-पाताल लोक में रहते थे भगवान श्री विष्णु जी के पुत्र
प्रदीप शाही
देवी देवताओं ने जब भी अवतार लिया। इन अवतारों ने असुर प्रवृति वालों का संहार किया। परंतु धार्मिक ग्रंथों में एक ऐसा उल्लेख भी मिलता है। जो बेहद विशेष है। वह है भगवान शिव के एक अवतार द्वारा भगवान श्री विष्णु हरि के पुत्रों का वध करना। आखिर क्यों भगवान महादेव के अवतार ने भगवान विष्णु जी के पुत्रों का वध किया। श्री विष्णु हरि जी के पुत्र कहां रहते थे। और भगवान शिव के किस अवतार ने श्री विष्णु हरि के पुत्रों का वध किया।
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भगवान शिव के कहने पर पाताल लोक में किया विष्णु हरि ने वास
पुराणों में वर्णित कथा अनुसार समुद्र मंथन में देवताओं में दानवों ने अपना-अपना योगदान दिया। समुद्र मंथन के दौरानन अमृत कलश निकला। भगवान श्री विष्णु हरि अमृत कलश को असुरों की नजरों से बचाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपनी माया से अप्सराओं को उत्पन्न किया। सभी असुर अप्सराओं को देख कर उन पर मोहित हो गए। औऱ सभी अप्सराओं को बलपूर्वक पाताल लोक ले गए। इस दौरान सभी देवताओं ने अमृत कलश में से अमृत का सेवन कर लिया। जब असुर पाताल लोक में अप्सराओं को बंदी बना कर वापिस लौटे। तो उन्हें देवताओं की इस चाल की जानकारी मिली।
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इस घटना के बाद असुर बेहद गुस्से में आ गए। और उन्होंने देवताओं पर हमला कर दिया। वहीं दूसरी तरफ देवता अमृत का सेवन करने के चलते अमर हो गए। ऐसे में असुरों को देवताओं का हाथों पराजय झेलनी पड़ी। तथा अपनी जान बचाने के लिए पाताल लोक की तऱफ भाग गए। असुरों का समुचित संहार करने की प्रतिज्ञा लिए भगवान श्री विष्णु हरि पाताल पहुंच गए। जहां उन्होंने समूचे दानवों का संहार कर दिया। और अप्सराओं को मुक्त करवा लिया।
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असुरों की कैद से मुक्त हुई अप्सराओं ने जब भगवान श्री विष्णु जी को देखा, तो वह उन पर ही मोहित हो गई। अप्सराओं ने भगवान शिव से विष्णु जी को उनका स्वामी बनने का वरदान मांगा। भगवान शिव ने तथास्तु कहते अप्सराओं को उनका मनचाहा वरदान दे दिया। साथ ही भगवान श्री विष्णु जी को अप्सराओं के साथ पाताल लोक में ही वास करने के लिए कहा। भगवान शिव की आज्ञा का पालन करने के लिए भगवान श्री विष्णु जी अप्सराओं सहित पालात लोक में रहने लगे।
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भगवान श्री विष्णु को अप्सराओं से हुई पुत्रों की प्राप्ति
भगवान श्री विष्णु जी, अप्सराओं सहित पाताल लोक में वास करने लगे। वहां पर उन्हें कुछ पुत्रों की भी प्राप्ति हुई। सबसे दुखद बात यह थी कि उनके सारे पुत्र राक्षसी प्रवृति के थे। भगवान श्री विष्णु के इन पुत्रों ने अपनी राक्षसी प्रवृति के चलते तीनों में लोकों में आतंक मचा दिया। सबी देवता उनके अत्याचारों से परेशान हो गए। ऐसे में सभी देवता इस समस्या के समाधान के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। साथ ही उन्होंने भगवान शिव से भगवान विष्णु व अप्सराओं से पैदा हुए इन आतंकी पुत्रों का संहार करने की प्रार्थना की।
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भगवान शिव के वृषभ अवतार हुए अवतरित
देवी देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने एक बैल (वृषभ) के रुप में अवतार लिया। अवतरित होने के बाद शिव जी के वृषभ अवतार पाताल लोक पहुंचे। उन्होंने विष्णु जी के सभी पुत्रों का संहार कर दिया। भगवान विष्णु ने जब अपने वंश का नाश होते देखा, तो उन्हें क्रोध आ गया। क्रोधित भगवान विष्णु हरि ने वृषभ पर आक्रमण कर दिया। वृषभ पर अपने सभी वार असफल होने पर भगवान श्री विष्णु परेशान हो गए। बावजूद इसके वृषभ और भगवान श्री विष्णु के मध्य लंबे समय तक युद्ध जारी रहा। युद्ध का कोई परिणाम न निकलता देख कर अप्सराओं ने भगवान शिव से मिले वरदान से भगवान श्री विष्णु को मुक्त कर दिया। वरदान से मुक्ति मिलने के साथ भगवान श्री विष्णु जी को सारी घटना का बोध हुआ। तो उन्होंने भगवान शिव को नमन किया। इसके बाद भगवान शिव जी के कहने के पर भगवान श्री विष्णु हरि जी पाताल लोक को तज कर विष्णु लोक प्रस्थान कर गए।