-श्राप के डर से ही माता सीता को नहीं लगाया था हाथ
प्रदीप शाही
देवी-देवता हो या फिर इंसान। इनमें किसी भी द्वारा दिया गया श्राप कभी भी विफल नहीं जाता है। इन श्राप के कारण ही प्राचीन काल में सदा ही अधर्म पर धर्म की जीत हुई। इतना ही नहीं श्राप के कारण ही अन्याय पर अंकुश लगाने में मदद मिल सकी। श्राप का ही असर था कि माता सीता का बलशाली रावण ने छल से अपहरण करने के बावजूद माता सीता को हाथ भी नहीं लगाया था। इसका प्रमुख कारण लंकेश्वर रावण को नल-कुबेर की ओऱ से दिया गया एक श्राप था। नल-कुबेर से मिले श्राप के डर से ही लंकेश्वर ने माता सीता को अपने महल में रखने के स्थान पर अशोक वाटिका में रखने के लिए मजबूर हुआ था। आईए जानते हैं कि आखिर नल-कुबेर ने बलशाली रांवण को किस वजह से श्राप दिया था।
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नल-कुबेर ने बलशाली रावण को क्यों दिया था श्राप
एक प्रसंग अनुसार एक बार बलशाली रावण ने तीनों लोकों में अपने विश्व विजय अभियान के दौरान स्वर्ग पर चढ़ाई कर दी। स्वर्ग में उसकी नजर अत्यंत खूबसूरत अप्सरा रंभा पर पड़ी। अप्सरा रंभा की खूबसूरती से प्रभावित हो कर रावण ने रंभा को पकड़ लिया। अप्सरा रंभा ने रावण को बताया कि वह उनके भाई के बेटे नल-कुबेर की पत्नी बनने वाली है। ऐसे वह उनकी पुत्रवधू हैं। महाबलशाली, दंभ से चूर रावण ने अप्सरा रंभा की बात को नजरंदाज करते हुए उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया। जब नल-कुबेर को रावण की ओर से की गई इस घटना की जानकारी मिली तो वह क्रोध से भर गया। ऐसे में नल-कुबेर ने रावण को श्राप देते कहा कि वह भविष्य में कभी भी किसी भी स्त्री को उसकी सहमति के बिना छू भी नहीं पाएगा। इतना ही नहीं यदि जोर-जरदस्ती से वह किसी भी महिला को अपने महल में रखने की कोशिश भी करेगा। तो वह अग्नि से भस्म हो जाएगा।
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माता सीता को हरण कर अशोक वाटिका में था रखा
एक अन्य प्रसंग अनुसार महाबलशाली रावण ने अपनी बहन शूर्पनखा के लक्ष्मण द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने के चलते भगवान श्री राम व लक्ष्मण को सबक सिखाने के लिए माता सीता का अपहरण किय़ा था। माना जाता है कि माता सीता असल में लंकेश्वर रावण की पहली पुत्री थी। भविष्यवाणी अनुसार रावण की पहली पुत्री ही असुर जाति के विनाश का कारण बनेगी। इस लिए रावण ने रावण को उनके मंत्रियों ने इस बच्ची को मारने की सलाह थी। परंतु रावण ने अपनी पहली बेटी को एकांत में छोड़ दिया। परंतु इस बच्ची को महाराजा जनक ने उठा कर इसका पालन पोषण करते हुए इसे राजकुमारी घोषित किया। जब लंकेश्वर को यह पता चला कि उसकी पहली बेटी मिथिला में राजा जनक के घर में बतौर राजकुमारी बन रह रही है। तब रावण अपनी बेटी की सारी जानकारी एकत्रित करनी शुरु कर दी। जब रावण को सीता का एक स्वंयवर के दौरान बल के आधार पर वर चुनने की जानकारी मिली। रावण को सीता व श्री राम के वन में जानकारी मिली तो उसने वन में से सीता का हरण कर लिया। सीता का हरण करने के बाद उसे अशोक वाटिका में रखा। ताकि माता की हर जरुरत को पूरा किया जा सके। अशोक वाटिका में रावण की आज्ञा के बिना कोई भी इंसान प्रवेश नहीं कर सकता था। इसका मुख्य कारण सीता की सुरक्षा करना था। उपरोक्त दोनों कारणों की वजह से ही रावण ने कभी भी माता सीता को छूने की कोशिश नहीं की थी। और न ही रावण ने किसी भी सीमा को पार किया।
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