भारतीय ऋषियों के आविष्कारों का आधुनिक विज्ञान आज भी है कायल

-इन आविष्कारों की हजारों साल पहले हुई थी खोज

प्रदीप शाही

भारतीय संस्कृति की पहचान वेदों, पुराणों, उपनिषदों से है। इन ग्रंथों में रचित श्लोकों में ज्ञान विज्ञान का समुचित भंडार छिपा है। हजारों साल पहले रचित इन ग्रंथों में भारतीय ऋषियों मुनियों द्वारा किए गए आविष्कारों का समूचा विवरण संग्रहित है। इन आविष्कारों का आधुनिक विज्ञान भी कायल हो चुका है। चाहे हमारे भारतीय ऋषियों के आविष्कारों को पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने अपनी खोज बना कर प्रसिद्धि हासिल की है। पर सच को कभी भी झुठलाया नहीं जा सकता है। हम आपको भारत के उन महान ऋषियों के किए गए आविष्कारों के बारे जानकारी प्रदान करेंगे। जो असल में इन आविष्कारों के ज्ञाता थे। परंतु कहीं भी भारतीय महान ऋषियों के आविष्कारों को प्रमुखता नहीं मिली है।

इसे भी देखें…रोग मुक्त करता है इस ‘मंत्र’ का जाप…हर अक्षर में छिपा है गूढ़ रहस्य  वायुयान की खोज राइट बंधुओं ने नहीं ऋषि भारद्वाज ने की

ऋषि भारद्वाज ने 600 ईसा पूर्व वायुयान के बारे एक विस्तृत जानकारी प्रदान करने वाले ग्रंथ की रचना की थी। जिसकी पहचान विमान शास्त्र के नाम से होती है। यह खोज ऋषि भारद्वाज ने राइट बंधुओं से 2500 वर्ष पूर्व ही कर ली थी। वायुयान बनाने के सिद्धांत विमान शास्त्र में पहले से ही मौजूद थे। रामायण में रावण के पास पुष्पक विमान का उल्लेख होना इस बात को प्रमाणित करता है। सबसे खास बात यह है कि ऋषि भारद्वाज के विमान शास्त्र में यात्री विमान, लड़ाकू विमान और स्पेस शटल यान के बारे भी उल्लेख मिलता है। इस शास्त्र में अन्य ग्रह पर उड़ान भरने वाले विमानों के बाबत भी जानकारी संग्रहित है। साथ ही वायुयान को अदृश्य कर देने की तकनीक की जानकारी वर्णित है।

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सर्जरी के आविष्कारक थे महर्षि सुश्रुत

आधुनिक विज्ञान में सर्जरी करने की प्रक्रिया मात्र 400 साल पहले शुरु हुई थी। जबकि महर्षि सुश्रुत ने 2600 साल पहले सर्जरी करना शुरु कर दिया था। महर्षि सुश्रुत द्वारा रचित सुश्रुत संहिता ग्रंथ में सर्जरी से संबंधित बहुमूल्य जानकारी संग्रहित है। महर्षि सुश्रुत की ओर से अपने समय में तत्कालीन माहिरों के साथ मिल कर आंखों में मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी, बच्चे के जन्म (प्रसव) व प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की सर्जरी करने की जानकारी है। जानकारी अनुसार महर्षि सुश्रुत के पास अपने ही तरह के निर्मित सर्जरी के उपकरण थे, जिनका वह उबालकर प्रयोग करते थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा रचित सुश्रुत संहिता ग्रंथ में चाकू, सुइयां, चिमटे के अलावा 125 से भी अधिक सर्जरी करने वाले आवश्यक उपकरणों के नाम मिलते हैं। इतना ही नहीं और इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार की सैंकड़ों सर्जरियां किए जाने का उल्लेख भी मिलता है।

न्यूटन से पहले गुरुत्वाकर्षण नियम को भास्कराचार्य ने था खोजा

विश्व भर में गुरुत्वाकर्षण के नियम का जानकार न्यूटन को माना जाता है। परंतु सत्य यह है कि प्राचीन भारत के सुप्रसिद्ध गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री भास्कराचार्य द्वारा लिखिथ ग्रंथों ने ही अनेक विदेशी विद्वानों को बेहतर ढंग से शोध करने को प्रेरित किया था। भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को न्यूटन से 500 साल पहले ही जान लिया था। इस नियम का उल्लेख उनके द्वारा लिखित सिद्धांतशिरोमणि ग्रंथ में दर्ज है। सबसे खास बात यह है कि भास्कराचार्य द्वारा लिखित ग्रंथों का अनुवाद विश्व की कई विदेशी भाषाओं में हो चुका है। भास्कराचार्य ने अपने ग्रंथ में लिखा था कि पृथ्वी अपने आकाश का पदार्थ स्वशक्ति से अपनी तरफ खींचने में सक्षम है। इस कारण आकाश का पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है।  इससे प्रमाणित होता है कि पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण की शक्ति है।
इसके अलावा भास्कराचार्य द्वारा रचित ग्रंथ लीलावती में गणित और खगोल विज्ञान पर भी प्रकाश डाला  है। वर्ष 1163 ईस्वी में रचित करण कुतूहल नामक ग्रंथ में यह भी लिखा है कि जब चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है। तो सूर्यग्रहण लगता है। और जब धरती की छाया चंद्रमा को ढक लेती है, तो चंद्रग्रहण लगता है। भास्कराचार्य द्वारा लिखित यह पहला प्रमाण था। जिसमें जनमानस को गुरुत्वाकर्षण, चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण की सटीक जानकारी प्राप्त हुई थी। गौर हो भास्कराचार्य का जन्म 1114 ईस्वी को हुआ था। और उनकी  मृत्यु 1179 ईस्वी को हुई थी।

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ऋषि कनाद ने सबसे पहले हासिल की थी परमाणु सिद्धांत की सटीक जानकारी

आधुनिक काल में सबसे घातक परमाणु बम का आविष्कार जे रॉबर्ट ओपनहाइमर द्वारा किया माना जाता है रॉबर्ट की अगुआई में वर्ष 1939 से 1945 तक लगातार छह साल तक  कई वैज्ञानिकों ने शोध कर परमाणु बम का आविष्कार किया था। जबकि परमाणु बम का पहला परीक्षण 16 जुलाई 1945 को किया गया था। जबकि बड़ी संख्या में लोग परमाणु सिद्धांत और अस्त्र के जनक जॉन डाल्टन को मानते हैं। परंतु असल सत्य यह है कि इन वैज्ञानिकों से 2500 साल पहले ऋषि कणाद ने वेदों में लिखे सूत्रों के आधार पर परमाणु सिद्धांत खोज लिया था। भारतीय इतिहास में ऋषि कणाद को परमाणु शास्त्र का जनक कहा जाता है। ऋषि कणाद अनुसार द्रव्य के परमाणु होते हैं। नामवर इतिहासकार टीएन कोलेबु्रक ने अपनी किताब में लिखा था कि अणुशास्त्र में आचार्य कणाद तथा अन्य भारतीय शास्त्रों के जानकार यूरोपीय वैज्ञानिकों की तुलना में बेहतर थे।

महर्षि अगस्त्य जानते थे बिजली उत्पादन का सूत्र

बिजली उत्पादान का आविष्कार थॉमस एडिसन के नाम है। परंतु थॉमस एडिसन अपने एक किताब में लिखा था कि एक रात में एक संस्कृत का श्लोक पढ़ते-पढ़ते सो गया। रात को सपने में उस संस्कृत के श्लोक के अर्थ की जानकारी मिल गई। जिससे मुझे बिजली उत्पादन के बारे जानकारी मिली। वहीं दूसरी तरफ राजा दशरथ के राजगुरु महर्षि अगस्त्य एक वैदिक ऋषि थे। सप्तऋषियों में से एक महर्षि अगस्त्य ने अपने जीवन काल में अगस्त्य संहिता नामक ग्रंथ की रचना की थी। जिसमें बिजली उत्पादान के सूत्र की विस्तार सहित जानकारी संग्रहित थी। सबसे खास बात यह भी है कि महर्षि अगस्त्य ने बैटरी द्वारा तांबा, सोना या चांदी पर पॉलिश चढ़ाने की विधि भी खोज निकाली थी।

इस श्लोक में दर्ज है बिजली उत्पादन संबंधित सूत्र

संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्‌।छादयेच्छिखिग्रीवेन
चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:।
संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्‌॥
-अगस्त्य संहिता

अर्थात : एक मिट्टी का बर्तन लें। उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) को डालें। तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) को डालें। फिर उसके बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) को लगायें। उसके ऊपर पारा (mercury‌) और दस्त लोष्ट (Zinc) को  डालें। जब इन तारों को मिलाएंगे। तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) पैदा होगी। अगस्त्य संहिता में बिजली के उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) की भी जानकारी मिलती है।

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