-चीन ने सन 1962 में यहां किया हमला पर देवी ने फैलाई चादर , एक भी बम नहीं गिरा यहाँ
एक ऐसा मंदिर जो सिर्फ नवरात्री पर ही खुलता है बाकी समय वहां ताला लगा होता है आम जनता का वहां जाना मना है | पूजा भी नवरात्री में ही की जाती है | दर्शन भी बाहर से ही करने होते है | अगर कोई जा सकता है तो वह सिर्फ पुजारी या मंदिर के सेवक | मंदिर अति प्राचीन है और यह स्तिथ है हिमाचल के पहाड़ों पर | जहा का मनोरम दृश्य मोहित करता है | देशयु में स्तिथ इस मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्त 1300 सीढियाँ चढ़कर जाते है | जहा तक कार जाती है अगर वहां तक कार से जाय जाए तो 700 सीढ़ियां कम यानि 600 सीढियाँ ही चढ़ कर देवी के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है|
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पांडवों ने यहाँ की थी पूजा
पांडव जब अज्ञातवास में यहाँ आए थे तब उन्होंने यहाँ देवी की पिंडी रूप में पूजा की थी और कुछ समय बाद मूर्ति की स्थपना की थी | यहाँ तीन देवियों की मूर्तियां स्थापित है जिनमे एक है देवी चामुंडा , दूसरी लक्ष्मी और तीसरी है देवी सरस्वती | पांडव इन्हीं की पूजा किया करते थे | इसी मंदिर के दूसरे सिरे पर शिव मंदिर है | जहा भक्तो की मनोकामना पूर्ण होती है | बीच में देवी दुर्गा का मंदिर है जोकि साल में सिर्फ दो बार ही खोला जाता है वो भी नवरात्रों में | यहाँ पर नवरात्री में भागवत कथा का भी आनंद लिया जा सकता है |
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पुजारी को दिए थे दर्शन
आस पास के गावं वालो ने बताया कि पुजारी को देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मैं चाहती हूँ मेरा मंदिर सिर्फ नवरात्रों में ही खोला जाए | पुजारी के द्वारा स्वप्न की बात ना मानने पर वह कई रातों और कई दिनों तक परेशान रहा | आखिर उसने स्वप्न की बात पर यकीन कर मंदिर को ताला लगा दिया | उसके बाद से कहा जाता है की इस त्रिदेवी देशयु मंदिर में जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो पूरी हो जाती है|
युद्ध में की थी देवी ने रक्षा
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देशयु मंदिर की खास बात यह भी है कि भारत- चीन के सन 1962 में लड़े युद्ध में एक भी बम यहाँ नहीं गिरा कहा जाता है सभी स्थानीय निवासियों ने मंदिर में जाकर देवी से मन्नत मांगी थी कि यहाँ कुछ भी बर्बाद या तबाह ना हो | देवी ने स्वप्न में दर्शन देकर रक्षा करने का वचन दिया | देवी ने चादर फैलाकर एक भी बम यहाँ नहीं गिरने दिया | तभी से कहा जाता है कि देवी यहाँ हमेशा से दुखों को हरती है और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है |
-कैसे पहुचें
देशयु हिमाचल का एक गावं है जोकि बेहद ही खूबसूरत पहाड़ियों में बसा है यहाँ का नज़ारा अनुपम है| इस स्थान पर शिमला से होते हुए पहुंचा जा सकता है | चंडीगढ़ से शिमला की दूरी 112 km है |यहाँ तक आसानी से ट्रैन, बस या प्राइवेट कार टैक्सी से पंहुचा जा सकता है इससे आगे शिमला से फागु नामक स्थान 18 km दूर है | फागु से 2 km आगे जाने पर इस पावन स्थल के दर्शन होते है | यहाँ आस पास के गावों में होम स्टे की भी सुविधा है | जहा रह कर होटल से बेहतर सुविधाओं के साथ साथ कुदरत के नज़रों का भी आनंद लिया जा सकता है | यहाँ सेव के बागों, ताज़ी सब्जियों और फलों का भी लुत्फ़ उठाया जा सकता है |
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-वंदना