धान की पराली को आग लाने वाले किसान की कानूनन सख्त सजा को भविष्य में आग ना लगाने और अच्छा नागरिक बनने के वायदे में बदला

जिला और सैशन जज राजिन्दर अग्रवाल की अदालत का स्मरणीय फैसला
-किसान अगले दो सालों तक फसली अवशेष को आग ना लगा कर सदा के लिए आग लगाने की आदत से छुटकारा पाएः -सैशन जज अग्रवाल
पटियाला, 8 फरवरीः पटियाला के जिला और सैशन जज श्री रजिन्दर अग्रवाल की अदालत ने पराली जलाने पर दर्ज हुए केस के अंतर्गत राजपुरा की अदालत की तरफ से घनौर के एक किसान बलविन्दर सिंह को 1 महीनो की कैद और 1 हजार रुपए जुर्माने की सुनाई गई सजा खिलाफ अपील का निपटारा करते एक स्मरणीय  फैसला सुनाया है।

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सैशन जज श्री अग्रवाल की अदालत ने दोषी किसान को कानून मुताबिक सख्त सजा देने की बजाय भविष्य में पराली को आग ना लगाने और एक अच्छा नागरिक बनने का वायदा करवा कर 20 हजार रुपए का प्रोबेशन मुचलका भरवा कर और एक व्यक्ति की जामुनी पर बरी रिहा दिया है। यह इस लिए किया गया जिससे किसान फसलों की अवशेष को आग लगाने की आदत से सदा के लिए पीछा छुड़ा कर वातावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकें।

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घनौर के निवासी किसान बलविन्दर सिंह खिलाफ घनौर थाने की पुलिस ने जिला मैजिस्ट्रेट पटियाला की तरफ से धान के अवशेष को आग लगाने विरुद्ध सी.आर.पी.सी की धारा 144 के अंतर्गत के पास किये मनाही हुक्मों का उल्लंघन करने के आरोपों के अंतर्गत तारीख 24 अक्तूबर 2016 को मुकदमा नंबर 86 दर्ज किया था। इस मामले में पुलिस ने जांच मुकम्मल करते धारा 173 सी.आर.पी.सी. और जिला मैजिस्ट्रेट पटियाला की धारा 195 (आई) (ए) सी.आर.पी.सी. अधीन अपनी रिपोर्ट पेश की थी।

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इस के बाद राजपुरा की निचली अदालत ने तारीख 06, 09, 2017 को किसान बलविन्दर सिंह विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 188 के अंतर्गत आरोप तय किये थे। इस बाद में अदालत ने अपने फैसले में किसान को धान की पराली को आग लगाने के लिए दोषी ठहराते तारीख 20,03,2019 को एक महीने की सजा और 1000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इस अपील की सुनवाई दौरान इस मामले पर भी जिरह हुई कि पराली को आग लगाना जहाँ वातावरण की गंभीर समस्या पैदा करता है वहीं यह मानवीय और पशु पक्षियों की सेहत के लिए भी हानिकारक है। इस लिए किसानों को जागरूक करने जिला और सैशन श्री रजिन्दर अग्रवाल की अदालत ने इस मामले में किसान विरुद्ध सख्त फैसला सुनाने से हटकर किसानों को धान की पराली को आग लगाए बिना इसका दूसरे ढंग से निपटारा करने के लिए प्रेरित करने का फैसला लिया ताकि किसान आगे से खेतों की अवशेष को आग लगाने जैसी गतिविधियों में हिस्सा ना लें।

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इसके तहत जिला और सैशन जज श्री रजिन्दर अग्रवाल की अदालत ने न्याय के हितों को देखते एक मिसाली फैसला किया कि दोषी किसान के लिए एक महीनो की सजा की बजाय इसको प्रोबेशन आफ आफैंडरस एक्ट (अपराधी परिवीक्षा अधिनियम) के अंतर्गत लाभ दिया जाना और ज्यादा सार्थक होगा और इसके अंतर्गत उक्त किसान यह लिखित सहमति देगा कि वह अगले दो सालों तक पराली जलाने जैसे मामलो में लिप्त नहीं होगा और इस तरह जब एक बार किसान अपने खेतों में से पराली जलाने की जगह इसका अन्य तरीकों से निपटारा करेगा और इस तरह करते -करते उसे पराली ना जलाने की आदत पड़ जायेगी।

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सैशन जज श्री रजिन्दर अग्रवाल की अदालत के फैसले मुताबिक इस किसान पर एस.एच.ओ. घनौर की तरफ से निगरानी रखी जायेगी जिससे यह किसान आगे से अगले दो सालों तक अपने खेतों में रबी और खरीफ की फसल सीजन दौरान अवशेष को आग ना लगाए और यदि वह ऐसा करता पाया गया तो उस विरुद्ध बनती कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।

 

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