धनतेरस पर बरसेगा धन…अकाल मृत्यू का भय होगा दूर…बस करें यह आसान उपाय

-डॉ.धर्मेन्द्र संधू

रोशनी के त्योहार दीपावली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाने की परंपरा है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन खासतौर पर उनकी पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा भी होती है। ज्योतिष के अनुसार धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में की गई खरीददारी जीवन में ढेर सारी सफलता और समृद्धि लेकर आती है। इस दिन लोग बर्तन और गहने खरीदते हैं। यदि इस खास पर्व पर शुभ मुहूर्त में पूजा की जाए तो घर में धन की वर्षा हो सकती है।

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धनतेरस से जुड़ी कथा

धनतेरस से जुड़ी कथा के अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन में भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं को अमृतपान करवाकर अमर कर दिया था। भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। इसी लिए आज भी भगवान धनवंतरी के पूजन का विधान है। धनतेरस के दिन सेहतमंद रहने की कामना के साथ विशेष रूप से भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। साथ ही धनतेरस पर मां लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा भी की जाती है। इस दिन स्नान आदि कामों को निपटाकर मां लक्ष्मी के मंदिर में जाना चाहिए। मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करने और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाने से विशेष कृपा होती है। इसके अलावा इस दिन यमराज का पूजन भी होता है।

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यमराज पूजा दक्षिण दिशा में दीपक जलाने का महत्व

धनतेरस पर यमराज पूजा दक्षिण दिशा में दीपक जलाने के साथ एक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार प्राचीन समय में हेम नामक एक राजा था। जब राजा के घर पुत्र पैदा हुआ तो ज्योतिषियों ने बताया कि इस बालक के विवाह के ठीक चार दिन के बाद इसकी मृत्यु हो जाएगी। इसके बाद राजा ने दुखी मन से राजकुमार को ऐसे स्थान पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई तक पड़ सके। इसी दौरान एक दिन एक राजकुमारी उस स्थान से गुजरी। दोनों पहली ही नज़र में एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और गन्धर्व विवाह कर लिया। लेकिन विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण हरने के लिए गए। राजकुमार के प्राण लेने के बाद नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर यमदूतों को दया गई। लेकिन विधि के विधान के अनुसार मज़बूरी में उन्हें अपना कार्य पूरा करना ही पड़ा। इसके बाद एक यमदूत ने यमराज से प्रार्थना की कि कोई ऐसा उपाय है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से बच सके। इस पर यम देवता ने कहा कि अकाल मृत्यु तो कर्म के अनुसार ही है। उन्होंने इससे बचने का आसान उपाय बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात को मेरा पूजन करने के बाद दक्षिण दिशा में दीप जलाने से अकाल मुत्यू से बचाव होगा। इस दिन जो कोई भी इस प्रकार दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसी कारण आज भी धनतेरस के दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में दीप जलाकर रखने की प्रथा चल रही है।

धनतेरस से जुड़ी प्रथाएं

धनवंतरी जी हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता है कि इसलिए आज भी धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परम्परा चल रही है। यह भी माना जाता है कि इस दिन धन या कोई वस्तु खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। एक और प्रथा के अनुसार इस दिन लोग धनिया के बीज भी खरीदते हैं। इन बीजों को दीपावली के बाद बाग-बगीचों और खेतों में बोया जाता है।

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धनतेरस पर ऐसे बनें कृपा के भागी 

सुबह स्नान करने के बाद धनवंतरी जी की पूजा करें। साथ ही नया झाडू खरीदें और उसका पूजन करें। शाम के समय घर, मंदिर, तालाब इत्यादि पर दीपक जलाएं। इस दिन पीतल, तांबे या चांदी के गहने बर्तन खरीदें। संध्या के बाद तेरह दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर जी का पूजन करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही यमराज की पूजा के बाद दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

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