यहां केवल मछलियों को आटा डालने से होती है, हर मनोकामना पूरी

सन्तोष चौधरी

देव भूमि हिमाचल प्रदेश के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। देव भूमि के प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है।

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प्राचीन मछिन्द्र नाथ महादेव मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के गांव मूमता में स्थित है प्राचीन ‘मछिन्द्र नाथ महादेव मंदिर’। समुद्र तल से 740 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर इस इलाके के लोगों की श्रद्धा व आस्था का केन्द्र है। मछिन्द्र नाथ महादेव इलाका वासियों के आराध्य देवता हैं और लोगों का अटूट विश्वास है कि मछिन्द्र नाथ महादेव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु जी मत्स्य अवतार के रूप में साक्षात विराजमान हैं। मंदिर के नज़दीक जोगल खड्ड में बनी झील में बड़ी संख्या में मछलियां तैरती हुई देखी जा सकती हैं। हर मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालु इन मछलियों को आटा व चने डालते हुए मन्नतें मांगते हैं। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु सोने की तार जिसे बालू कहा जाता है, मछिलयों को डालते हैं। मान्यता है कि प्राचीन समय में जिस गांव वासी के घर में शादी होती थी, वह बर्तनों के लिए मछिन्द्र नाथ महादेव से प्रार्थना करता था। वह पूरे विधि-विधान से मछिन्द्र नाथ महादेव को न्यौता देने के साथ बर्तनों की लिस्ट भी रख देता था और सुबह उसे उस स्थान पर सारे बर्तन मिल जाते थे। शादी के बाद ग्रामीण बर्तन लौटा देते था। कहते हैं कि एक बार किसी ने बर्तन लेने के बाद वापिस नहीं किए जिससे मछिन्द्र नाथ महादेव रुष्ट हो गए और यह प्रथा बंद हो गई।

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मंदिर में स्थापित शिवलिंग से जुड़ी कथा

कहा जाता है कि इस स्थान पर सदियों पहले दो नाथ महात्मा आए थे। उन्होंने एक टीले के ऊपर अपना डेरा जमा लिया और धीरे-धीरे टीले के साथ वाली ज़मीन को समतल करने लगे। इसी दौरान उन्हें एक शिवलिंग मिला। दोनों नाथों ने उस शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू कर दी और साथ ही अपना धूना भी रमा लिया। नाथों द्वारा ही इस स्थान का नाम बदलकर ‘मछिन्द्र मछियाल’ के स्थान पर ‘मछिन्द्र नाथ महादेव’ कर दिया गया। आज भी यह पावन स्थान ‘मछिन्द्र नाथ महादेव’ के नाम से प्रसिद्ध है और इसी स्थान पर प्राचीन शिवलिंग व धूने के दर्शन भी होते हैं।

एक स्थान पर ही रहती हैं हज़ारों मछलियां

इस मंदिर के नज़दीक एक खड्ड में हज़ारों की संख्या में मछलियां देखने को मिलती हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पानी के तेज़ बहाव में बहने के बाद भी यह मछलियां अपने स्थान पर लौट आती हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इन मछलियों को आटा व चने डालते हैं।

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मंदिर से जुड़ी चमत्कारिक घटना

प्राचीन कथा के अनुसार मूमता गांव का एक व्यक्ति नहाते समय इस खड्ड में डूब गया था। ढूंढने पर भी वह व्यक्ति नहीं मिला था। जब चार साल बाद उसका श्राद्ध यानि चवर्ख किया गया तो वह व्यक्ति अचानक से लोगों को दिखाई दिया तो लोग हैरान रह गए। घर पहुंचने पर उसकी पत्नी ने हठ पूर्वक उससे पूछा कि वह इतने साल कहां था तो उसने बताया कि डूबने के बाद उसने मछिन्द्र नाथ के साथ ही अन्य देवी-देवताओं के दर्शन किए हैं। सारी कहानी बताते हुए वह मृत्यु को प्राप्त हो गया।

मंदिर के पर्व व त्योहार

मछिन्द्र नाथ महादेव मंदिर में हर साल मई महीने में एक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे मछियाल मेले के रूप में जाना जाता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण कुश्ती दंगल होता है। इस दंगल में हिमाचल प्रदेश के बाहर से भी पहलवान पहुंचते हैं। इस दौरान एक झंडे के साथ शोभा यात्रा भी निकाली जाती है जो गांव से शुरू होकर मंदिर तक पहुंचती है। इसके बाद पूजा अर्चना होती है और झंडे को कुश्ती वाले मैदान तक लेजाया जाता है। फिर इस झंडे को विजेता पहलवान मछिन्द्र नाथ महादेव के चरणों में अर्पित कर देता है। इसके अलावा शिवरात्रि, जन्माष्टमी व रामनवमी आदि के पर्व भी इस मंदिर में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

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मछिन्द्र नाथ महादेव तक कैसे पहुंचें

मछिन्द्र नाथ महादेव मंदिर तक बस, कार या टैक्सी के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह प्राचीन मंदिर कांगड़ा के विधान सभा क्षेत्र नगरोटा बगवां के नज़दीकी गांव मूमता में स्थित है। कांगड़ा से पालमपुर को जाने वाले मार्ग पर एक कस्बा है नगरोटा बगवां। इस कस्बे से पहले ही बड़ोह रोड़ चौक से मछिन्द्र नाथ महादेव मंदिर को रास्ता जाता है। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कांगड़ा तक पंजाब के रोपड़ व नंगल से होते हुए बस या टैक्सी के द्वारा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा पठानकोट से भी सीधा सड़क मार्ग कांगड़ा तक जाता है। पठानकोट से एक छोटी रेल गाड़ी कांगड़ा से होते हुए जोगिन्द्र नगर तक जाती है। मंदिर का नज़दीकी रेलवे स्टेशन समलोटी है।

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