आश्चर्य ! लंकापति रावण का राजस्थान में था ससुराल

-मंदोदरी ने किए थे दो विवाह

त्रेतायुग में इस पावन धरती पर अवतरित हुए भगवान श्री विष्णु के अवतार भगवान श्री राम की स्तुति में रचित श्री रामायण हर घर में एक पावन ग्रंथ के रुप में पूजी जाती है। सबसे अहम बात तो यह है कि त्रेतायुग के सभी शहर भारत में हो या श्री लंका आज भी विद्यमान हैं। आज हम आपको लंकापति रावण के ससुराल के बारे बताएंगे। क्या आप जानते हैं कि लंकापति रावण के ससुराल राजस्थान में थे। यानिकि रावण की पत्नी मंदोदरी राजस्थान की बेटी थी। वह कौन सा स्थान था, जिसका संबंध मंदोदरी से था। एक बात यह भी बतानी जरुरी है कि मंदोदरी का केवल रावण के साथ ही नहीं बल्कि एक अन्य के साथ भी विवाह हुआ था। आईए, आज आपको इस रहस्य से अवगत करवाते हैं।

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राजस्थान के मंडोर में हुआ था लंकापति रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म

लंकापति रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था। मंदोदरी को पञ्च कन्याओं में से एक माना गया है। मंदोदरी को मायासुर ने गोद लिया था। मायासुर महर्षि कश्यप के पुत्र थे। मंदोदरी का जन्म हेमा नामक अप्सरा के गर्भ से हुआ था। मंदोदरी और रावण के तीन पुत्र थे मेघनाद, अतिकाय और अक्षय कुमार। जबकि महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष और भीकम वीर को इनका ही पुत्र माना जाता है। मंदोदरी का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के मंडोर नामक स्थान पर हुआ था। पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। खुबसुरत मंडोर शहर का निर्माण मंदोदरी के पिता मायासुर ने किया था।

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यहां हुआ था मंदोदरी और लंकापति रावण का विवाह

राजस्थान के जोधपुर में मंडोर नामक स्थान पर रेलवे स्टेशन के करीब एक पहाड़ी पर स्थित वापिका के पास श्री गणेश औऱ अष्ट माकृकाओं में फलक के समीप ही वह अग्नि कुंड मौजूद है। जहां पर रावण औऱ मंदोदरी का पूर्ण विधि-विधान से विवाह हुआ था। यह भी माना जाता है कि लंकापति रावण की मृत्यु के बाद उसके बचे हुए वंशज यहां पर ही आकर बस गए थे। यह सर्वविदित है कि मंदोदरी भी लंकापति रावण की तरह भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। वह प्रतिदिन भगवान शिव का पूजन करने के लिए मंदिर जाती थी। मंदोदरी के पिता मयासुर को राक्षसों की विश्वकर्मा माना जाता है। एक दिन लंकापति रावण, मायासुर से मिलने मंडोर पहुंचा। वहां मंदोदरी को देख कर रावण उस पर मोहित हो गया। रावण ने मायासुर के समक्ष मंदोदरी के साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा। मायासुर ने लंकापति रावण के प्रताप, शौर्य व बल को देखकर फौरन ही शादी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। जबकि मंदोदरी रावण के आचरण को जानते हुए उससे शादी करने की इच्छुक नहीं थी। परंतु पिता के रावण को दिए वचन के चलते उसने रावण से शादी करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। मंदोदरी ने अपने पति रावण के मनोरंजन के लिए ही शतरंज के खेल का आविष्कार किया था।

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रावण के वध के बाद मंदोदरी ने किया था दूसरा विवाह

लंकापति रावण की मौत के बाद भगवान श्री राम ने लंका का समूचा राजपाठ विभीषण को सौंप दिया था। उनका मानना था कि लंका का राजपाठ विभीषण बेहतर ढंग से संचालित कर सकते हैं। वहीं उन्होंने रावण की पत्नी मंदोदरी को विभीषण संग विवाह करने का परामर्श दिया। मंदोदरी, श्री राम के इस प्रस्ताव को सुनने के बाद लंबें समय तक अपने महल में कैद हो कर रह गई थी। उसने किसी से भी मिलना भी बंद कर दिया था। परंतु कुछ समय बाद मंदोदरी महल से बाहर आई। औऱ विभीषण से शादी करने की घोषणा कर दी थी। कहा जाता है कि मंदोदरी ने लंका के विकास में अहम रोल अदा किया था।

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