-जरासंध, महाबली भीम के अखाड़ा के अवशेष बिहार में है मौजूद
प्रदीप शाही
द्वापर युग के महाभारत काल के दौरान भगवान हरि विष्णु के अवतार के भगवान श्री कृष्ण जी के अलावा बड़ी संख्या में देवी-देवताओं के आशीर्वाद से जन्मे एक से बढ़ कर एक योद्धाओं की वीर गाथाओं का उल्लेख मिलता है। परंतु महाभारत काल में एक ऐसी कथा का उल्लेख भी है। जो बेहद विचित्र है। महाभारत काल में एक बच्चे ने दो माताओं की कोख से आधे-आधे हिस्से में जन्म लिय़ा था। यह बालक बड़ा होकर महाबलशाली बना। आईए, आज आपको इस महाबलशाली इंसान के बारे विस्तार से जानकारी देते हैं। कौन था, यह इंसान। और इस इंसान का किसन वध किया।
दो माताओं की कोख से किस बालक ने लिया था जन्म
मगध में बृहद्रथ नामक राजा का शासन था। उन्होंने पुत्र पाने की लालसा में दो विवाह किए। बावजूद इसके राजा बृहद्रथ को संतान सुख न मिला। संतान सुख पाने के लिए राजा बृहद्रथ, महर्षि चंडकौशिक के आश्रम पहुंचे। वहां पर राजा बृहद्रथ निस्वार्थ भाव से महर्षि चंडकौशिक की सेवा करने लगे। महर्षि चंडकौशिक, राजा बृहद्रथ की सेवा से बेहद प्रसन्न हुए। राजा बृहद्रथ की इच्छा पूर्ति के लिए महर्षि चंडकौशिक ने एक फल देकर कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला देना। तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। राजा बृहद्रथ, महर्षि चंडकौशिक से आशीर्वाद स्वरुप मिले फल को ले राजमहल पहुंचे। उन्होंने फल को दो हिस्सों में काट कर अपनी दोनों रानियों को खिला दिया। कुछ समय पश्चात दोनों रानियां गर्भवती हो गई। दोनों रानियों के गर्भ से एक ही बच्चे ने दो हिस्सों में जन्म लिया। आधा-आधा बच्चा देखकर दोनों रानियों ने राजमहल से बाहर फिंकवा दिया। इस दौरान एक जरा नामक राक्षशी वहां से गुजरी। उसने अपनी मायावी शक्ति से आधे-आधे शरीर वाले बच्चे को जोड दिया। दोनों टुकड़ों को मिल जाने से बच्चा एक सामान्य बालक बन गया। बच्चे के रोने की आवाज सुन कर रानियां उस बालक को वापिस राजमहल ले आई। राजा बृहद्रथ को सारी जानकारी प्रदान की। उस बालक का नाम जरासंध रखा गया।
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जरासंध की बेटी का कंस से हुआ था विवाह
राजा बृहद्रथ का बेटा जरासंध बड़ा होकर बेहद बलशाली हो गया। जरासंध बड़ा होकर मगध का महाराजा बना। मगध मौजूदा समय में बिहार राज्य का एक हिस्सा है। जरासंध बलशाली होने के साथ-साथ बेहद निर्दयी और जालिम राजा था। युद्ध में हारे हुए राजाओं को अपने पहाड़ स्थित किले में बंदी बना कर उन पर अत्याचार करता था। कुछ समय बाद इन हारे हुए राजाओं का वध कर देता था। जरासंध चक्रवर्ती समाट्र बनने की चाहत रखता था। जरासंध की बेटी की शादी कंस से हुई थी। भगवान श्री कृष्ण की ओर से कंस का वध करने के चलते महाराजा जरासंध, श्री कृष्ण से प्रतिशोध लेना चाहता था। इसी कारण जरासंध ने मथुरा पर 17 बार चढाई की। परंतु हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा था।
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महाबली भीम के साथ हुआ था जरासंध का मल्ल युद्ध
जरासंध का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। भगवान श्री कृष्ण जरासंध के अत्याचारों पर नकेल कसने के लिए महाबली भीम व अर्जुन के साथ ब्राह्मण का वेश धारण कर मगध पहुंचे। महाराजा जरासंध ने तीनों को ब्राह्मण के वेश में देखा, तो वह हैरान हो गया। जब तीनों से वास्तविक परिचय पूछा तो श्री कृष्ण ने सभी का असल परिचय देते हुए जरालंध को मल्ल यूद्ध के लिए ललकारा। जब जरासंध ने भीम को मल्ल युद्ध के लिए चुना।
जरासंध के अत्याचार पर भीम ने कसी नकेल, किया वध
महाबलशाली जरासंध व महाबली भीम के बीच मल्ल युद्ध शुरु गया। इन दोनों के बीच में बिना हार जीत कर 18 दिनो तक अनवरत युद्ध चलता रहा। आखिर श्री कृष्ण ने एक तिनके को हाथ में लेकर विपरीत दिशा में फैंकने का इशारा किया। क्योंकि युद्ध के दौरान कई बार जरासंध को भीम ने दो हिस्सों में विभाजित कर दिय़ा था। पर हर बार वह आपस में जुड़ जाता था। भीम ने ईशारा मिलने के बाद जब जरासंध को दो हिस्सों में विभाजित किया तो उसके शरीर के हिस्सो को विपरीत दिशा में फेंक कर जरासंध का वध कर दिया। विपरीत दिशा में शरीर के हिस्सें फैंकने से जरासंध का शरीर आपस में जुड़ नहीं सका। इस तरह से जरासंध का अंत हुआ।
मगध में आज भी जरासंध के अखाड़े के अवशेष मौजूद
मगध में आज भी उस अखाड़े के अवशेष मौजूद हैं। जहां पर महाराजा जरासंध और महाबली भीम के मध्य मल्ल युद्ध हुआ था। चाहे यह अखाड़ा जर्जर हो चुका है। परंतु अखाड़ा के कई हिस्से आज भी उस काल की याद को जीवंत करते हैं। जर्जर हो चुके अखाड़े की मिट्टी की एक विशेषता आज भी कायम है। यह मिट्टी बेहद उजले रंग की है। बताया जाता है कि महाराजा जरासंध इस अखाड़े में मल्ल युद्ध के अभ्यास से पहले सैंकड़ों लीटर दूध औऱ दही को मिलाया करता था। इस अखाड़े की उंची दिवारें आज भी मौजूद है। इतना ही नहीं इस अखाड़े में महाबली भीम और महाराजा जरासंध के पेरों के निशान विद्यमान हैं। यह अखाड़ा मगध के क्षेत्र राजगौर में है। सबसे खास बात यह है कि इस इलाके में जारसंध का एक मंदिर भी बना हुआ है।
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