विश्व भर में हैं देवों के देव महादेव के आलौकिक धाम

प्रदीप शाही

देवी-देवताओं में भगवान शिव ही इकलौते देवता हैं, जिनका विश्व भर में सबसे अधिक पूजन किया जाता है। भारत वर्ष में देवों के देव महादेव के सबसे अधिक मंदिर हैं। इतना ही नहीं भगवान शंकर के विश्व भर में भी बड़ी संख्या में पावन मंदिर हैं। आज आपको भारत के अलावा विश्व भर के अन्य देशों में स्थापित विशिष्ट मंदिरों की जानकारी प्रदान करते हैं। जो देखने वालों के मन में अपार श्रद्धा का संचार करते हैं। यह मंदिर किस-किस देश में स्थापित हैं।

11वीं शताब्दी में बना था नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर

नेपाल में बागमती नदी के किनारे स्थित काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। हिंदू और नेपाली वास्तुकला वाले इस मंदिर का दीमक के कारण इस मंदिर को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद इस पावन मंदिर का 17वीं सदी में दोबारा निर्माण किया गया। इस पावन मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए विश्व भर के पर्यटक सारा साल आते रहते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव की चार मुख वाली मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठित है। भगवान शिव की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए चार दरवाजों से गुजरना पड़ता है। यह चारों दरवाजे चांदी से निर्मित हैं।

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श्रीलंका के इस मंदिर में की थी भगवान श्री राम ने पूजा

श्रीलंका के गांव मुन्नेश्वरम में स्थित भगवान शिव का मुन्नेश्वरम मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। माना जाता है कि लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्री राम ने इसी मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी। इस मंदिर के प्रागंण में भगवान शिव के अलावा माता काली का भी एक मंदिर है। मंदिर में दक्षिण भारतीय द्राविड शैली की कला के दर्शन होते हैं। मंदिर के प्रांगण मे कुल पांच मंदिर बने हुए हैं। यह भी कहा जाता है कि इस पावन मंदिर पर पुर्तगालियों ने हमला कर उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।

स्विटजरलैंड में नटराज और शक्ति रुप में विराजमान है शिव-पार्वती

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले स्विटजरलैंड के ज्यूरिख शहर में भगवान शिव व माता पार्वती का शिवा टैंपल स्थापित है। छोटे से इस शिव मंदिर में भगवान शिव नटराज और माता पार्वती शक्ति के रुप में प्राण-प्रतिष्ठित हैं। इस पावन मंदिर में वहां पर रहने वाले भारतीय अपने सभी पर्वों को धूमधाम से मनाते हैं। यह सच है कि इंसान चाहे अपनी मिट्टी से कितनी भी दूर हो जाए। परंतु अपने ईष्ट देव से कभी भी दूर नहीं होता है।

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हिंदू, आस्ट्रेलियन वास्तुकला का प्रतीक है आस्ट्रेलिया का शिव-विष्णु मंदिर

वर्ष 1987 में आस्टेलिया के मेलबोर्न में निर्मित भगवान शिव और भगवान श्री विष्णु हरि जी का शिव-विष्णु मंदिर आस्था का प्रतीक है। हिंदू और आस्ट्रेलियन वास्तुकला को दर्शाते मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की भी पूर्ण विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर का उद्घाटन कांचीपुरम और श्रीलंका के दस पुजारियों ने किया था।

एम्सटर्डम का शिवा हिंदू मंदिर

एम्सटर्डम के जुईदोदोस्त में लगभग चार हजार वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में प्राण-प्रतिष्ठित शिवा हिदू मंदिर के प्रति भक्तों की बेहद आस्था है। मंदिर के प्रांगण में देवों के देव महादेव भगवान शिव संग सिद्धिविनायक भगवान श्री गणेश जी, माता दुर्गा के अलावा श्री हनुमान जी की पावन मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं। इस मंदिर में भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रुप में विराजमान है।

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न्यूजीलैंड का शिव मंदिर

न्यूजीलैंड के आकलैंड में स्थापित शिव मंदिर का निर्माण कर इसे वर्ष 2004 में भक्तों के लिए खोला गया था। इस मंदिर का निर्माण आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज और यज्ञ बाबा की अगुआई में किया गया। यहां पर भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रुप में विद्यमान हैं।

मलेशिया में तीन लाख मोतियों से बना मंदिर

मलेशिया के जोहोर बरु स्थित अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। यह मंदिर जोहोरबरु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। य़ह मंदिर जिस भूमि पर निर्मित है। इस भूमि को जोहोरबरु के सुलतान द्वारा भारतीयों को प्रदान की गई थी। जब यह मंदिर निर्मित हुआ था। यह बेहद छोटा था। परंतु आज यह मंदिर भव्य रुप ले चुका है। मंदिर के गर्भ गृह की सभी दीवारें तीन लाख मोतियों से सजी हुई है। जो देखने वाले को पहली नजर में ही अपनी तरफ आकर्षित कर लेती है।

कैलेफोर्निय़ा में शिवा विष्णु मंदिर

कैलेफोर्निया के लिवेरमोरे में स्थित भगवान शिव औऱ भगवान श्री विष्णु जी का मंदिर हिंदुओं के लिए बड़ी आस्था का केंद्र है। वास्तुकला की नजर से इस मंदिर में उत्तर औऱ दक्षिण भारत की संस्कृति के दर्शन होते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा भगवान श्री गणेश जी, माता दुर्गा, माता लक्ष्मी, भगवान अयप्पा की मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं। मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित प्रतिमाएं तमिलनाडु सरकार द्वारा दान में दी गई थी।

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इंडोनेशिया में स्थापित है 10वीं सदी में बना मंदिर

इंडोनेशिया के जावा नामक द्वीप पर प्रम्बानन मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर शहर से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत के बाहर निर्मित सबसे विशाल मंदिरों में प्रम्बानन मंदिर एक है। यूनेस्को ने इस पावन शिव मंदिर को वर्लड हेरिटेज के रुप में संरक्षित किया हुआ है।

मॉरिशस में है सागर शिव मंदिर

मॉरिशस में भगवान शिव शंकर के सागर शिव मंदिर का निर्माण वर्ष 2007 में किया गया था। हिंदुओं की आस्था के प्रतीक सागर शिव मंदिर में भगवान शिव की 108 फीट उंची विशाल कांस्य की प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठित हैं। मॉरिशस पहुंचने वाले भक्तजन इस पावन मंदिर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा के दर्शन करने जरुर पहुंचते हैं।

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भगवान शिव के आंसू से निर्मित है पाकिस्तान स्थित कटास राज मंदिर

पाकिस्तान के पंजाब चकवाल जिले में स्थित पावन कटासराज मंदिर भगवान शिव का प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर छठी से नौंवी शताब्दी के मध्य निर्मित हुआ माना जाता है। चकवाल गांव की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसू से बना कहा जाता है। कहा जाता है कि माता सती के हवन कुंड में आत्मदाह करने के बाद भगवान शिव उनके दुख से इतना आहत हुए कि उनकी आंखों से निकले आंसूओं में से दो आंसू धरती पर भी गिरे। इनमें एक कुंड पुष्कर और दूसरा कटासराज में है। इतना ही नहीं यह मंदिर द्वापर युग में (महाभारत काल) में भी स्थापित था। इस मंदिर के साथ पांडवों की कई कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

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कैलाश मानसरोवर में वास करते हैं भगवान शिव

कैलाश पर्वत हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। यह पर्वत समुद्र तल से 22 हजार फीट उंचा है। मौजूदा समय में तिब्बत पर चीन का कब्जा है। मानसरोवर झील का महत्व बेहद अधिक है। यहां पर भगवान शिव का साक्षात वास माना जाता है। इस क्षेत्र से कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

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