कैसा होगा संवत 2075- चुनावी साल और बाजार का हाल

-पिछली दिवाली से अब तक सैंसेक्स ने दर्ज की आठ प्रतिशत की वृद्धि
-अगली दिवाली तक सैंसेक्स के 35 से 40 हजार के ब्रैकेट वाले 50 प्रतिशत तो 49 प्रतिशत ने माना 45 हजार का आंकड़ा छूएगा, बाजार पर भारी उतार चढ़ाव के बीच, एक प्रतिशत ऐसे भी जिन्होंने कहा स्काई इज द लिमिट

अंग्रेजो का नया साल चाहे एक जनवरी को ईसाई कैलेंडर के साथ शुरू होता है। फ्रांसिसी सत्ता के पत्न के बाद एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष को अब अप्रैल के रूप में मनाया जाने लगा। परंतु भारत में व्यापार और ज्योतिष के लिए विक्रमी सवंत ही सहस्त्र शताब्दियों से चला आ रहा है।
ऐसे में ईस्वी सन 2018 की बात एक किनारे रख कर यदि हम केवल भारतीय परिपेक्ष्य में देखें कि संवत 2075 एक विशुद्ध रूप से चुनावी साल है। पांच राज्यों में विधान सभा के चुनाव होने हैं। इसके तुरंत बाद लोक सभा के चुनाव ऐसे में मुंबई स्टाक एक्सचेंज यानि बाजार का हाल का हाल कैसा रहने वाला है!
स्पष्ट है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सुबह उठते ही क्या ट्वीट करते है और चीन किस तरह से टेऊड वार क जवाब देता है और सउदी अरब के सुल्तान का तेल का खेल कैसा जारी रहता है! या फिर कहें तो उत्तरी कोरिया के किम जोंग उन का गुस्सा कितनी देर तक उनके बंकरों से बाहर नहीं निकलता। इसके अलावा किसी तूफान या सुनामी की बात न करते हुए संवत 2075 में मोदी राज के बने रहने और राजपुताना और मालवा में भगवा परचम के लहराते रहने और घरेलू मांग और मानसून पर निर्भरता ही ज्यादा रहने वाली है।

पिछली दिवाली से अब तक सैंसेक्स ने दर्ज की आठ प्रतिशत की वृद्धि

मिडकैप और स्मालकैप शेयरों में एक संवत पहले 2073 में हुई जमकर खरीददारी के बावजूद सैंसेक्स ने पिछली दिवाली से इस दिवाली तक सैंसेक्स ने लगभग आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। हालांकि म्यूचल फंडो से लेकर साधारण इंवेस्टर के पोर्टफोलियो में ३५ प्रतिशत तक का झटका लग चुका है, यानि एक साल पुरानी कमाई का ज्यादतर हिस्सा उड़ चुका है लेकिन इससे पूरी तरह निराश होने की जरूरत फिलहाल किसी भी सूरत में नजर नहीं आती। बाजार में सिस्टेमेटिक रूप से लगातार एसआईपी यानि सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान जारी रखने वालों केब लिए यही समय है जब वे अपने निवेश को दो साल पहले के स्तर पर जा कर नैट ऐसेट वैल्यू एनएवी को औसत कर आने वाले दिनों में बेहतर रिर्टन की उम्मीद कर सकते हैं।
पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों में परिणाम भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस किसके पक्ष में ज्यादा जाते हैं! भाजपा अपना किला बचा पाती है या नहीं, इसका असर बाजार पर दिखना तय है, लेकिन यह असर एक तरफ होगा ऐसा भी नहीं है अलबत्ता बाजार में उतार चढ़ाव, ज्वार भाटे का रूप ले ले इसमें भी कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। इसके बाद आने वाले लोक सभा के चुनाव, 2004 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन एनडीए के इंडिया शाईनिंग कैंपेन के बाद निवेशकों को लगे झटके और 2008 में कामरेडों के बिना संयुक्त प्रगतीशील गठबंधन के सत्ता में आने की धमक कुछ ऐसी हुई की वर्ष 2008 की भारी गिरावट को बाजार ना केवल पचा गया बल्कि मई 2009 में इतना बढ़ा कि बाजार में शेयरों का लेन दे नही रोकना पड़ा 12000 हजार पर आ चुना सेंसेक्स कब 14 हजारी हो गया पता नहीं चला। इतना ही एक दिन में दस प्रतिशत की बढ़त के बाजार में कारोबार रोक दिया गया और तो ओर कुछ घंटो बाद फिर व्यापार शुरू होने पर भी नए रिकार्ड बनाए गए। हालात एक बार फिर उसी मुहाने पर खड़े प्रतीत हो रहे हैं।

कैसी रहेगी अगली दिवाली, फूटेंगे पटाखे या होगी ग्रीन

बाजार के जानकारों का मानना है कि अगली दिवाली तक सैंसेक्स के 35 से 40 हजार के ब्रैकेट में रहने की संभावना ज्यादा है। ऐसा सोचने वालों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है। यानि की बाजार अपने मौजूदा स्तरों के इर्द गिर्द ही रहेगा। उतार चढ़ाव चाहे आते रहें परंतु अंततः दिवाली ग्रीन ही रहेगी। वहीं ब्रोकर पोल में यह भी सामने आया कि 49 प्रतिशत ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से बाजार में बढ़त के पक्षधर हैं। घरेलू मांग के लगातार जारी रहने और बीते मानसून के अच्छे रहने से ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च बढ़ने व चुनावी साल में इंफ्रास्टक्चर सैक्टर में अधिक सरकारी निवेश के चलते स्टाक एक्सचेंज 45 का आंकड़ा छूने का अनुमान जता रहे हैं। दिलचस्प है कि अच्छे दिनों के बीच बहुत अच्छे दिन आने की आस रखने वाले भी बाजार में हैं। इस पक्ष का कहना है कि कू्रड के दामों में गिरावट और महंगाई के नियंत्रण में रहने के चलते स्काई इज द लिमिट की बात करने वालों की संख्या एक प्रतिशत ही है। यद्यिपि यह पक्ष भी वोलेटिलीटी से इंकार नहीं करता।

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