विदेशा में फंसे भारतीय नागरिक देश में वापसी के लिए हो रहे परेशान

-जानकारी की कमी के कारण विदेशों में नहीं मिल रहा सैलानी को सहारा
-भारत सरकार के विदेश गए नागरिकों को देश वापसी के प्रयासों की धीमी रफतार
-पंजाब सरकार प्रदेश के लोगों की वापसी के लिए कर रही है पहल कदमी
भारत सरकार की तरफ से विदेशों में सैर सपाटे लिए गए भारतीय नागरिक (सैलानी, व्यापारी,विद्यार्थी) के लिए देश में वापसी की शुरू की कार्हरवाई की धीमी गती के कारण वहां रह रहे भारतीय नागरिकों को मायूस कर रही है। विदेश में 22 मार्च से देश में वापिस आने के लिए इधर उधर भटक रहे इन भारतियों को अभी ओर लंबा समय इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि भारत सरकार ने राज्य की सरकारों को इन नागरिकों के अकड़े इकत्रित करन के लिए कहा है। पंजाब सरकार ने अपने डिप्टी कमिशनरों को एक पत्र लिख कर विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों के अांकड़े इकट्ठे करने जारी किए हैं और इसके लिए राजधानी के एक सरकारी संस्थाओं में सीधे ही अांकड़े इत्रित किए जा रहे हैं। जिसने भारत सरकार के विदेशों में फंसे नागरिकों की देश में वापसी की धीमी रफ्तार पर मोहर लगा दी है। क्योंकि विभिन्न देशों में स्थित भारतीय हाई कमिशन से यह अांकड़े तत्काल प्राप्त किए जा सकते हैं।
   विदेश गए भारतीय लोग मौजूदा समय उन देशों में भारतीय हाई कमिशन के पास पहुंच कर रहे हैं। जिनसे घंटों में ही भारत सरकार यह अांकड़े प्राप्त कर सकती है। जबकि भारत सरकार की तरफ से जो प्रक्रिया अपनाई गई है उससे  देश के सभी विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह अांकड़े इकट्‌ठे  करने को लंबा समय लग जाएगा। इसके इलावा भारत सरकार की तरफ से स्पैशल फ्लाइट चलाकर महंगी टिक्टों द्वारा इन नागरिकों को देश में वापिस लाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि उन नागरिकों की 22 मार्च से अप्रैल/ मई माह की पहले ही वापसी की टिक्टों संबंधी एयर लाईनज़ ने चुपी धार रखी है। इस लिए सिर्फ बहुत ही मजबूरी वाले भारतीय नागरिक ही इन विशेश वापसी हवाई उड़ानों द्वारा अपने देश लौट सकेंगे। मौजूदा समय आॅस्ट्रेलिया, कैनेडा और अमेरिका को विशेष हवाई उड़ानों का किराया प्रति व्यक्ति 1.20 लाख रुपए से 1.80 लाख रुपए तक है। इन यात्रियों को अपने देश पहुंच कर 14 दिन क्वारेंटाईन भी रहना पड़ेगा। इस पर बावजूद भारतीय नागरिक वापिस अपने देश लौटने के लिए तैयार हैं। लेकिन अनावश्यक देरी कारण काफी मायूस हैं।
   भारत से विदेश गए फतेहगढ़ साहिब के एडवोकेट भरत वर्मा (आॅस्ट्रेलिया), एडवोकेट रावी हरजीवन सिंह (अमरीका), इंद्रवीर सिंह टिवाना (सिडनी) व अन्यों ने इस प्रतिनिधि को टैलिफोन पर बताया कि आम तौर पर वर्क वीजा या स्टडी वीजे के लिए गए भारतीय जो वहां अपनी मुकम्मल रिहायश का प्रबंध करके रह रहे हैं और उन देशों के कानून बारे जानकारी रखते हैं उन्हें इन देशों की भुगोलिक और सामाजिक जानकारी होने के कारण वह इस मुश्किल के समय में गुरुघरों तक पहुंच करके समाजसेवी संगठनों व अन्य संगठनों से जरूरी उचित जरूरतें पूरी करने के समर्थ हैं, लेकिन घूमने फिरने के लिए विदेश गए हमारे जैसे सैलानी जानकारी की अनुपस्थिति के कारण किसी भी तरह की सहायता की गुहार नहीं लगा सकते। लाॅक डाउन होने के कारण इन देशों में बिना वजह बाहर घऊमने और हजारों डॉलर का जुर्माना है व रोजाना के खर्च किए भी हजारों डालरों में हैं। भारत से सीमित साधना द्वारा सैर सपाटे के लिए गए सैलानी कुछ दिनों के बाद बहुत ही दयनीय हालत में और मायूसी के आलम में भारत सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उनको उस समय ओर नामोशी का सामना करना पड़ रहा, जब विदेशों में भारतियों के हमदर्दी देने वाला भारतीय हाई कमिशन, कोसलेट जनरल उनका इस मुस्किल समय में साथ देने की जगह उनके साथ सौतेले वाला व्यवहार अपना रहा है। भारत में प्रधानमंत्री दफ्तर, विदेश मंत्रालय, हवावाजी मंत्रालय भी उनकी गुहार का कोई जवाब नहीं के रहा। मौजूदा समय इस लिए पंजाब के सभी नेताओं को राजनैतिक हित छोड़ कर विदेशा में अटके अपने सैंकड़ों नागरिकों को वापिस लाने के लिए एक सुर में आवाज बुलंद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का यह सुस्त व्यवहार आने वाले दिनों में इन लोगों को वापिस देश लाने की शुरू की मुहिम में देरी करने वाला है। क्योंकि पहले ही यह नागरिक गत करीब 35 दिनों से विदेशों में देश वापसी के लिए तर्स गए हैं।

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