मा के स्वरुप माने जाने वाले देवी देवता किसी न किसी जीवंत रुप में इंसान को दर्शन जरुर देते हैं।...

किस पौधे में त्रिदेव व अन्य सभी देवताओं का है वास

-क्यों की जाती है पीपल के वृक्ष की पूजा? -क्या है पीपल की पूजा का वैज्ञानिक महत्व ? पेड़ पौधे हमारे जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। वनस्पति व पेड़ पौधों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी असंभव सा...

कान, नाक वेधन संस्कार का महत्व, विज्ञान ने भी स्वीकारा 

-महिलाओं के सोलह श्रृंगार का प्रतीक है कान, नाक वेधन -एक्यूप्रेशर के अहम प्वाइंट हैं कान, नाक हिन्दू धर्म में कान, नाक वेधन 16 संस्कारों का हिस्सा माने गए है। सदियों पहले प्रचलित यह संस्कार महिलाओं के सोलह श्रृंगार का जहां...

भारतीय संस्कृति में किस पौधे को मिला है देव वृक्ष का दर्जा ??

-वेदों में वर्णित है पीपल के औषधीय गुणों की जानकारी -धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है पीपल का पूजन भारतीय संस्कृति में देवी, देवताओं, जानवरों, पक्षियों, पत्थरों, पौधों के पूजन के लिए प्रदान किए विशेष महत्व के कारण ही भारतीय संस्कृति...

देवता भी “स्वाहा” से पहले नहीं ग्रहण कर पाते यज्ञ आहूति

--“भगवान अग्नि देव की पत्नी हैं स्वाहा” -“स्वाहा” का उच्चारण है अनुष्ठान की महत्वपूर्ण क्रिया किसी भी हवन यज्ञ, अनुष्ठान के दौरान मंत्रोच्चारण के बाद अग्नि में आहूति अर्पित करने के अंत में स्वाहा शब्द का उच्चारण किए जाने की परंपरा...

त्रिशक्ति मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, मां काली पिंडी रुप में यहां है विराजमान

-14वीं सदी में एक ब्राह्मण ने ढू़ंडी थी माता वैष्षों की पावन गुफा -भैरव नाथ के दर्शन बिना नहीं पूरी होती यात्रा भारतीय संस्कृति अनुसार त्रिदेव भगवान ब्रह्मा, भगवान हरि विष्णू और भगवान महादेव को इस समूचे ब्रह्मांड का रचियचा माना...

महादेव का नृत्य ही है सृष्टि के सृजन व अंत का सार

-शिव के रौद्र तांडव में है प्रलय, आनंद तांडव में है आनंद का वास महादेव भगवान शंकर द्वारा किए जाने वाले अलौकिक नृत्य तांडव में सृष्टि के सृजन व अंत का सार छिपा है। भगवान शिव का नटराज रुप एक...

सनातन धर्म में ही है गर्भाधारण से मृत्यु तक के 16 संस्कारों की परंपरा

-संस्कारों के बिना है इंसान का जीवन निराधार -प्राचीन काल से जारी सभी संस्कारों का है विशेष महत्व इंसान के जीवन की शुरुआत गर्भाधारण से होकर मृत्य पर जाकर संपन्न होती है। यह भी पूर्ण तौर से सत्य है कि इंसान...

हिंदू परंपराओं के पीछे क्या हैं वैज्ञानिक तर्क ??

  प्रत्येक संस्कृति के अपने रीति रिवाज़, अपनी परम्पराएं, अपने विश्वास होते हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं। भारतीय संस्कृति के भी अपने विश्वास, रीति रिवाज़, मान्यताएं एवं परम्पराएं हैं जो एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित...