हिंदू, बौद्ध, जैन गुफाओं की रहस्यमयी दुनिया

-विश्व भर में फैला हैं गुफाओं का जाल

प्रदीप शाही

प्राचीन काल में इंसान रहने के लिए गुफाओं, कंदराओं में शरण लेता था। वहीं ऋषि, मुनि, साधु, संत इन गुफाओं और कंदराओं का उपयोग तपस्या, ध्यान और तप के लिए करते थे। भारत ही नहीं विश्व भर में रहस्यमयी गुफाओं का एक विशाल जाल बिछा हुआ है। यह गुफाएं आज भी आधुनिक साइंस के लिए एक अनबूझ पहेली बनी हुई है। दुनिया भर में फैली गुफाओं के इस रहस्यमयी जाल में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के बेहद नजदीक से दर्शन होते हैं। आईए, आज आपको भारत के अलावा विश्व के कई देशों में स्थापित कुछ चुनीदां गुफाओं के रहस्य से अवगत करवाते हैं।

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अफगानिस्तान स्थित बामियान की बौद्ध गुफाएं

अफगानिस्तान में हिंदु कुश पर्वत श्रृखंलाओं के पास स्थित बामियान में रहस्यमयी गुफाएं हैं। इन गुफाओं में धर्म, कला के एक साथ दर्शन होते हैं। बामियान की इन गुफाओं को बौद्ध गुफाएं कहा जाता है। यहां पर हिंदु धर्म से संबंधित भी कई गुफाएं हैं। भगवान बुद्ध की विशालकाय प्रतिमाएं बेहद दर्शनीय हैं। जो पहाड़ों को काट कर बनाया गया है। पहाड़ों में बनी इन गुफाओं का निर्माण तीसरी से सातवीं शताब्दी ईस्वी में किया गया माना जाता है। परतु साल 2001 में भगवान बौद्ध की दो विशालकाय प्रतिमाओं को तालिबानियों बम लगा कर क्षतिग्रस्त कर दिया था। गांधार शैली में बलुआ पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की यह दोनों प्रतिमाएं विश्व में भर में सबसे उंची मूर्तियां है। बानियान की इन गुफाओं को बौद्ध भिक्षू लंबे समय तक अपने ध्यान, तप के लिए प्रयोग करते थे। मौजूदा समय में इन गुफाओं में सैकड़ों तालिबान परिवार शरण लिए हुए हैं। जिनके पास अपनी जमीन या घर बनाने का कोई संसाधन नहीं है।

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थाइलैंड की गुफा में हैं भगवान बौद्ध की विशाल प्रतिमा

थाईलैंड में कई गुफाए हैं। इस इलाके में बौद्ध धर्म की छाप अधिक दिखाई देती है। फुकेट (फुकेत) गुफा में भगवान बौद्ध की सिर उठाकर लेटी मुद्रा वाली सुनहरी प्रतिमा दर्शनीय है। भगवान बुद्ध की आमतौर से खड़ी मुद्रा में ही मूर्तियां देखने को मिलती है। परंतु यहां पर अधलेटी मुद्रा में बनी प्रतिमा बेहद खास है। यह गुफा करीब 20 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी है। इस गुफा में भगवान बुद्ध की कई छोटी बड़ी अन्य प्रतिमाएं बनी हुई हैं। वहीं थाइलैंड में एक टाइगर केव मंदिर भी है। इस क्षेत्र की गुफाओं की चट्टानों पर बाघ के पंजों के निशान बने हुए हैं। इस कारण यह गुफाएं टाइगर केव टेंपल के नाम से विख्यात हैं। इस इलाके की पहाडियों में गुफाओं का जाल बिछा हुआ हैं। खिरिवोंग घाटी में तो सैंकड़ों साल पुराने वटवृक्ष भी हैं। यह क्षेत्र अपने समय में इतिहासकारों और पुरातत्व जानकारों की नजर में बौद्ध साधना का प्रमुख केंद्र रहा था। इस क्षेत्र में लाइमस्टोन की एक पहाड़ी भी है। जो पर्यटकों के लिए बेहद खास है। इस पहाड़ी की चोटी पर बने भगवान बुद्ध के पदचिह्नों के दर्शन करने के लिए भक्तों को 1272 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है। गौर हो यह स्थान वाट थाम सुआ क्राबी शहर से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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नेपाल की बौद्ध गुफाएं

नेपाल के धवलागिरी राज्य के मुस्तांग जिले में स्थित बौद्ध गुफाएं सदियों से रहस्यमय बनी हुई है। इन गुफाओं तक आज भी पहुंचना काफी मुश्किल है। सोचने वाली बात तो यह है कि प्राचीन समय में बौद्ध भिक्षु इन गुफाओं में कैसे पहुंचते होंगे। यह जिला पहले तिब्बत का हिस्सा था। काठमांडू के उत्तर-पश्चिम में स्थित मुस्तांग की इन गुफाओं से भगवान बुद्ध के 12वीं शताब्दी के मनमोहक भित्ति-चित्र दीवारों पर अंकित हैं। एक गुफा में ही तिब्बती भाषा में लिखीं पांडुलिपियां भी मिली। जो बेहद प्राचीन बताई जाती है।

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अजंता, एलोरा की 63 रहस्यमयी गुफाएं

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के पास अजंता-एलोरा की कुल 63 रस्यमयी गुफाएं स्थित‍ हैं। यह भी माना जाता है कि इन गुफाओं के नीचे एक विशाल रहस्यमयी शहर भी है। इन गुफाओं में हिंदु, जैन और बौद्ध धर्म के संगम के एकसाथ दर्शन होते हैं। इन गुफाओं को चट्टाने काट कर निर्मित किया गया है। अंजता में कुल 29 और एलोरा में कुल 34 गुफाएं हैं। मौजूदा समय में इन गुफाओं को वर्लड हेरिटेज के रुप में संरक्षित किया जा चुका है। बौद्ध धर्म को दर्शाती अंजता गुफाएं 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात बनाई गई। जबकि एलोरा की गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों के प्रति गहरी आस्था के दर्शन होते हैं। एलोरा की गुफाएं 350 ईसा पूर्व से 700 ईसा पश्चात के दौरान अस्तित्व में आईं मानी जाती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि एलोरा की गुफाओं के अंदर नीचे एक विशाल रहस्यमयी शहर बना हुआ है। आर्कियोलॉजिकल और जियोलॉजिस्ट की ओर से की गई कार्बन डेटिंग से पता चला कि इन गुफाओं का निर्माण किसी आम इंसान या आज की अत्य़ाधुनिक तकनीक से भी नहीं हो सकता है। इन गुफाओं में एक ऐसी सुरंग भी है, जो विशाल अंडरग्राउंड शहर में ले जाती है। इस शहर की सही ढंग से पहचान नहीं हो पाई है।

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बाघ की रहस्यमयी एतिहासिक गुफाएं

मध्यप्रदेश के प्राचीन स्थल जिला धार में स्थित बाघ की प्राचीन गुफाएं इंदौर शहर से 60 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। बाघिनी नामक छोटी-सी नदी के बाएं तट पर और विंध्य पर्वत की दक्षिण ढलान पर स्थित इन बाघ गुफाओं का इतिहास भी रहस्यों से भरा है। कहा जाता है कि इन गुफाओं में भगवान बुद्ध की दिव्यवार्ताओं को चित्रित किया गया था। इस इलाके में कुल नौ गुफाएं हैं। इनमें से एक, साता, आठ औऱ नौ गुफाएं लगभग नष्ट हो चुकी हैं। गुफा नंबर दो को ‘पांडव गुफा, तीन नंबर गुफा को हाथीखाना और चार नंबर गुफा को रंगमहल के नाम से जाना जाता है। शोधक्रताओं अनुसार इन गुफाओं का निर्माण पांचवी-छठी शताब्दी ईस्वी में हुआ माना जाता है।

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बौद्ध धर्म को दर्शाती चंदा देवी गुफाएं

छत्तीसगढ़ के महासमुद जिले के सिरपुर कस्बे के पास 25 किलमीटर की दूरी पर बहने वाली महानदी के किनारे सिंधध्रुव इलाके में स्थित चंदा देवी की प्राचीन बौद्ध गुफाएं हैं। कहा जाता है कि यहां बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने लंबे समय तक तप किया था। इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के दर्शन होते हैं।

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