आस्था के साथ ही तुलसी है रामबाण औषधि
हिन्दू धर्म में शुरू से ही पेड़-पौधों को महत्व दिया जाता है। कुछ पेड़-पौधों के साथ भारतीय जन मानस की आस्था जुड़ी है। खासकर पीपल के पेड़ को विशेष महत्व देते हुए इसकी पूजा की जाती है। पीपल के अतिरिक्त एक पौधा ऐसा भी है जो लगभग प्रत्येक हिन्दू घर में पाया जाता है। यह पौधा है ‘तुलसी’। तुलसी का जितना धार्मिक महत्व है उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है। हिन्दू धर्म में तुलसी की पूजा की जाती है। तुलसी विवाह की प्रथा भी प्रचलित है। घर में लगाया गया तुलसी का पौधा धार्मिक रूप से ही नही बल्कि वैज्ञानिक रूप में लाभकारी सिद्ध होता है।
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धार्मिक महत्व
तुलसी को हिन्दू धर्म में देवी का रूप मानते हुए इसकी विधि पूर्वक पूजा की जाती है। तुलसी को भगवान विष्णु के बिना अधूरा माना जाता है तथा तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है। तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। भगवान शालिग्राम विष्णु जी का ही एक रूप हैं। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में देवी-देवताओं का वास होता है तथा घर में तुलसी का पौधा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। कार्तिक मास में तुलसी के पौधे लगाना शुभ माना गया है। स्कंदपुराण में कहा गया है कि जो इस मास में जितने अधिक तुलसी के पौधे लगाता है वह उतने ही जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।
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वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक महत्व के साथ ही तुलसी के पौधे का वैज्ञानिक महत्व भी है। तुलसी एक रामबाण औषधि भी है। तुलसी मनुष्य की सेहत के लिए वरदान है।घर में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छर व अन्य कीट-पतंगे तथा कीड़े-मकौड़े प्रवेश नहीं करते। तुलसी के पत्तों का काढ़ा सर्दी, जुकाम व खांसी में लाभदायक सिद्ध होता है। तुलसी मनुष्य की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। तुलसी के पत्तों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है। रोज़ाना तुलसी के पत्तों का सेवन करने से सर्दी, जुकाम व फलू जैसी बीमारियां नहीं होतीं।
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तुलसी की रासायनिक संरचना
तुलसी के पौधे में अनेक प्रकार के रसायन पाए जाते हैं इनमें ट्रैनिन, सैवोनिन, गलाइकोसाइड व एल्केलाइडस प्रमुख हैं। तुलसी के पौधे में एक पीला उड़नशील तेल भी पाया जाता है।
स्वास्थ्य के लिए तुलसी के लाभ
भारतीय चिकित्सा के ग्रन्थ ‘चरक संहिता’ में भी तुलसी का वर्णन मिलता है। तुलसी कई प्रकार के रोगों को नष्ट कर देती है। इसके इलावा ‘राजवल्लभ ग्रन्थ’ में भी तुलसी को पित्त कारक, दुर्गंध को मिटाने, खांसी व श्वास रोगों में लाभकारी बताया गया है।
तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करती है।
तुलसी किडनी को मज़बूती प्रदान करती है।
तुलसी में तनावरोधी गुण भी पाए जाते हैं।
तुलसी में त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने की क्षमता भी होती है।
तुलसी शरीर के वजन को कम करती है।
माना जाता है कि तुलसी के पत्ते पानी को शुद्ध करते हैं। तथा दोपहर के खाने के बाद तुलसी के पत्ते चबाने से पाचन शक्ति मज़बूत होती है। तुलसी हवा में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करती है।
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तुलसी पर वैज्ञानिक दृष्टि से शोध कार्य
एक शोध में यह तथ्य सामने आया है कि तुलसी के पत्तों से तैयार पेस्ट का प्रयोग कैंसर के इलाज में किया जाएगा। वैज्ञानिकों को ‘रेडिएशन थैरेपी’ में इस पेस्ट के द्वारा विकिरण प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है। यह तथ्य पिछले 10 सालों से मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कालेज में चूहों पर किए जा रहे परीक्षणों के आधार पर सामने आए हैं। इसके इलावा विदेशों में भी अन्य जड़ी-बूटियों पर चल रहे शोध कार्यों के अंतर्गत तुलसी पर भी शोध कार्य किया जा रहा है। खासकर तुलसी में एडस निवारण तत्वों की खोज जारी है।