इन देशों में बने भव्य मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित हैं भगवान शिव ??
-नेपाल, पाकिस्तान, श्री लंका के मंदिर पर्यटन का बड़ा केंद्र
भारतीय पुरातन संस्कृति को जानने के लिए हर किसी के मन में हमेशा ही उत्सुक्ता बनी रहती है। भारतीय ही नहीं विदेशी भी इस संस्कृति को पास से देखने व समझने में उत्सुक रहे हैं। भारत के कोने-कोने में सदियों से अदभुत मंदिर बने हुए हैं। यह सब देवताओं से मिले आशीर्वाद की ही फल है। विदेश में भी देवों के देव महादेव भगवान शिव
के एेसे मंदिर है। जहां पर भारतीयों की तुलना में विदेशी अधिक नमन करने आते हैं। यह मंदिर उन देशों के पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बने हुए हैं। आईए आपको विदेश में भगवान शंकर के बने भव्य मंदिरों के बारे बताते हैं।
भगवान शिव के आंसू से बना पाकिस्तान के कटासराज मंदिर का कुंड
पाकिस्तान के चकवाल गांव से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित कटास में एक पहाड़ी पर कटासराज का प्राचीन मंदिर स्थापित है। यह मंदिर महाभारत काल (त्रेतायुग) में भी था। मान्यता अनुसार कटासराज मंदिर का कटाक्ष कुंड भगवान शिव के आंसुओं से बना है। इस कुंड के निर्माण के पीछे एक कथा है। देवी सती की मृत्यु हो गई थी। तब भगवान शिव की आंखों से दो आंसू निकले। इन आंसुओं से दो कुंड बन गए। जिसमें से एक कुंड राजस्थान के पुष्कर नामक तीर्थ पर है और दूसरा यहां कटासराज मंदिर में बना।
नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर
नेपाल के काठमांडू स्थित भगवान श्री पशुपतिनाथ के मंदिर के निर्माण 11वीं सदी में किया गया था। दीमक के कारण मंदिर को भारी क्षति हुई। इसके बाद 17वीं सदी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति तक पहुंचने के चार दरवाजे बने हुए हैं। वे चारों दरवाजे चांदी के हैं। इस मंदिर में हिंदू और नेपाली वास्तुकला के दर्शन होते हैं।
श्री लंका स्थित है प्राचीन मुन्नेस्वरम मंदिर
मुन्नेस्वरम मंदिर के इतिहास को रामायण काल से जुड़ा माना जाता है। मान्यता अनुसार रावण का वध करने के बाद भगवान श्री राम ने इसी जगह पर भगवान शिव की आराधना की थी। इस मंदिर परिसर में कुल पांच मंदिर स्थापित हैं। इन पांचों मंदिरों में से भगवान शिव का मंदिर ही सबसे भव्य है।
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10वीं शताब्दी में बना था प्रम्बानन मंदिर
इंडोनेशिया के जावा में 10वीं शताब्दी में प्रम्बानन मंदिर का निर्माण किया गया थ। यह मंदिर शहर से करीब 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर देवी देवताओं की प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठित हैं।
मलेशिया में तीन लाख मोतियों से सजा है मंदिर का गर्भ गृह
मलेशिया के जोहोर बरु स्थित अरुल्मिगु श्रीराजा कलिअम्मन मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था। यह इस क्षेत्र का सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर की भूमि को जोहोर बरु के सुल्तान ने भारतीयों को भेंट स्वरुप दी थी। मंदिर के गर्भ गृह में तीन लाख बहुमूल्य मोतियों को दीवारों पर सजावट के तौर पर चिपकाया हुआ है।
चार हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में स्थित है एम्स्टर्डम का शिवा हिंदू मंदिर
एम्स्टर्डम के जूईदोस्त स्थित शिवा हिंदू मंदिर लगभग चार हजार वर्ग मीटर को क्षेत्र में फैला हुआ है। इस भव्य मंदिर में भगवान शिव के संग भगवान श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान हनुमान की भी पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पर भगवान शिव पंचमुखी शिवलिंग के रूप विद्यमान है।
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स्विटजरलैंड में नटराज स्वरुप में विराजमान हैं भोले नाथ
स्विटजरलैंड के ज्युरिख स्थित शिवा टैंपल में भगवान शिव नटराज स्वरुप में विराजमान है। इस मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के पास माता पार्वती की शक्ति से रूप में मूर्तियां स्थित है।
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आस्ट्रेलिया स्थित शिवा-विष्णु मंदिर
भारतीय देवी देवताओं के प्रति श्रद्धा का प्रमाण इस बात से मिलता है। आस्ट्रेलिया स्थित मेलबोर्न में भगवान शिव और विष्णु को समर्पित शिवा-विष्णू मंदिर का निर्माण वर्ष 1987 में किया गया था। मंदिर का उद्घाटन कांचीपुरम और श्रीलंका से दस पुजारियों ने पूरे विधि विधान से पूजा करके किया था। इस मंदिर की वास्तुकला में हिंदू और आस्ट्रेलियाई परंपराओं का समावेश दिखता है। मंदिर में कई अन्य देवी देवताओं की भी प्रतिमाएं स्थापित हैं।
न्यूजीलैंड में भगवान शिव नवदेश्व शिवलिंग के रुप में है विराजमान
न्यूजीलेंड के आकलेंड स्थित शिवा मंदिर का निर्माण आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी शिवेंद्र महाराज और यज्ञ बाबा के मार्गदर्शन में हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव नवदेश्वर शिवलिंग के रूप में है।
तमिलनाडू़ सरकार ने दान में दी कैलिफोर्निया मंदिर में प्रतिमाएं
कैलिफोर्निया लिवेरमोरे स्थित शिवा विष्णु मंदिर में स्थापित मूर्तियां तमिलनाडू सरकार ने दान में दी थी। यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है। वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर उत्तर भारत और दक्षिण भारत की कला का सुंदर मिश्रण है। मंदिर में महादेव के अलावा भगवान श्री गणेश, देवी दुर्गा, भगवान अय्यप्पा, देवी लक्ष्मी के भी मंदिर है। मंदिर की अधिकांश मूर्तियों 1985 में तमिलनाडु सरकार द्वारा दान की गई थी।
कुमार प्रदीप