पंजाब के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बुधवार को कृषि आर्डीनैंसों के खि़लाफ़ राज्यपाल को मिलेगा

चंडीगढ़, 14 सितम्बर:

संसद में कृषि आर्डीनैंसों को पेश करने से पहले केंद्र की तरफ से पंजाब को भरोसे में लेने के किये दावे को सिरे से खारिज करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को प्रधानमंत्री के पास अपील की कि वह इसको कानून बनाने के लिए आगे न बढ़ाएं। इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि वह अपनी पार्टी के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे जो बुधवार को इस ख़तरनाक आर्डीनैंसों के खि़लाफ़ राज्यपाल को मिल कर अपना माँग पत्र देगा।

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सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में मुख्यमंत्री के अलावा पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़, कुछ मंत्री और पार्टी के विधायक भी शामिल होंगे।

राज्यपाल के पास प्रतिनिधिमंडल ले जाने का फ़ैसला भाजपा के नेतृत्व अधीन केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब समेत अलग-अलग राज्यों में किसानों के भारी विरोध के बावजूद इन तीन विवादित आर्डीनैंसों को कानून बनाने के लिए संसद में पेश करने के बाद लिया गया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हुये विनती भी की कि इन आर्डीनैंसों की पैरवी न की जाये और न्युनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) को किसानों का कानूनी हक बनाया जाये। उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह पंजाब के लोगों और किसानों को निराश न करें और उनकी आर्डीनैंसों को आगे न ले जाने की विनती पर हामी भरेें। यह आर्डीनैंस किसानों के हित में नहीं हैं।

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इसी दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की तरफ से इन आर्डीनैंसों के द्वारा कहे जा रहे कथित सुधारों का निरंतर विरोध करने की वचनबद्धता दोहराते हुये एक बयान में कहा कि किसी भी मौके पर पंजाब ने ऐसे कदम की हिमायत नहीं की जिसका कि केंद्र सरकार की तरफ से प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वास्तव में पंजाब के उच्च ताकती कमेटी के मैंबर बनने के बाद हुई अकेली मीटिंग में आर्डीनैंसों पर एक बार भी चर्चा नहीं हुई।

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खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिम वितरण केंद्रीय राज्य मंत्री राओसाहेब पाटिल दानवे की तरफ से आज संसद में दिए बयान कि सभी मैंबर राज्यों की तरफ से सहमति देने के बाद ही कृषि के बारे उच्च ताकती कमेटी ने आर्डीनैसों संबंधी फ़ैसला किया गया, पर प्रतिक्रिया देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस गुप्त ढंग से आर्डीनैंसों को पेश किया गया, उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि केंद्र सरकार का किसानों के हितों की रक्षा का कोई इरादा नहीं था और वह शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करने पर तुली हुई थी जिसने एम.एस.पी. को धीरे-धीरे वापस लेने और एफ.सी.आई. को ख़त्म करने की सिफ़ारिश की थी।

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कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि आर्डीनैंस पंजाब को मंज़ूर नहीं हैं और कृषि के राज्य का विषय होने के कारण यह संघीय ढांचे के खि़लाफ़ भी हैं।

प्रधानमंत्री का ध्यान इस मुद्दे पर अपने 15 जून के अर्ध-सरकारी पत्र की तरफ दिलाते हुये कैप्टन अमरिन्दर ने आज पत्र में कहा, ‘पंजाब के किसानों और ज़्यादातर राजनैतिक पार्टियों ने केंद्र सरकार को यह आर्डीनैंस वापस लेने की अपील की है क्योंकि इन आर्डीनैंसों के अमल में आने से राज्य के कृषि सैक्टर को भारी चोट पहुंचेगी।’ उन्होंने आगे कहा कि पंजाब विधान सभा ने 28 अगस्त, 2020 को हुए अपने सैशन में इन आर्डीनैंसों को वापस लेने और किसानों का कानूनी हक बना कर न्युनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जारी रखे जाने को यकीनी बनाने के लिए एक प्रस्ताव पास किया था।

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देश को खाद्य सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए पंजाब के किसानों द्वारा दी सेवाओं का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि इन किसानों को मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि आप हमारी चिंताओं की कद्र करोगे और देश और ख़ास कर पंजाब के लाखों छोटे और सीमांत किसानों की भलाई के मद्देनजऱ इन आर्डीनैंसों की समीक्षा करोगे।’

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इसको ग़ैर जिम्मेदाराना करार देते हुये कहा कि पंजाब ने कभी भी इस तरह की गतिविधियों का समर्थन नहीं किया और न ही उनके साथ आर्डीनैंस जारी होने से पहले सलाह -परामर्श किया गया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब को जुलाई 2019 में केंद्र सरकार की तरफ से बनाई उच्च स्तरीय कमेटी से बाहर रखा गया था। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार की तरफ से अगस्त 2019 में किये विरोध के बाद ही पंजाब को इस कमेटी में शामिल किया गया था। उस समय तक कमेटी पहले ही अपनी पहली मीटिंग कर चुकी थी।

16 अगस्त, 2019 को हुई दूसरी मीटिंग में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने पंजाब की नुमायंदगी की और कृषि के साथ जुड़े कुछ वित्तीय मुद्दों पर ही विचार विमर्श किया। मनप्रीत सिंह बादल के अनुसार उस मीटिंग में आर्डीनैंस या इसके उपबंध सम्बन्धी कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया था।

इसके बाद 3 सितम्बर, 2019 को मैंबर राज्यों के कृषि सचिवों की एक मीटिंग हुई थी जिसमें पंजाब ने ए.पी.एम.सी. एक्ट के खि़लाफ़ सख़्त रूख अपनाया था। कमेटी की मसौदा रिपोर्ट को टिप्पणियों के लिए सभी सदस्यों के साथ सांझा किया गया जिसके बाद पंजाब ने किसान हितैषी कानून को ख़त्म करने सम्बन्धी उठाये जाने वाले किसी भी कदम का सख़्त विरोध किया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब की टिप्पणियों को ध्यान नहीं दिया और वास्तव में इसके बाद कोई मीटिंग या विचार-विमर्श नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद केंद्र सरकार ने महामारी के दौरान ही जून 2020 में आर्डीनैंस जारी करने को चुना।

–NAV GILL

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