पंजाब को खेल के क्षेत्र में फिर नंबर एक राज्य बनाने के साथ साथ खिलाडिय़ों के लिए अनुकूल माहौल का निर्माण करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पंजाब सरकार की प्राथमिकता राज्य में खेल बुनियादी ढांचे को विकसित करना और इसका नवीनीकरण करना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस साल खेल नीति लागू की गई है। खिलाडिय़ों को लाभ पहुँचाने के लिए ‘महाराजा रणजीत सिंह अवार्ड्ज़’ शुरू किये गए हैं।
यह खुलासा आज यहाँ पंजाब भवन में खेल मंत्री पंजाब राणा गुरमीत सिंह सोढी ने ‘महाराजा रणजीत सिंह अवार्ड स्क्रीनिंग कमेटी’ की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए किया। उन्होंने कहा कि यह अवार्ड देने सम्बन्धी साल 2011 -2016 का बैकलॉग जल्द ही पूरा कर दिया जायेगा और इस बात को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग खिलाडिय़ों समेत 60 से अधिक खिलाडिय़ों के नाम की सिफ़ारिश महाराजा रणजीत सिंह अवार्ड के लिए की गई है। यह नाम जल्द ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली उच्च कमेटी को भेजे जाएंगे जो इस सम्बन्धी अंतिम फ़ैसला लेगी।
खेल मंत्री ने कहा कि पंजाब के साथ सम्बन्धित जिन खिलाडिय़ों को 2011, 2012, 2013, 2014 और 2015 में पद्म श्री, अर्जुन अवार्ड और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड मिला है, वह महाराजा रणजीत सिंह अवार्ड प्राप्त करने के लिए सीधे तौर पर योग्य होंगे। उन्होंने आगे कहा कि इन खिलाडिय़ों को राज्य स्तरीय समारोह में जल्दी सम्मानित किया जायेगा। इसके अलावा विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में पंजाब के 800 पदक विजेताओं को भी मोहाली में करवाए जाने वाले समागम में 15 नवंबर को नकद इनामों के साथ सम्मानित किया जायेगा।
इससे पहले ‘पैरा स्पोर्टस एसोसिएशन ऑफ पंजाब’ के शिष्टमंडल के साथ मीटिंग के दौरान स. सोढी ने भरोसा दिया कि राज्य सरकार इन खिलाडिय़ों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है और उनके लिए कोई नीति बनाते समय इन खिलाडिय़ों के हितों को ध्यान में रखा जायेगा। उन्होंने ‘पैरा स्पोर्टस एसोसिएशन ऑफ पंजाब‘ को ‘पंजाब स्टेट स्पोर्टस कौंसिल’ से मान्यता दिलाने की माँग पर भी हमदर्दी के साथ विचार करने का भरोसा दिया।
इस अवसर पर खेल और युवा मामले, पंजाब के प्रमुख सचिव श्री संजय कुमार, डायरैक्टर, खेल श्रीमती अमृत कौर गिल और सहायक डायरैक्टर, खेल, पंजाब करतार सिंह सैहंबी भी उपस्थित थे।