अदभुत् ! इस मंदिर में खूंखार जानवर भी बन जाता है पालतू

देश के साथ ही विदेश में भी कई प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर मौजूद है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे बौद्ध मंदिर के बारे में जानकारी देंगे जिसके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। एक ऐसा मंदिर है जहां आते ही खूंखार जंगली जानवर भी पालतू जानवरों जैसा व्यवहार करने लगता है। इस मंदिर में पिछले कई सालों से जंगली जानवर बौद्ध भिक्षुओं के बीच रह रहे हैं।

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टाइगर टेंपल थाईलैंड
प्रसिद्ध टाइगर टेंपल, थाईलैंड के कंचनबुरी प्रान्त में है। यह मंदिर थाईलैंड-बर्मा सीमा के पास स्थित है।  यह मंदिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। थाईलैंड के इस बौद्ध मंदिर में बड़ी संख्या में टाइगर आम लोगों व बौद्ध भिक्षुओं के बीच खेलते हुए, भागते हुए देखे जा सकते हैं। आम तौर पर शेर, बाघ व चीते का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर के भाव पैदा हो जाते हैं। लेकिन इस मंदिर का नज़ारा कुछ अलग है। यहां पर टाइगर बौद्ध भिक्षुओं के साथ ही रहते हैं, खाते-पीते और खेलते हैं। टाइगर टेम्पल के नाम से जाना जाता यह मंदिर असल में एक बौद्ध मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना 1994 में की गई थी। आरंभ में इस बौद्ध मंदिर में छोटे जंगली जानवरों का ही संरक्षण किया जाता था। इसके बाद 1999 में इस मंदिर में एक बाघ का बच्चा लाया गया।

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बाघ क्यों करते हैं पालतु जानवरों जैसा व्यवहार ?
इस मंदिर में रहने वाले बौद्ध भिक्षुओं ने जंगली जीवों को पालना शुरू किया था ताकि जंगली जीवों को बचाया जा सके। इसका कारण था थाईलैंड में बड़े स्तर पर जंगली जानवरों की तस्करी होना। पहली बार 1999 में एक ग्रामीण इस मंदिर में एक बाघ का छोटा बच्चा लेकर आया जिसकी मां को शिकारियों ने मार दिया था लेकिन वह बाघ का बच्चा भी कुछ दिनों के बाद मर गया था। इसके बाद गांव वासी बड़ी संख्या में बाघों के बच्चे इस मंदिर में लाने लगे। और यह बौद्ध मंदिर ‘टाइगर टेंपल’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस मंदिर में मौजूद बाघों का पालन पोषण व संरक्षण बौद्ध भिक्षुओं द्वारा किया जाता है और इन बाघों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। मौजूदा समय में टाइगर टेंपल में 150 के करीब बाघ हैं। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा इन बाघों को इस ढंग से सिखलाई की जाती है कि यह बाघ किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते ।

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विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र
थाईलैंड का यह बौद्ध मंदिर विदेशी पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यहां पर पूरा साल ही पर्यटकों को आना-जाना लगा रहता है। देश और विदेश से आने वाले पर्यटक इन बाघों के साथ खूब मस्ती करते दिखाई देते हैं। पर्यटक बाघों के साथ बिना डरे खेलते हैं व फोटो भी खिचवाते हैं।

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