संगम तट पर इस मुद्रा में क्यों विराजमान हैं बजरंग बली…

-धरती पर हनुमान जी का इस मुद्रा में यह एकमात्र मंदिर
आज तक हम सभी ने प्रभु श्री राम के परम भक्त, देवों के देव महादेव भगवान शिव के अवतार हनुमान जी की प्रतिमाओं को विभिन्न रुपों में देखा होगा। परंतु क्या आपने बजरंग बली की प्रतिमा को विश्राम की मुद्रा में यानिकि लेटे हुए देखा या इसके बारे सुना है। यदि नहीं तो आईए आपको बताएं कि इस धरती पर प्रयागराज में संगम तट पर हनुमान जी की लेटे हुए रुप में विराजमान है। इस इकलौते मंदिर का विवरण पुराण में मिलता है।

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आखिर क्यों इस रुप में है विराजमान है हनुमान जी
त्रेतायुग में रामावतार के समय हनुमानजी अपने गुरु सूर्यदेव से अपनी शिक्षा-दीक्षा पूर्ण कर जब विदा होने लगे तो उन्होंने अपने गुरु को गुरुदक्षिणा की बात कही। भगवान सूर्य ने कहा कि जब समय आएगा तो वह खुद ही दक्षिणा मांग लेंगे। हनुमान जी के बहुत जोर देने पर सूर्य देव ने कहा कि मेरे वंश में अवतरित अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम अपने भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ वनवास जाएंगे। वन में उन्हें कोई कठिनाई न हो इसका ध्यान रखना। सूर्य देव की बात सुनकर हनुमान जी अयोध्या की तरफ प्रस्थान कर गए। तब सूर्य देव ने सोचा कि यदि हनुमान ही सब राक्षसों का संहार कर देंगे, तो मेरे अवतार का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा। एेसे में उन्होंने माया को हनुमान जी को घोर निद्रा में डालने के आदेश दिए। भगवान का आदेश प्राप्त कर माया हनुमान जी के पास पहुंची। वहीं दूसरी तरफ हनुमान जी गंगा तट पर पहुँचे। तब तक भगवान सूर्य अस्त हो गए। हनुमान जी ने माता गंगा को प्रणाम किया। रात में नदी न पार करने की सोच कर गंगा के तट पर ही रात व्यतीत करने का फैसला किया। हनुमान जी को गुरु की आज्ञा के कारण नींद नहीं आ रही थी। एेसे में वह ऋषि भारद्वाज के आश्रम में सत्संग सुनने चल पड़े। हनुमान जी बैठकर कथा सुनने लगे। कथा में भारद्वाज ऋषि ने बताया कि कल यहां पर महाराजा दशरथ के पुत्र राम गंगा को पार करने आ रहे हैं। यह सुन हनुमान जी प्रसन्न हो गए। उन्होंने गंगा पार कर अयोध्या जाने का विचार त्याग दिया। वहीं संगम के तट पर ही रह कर भगवान राम की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया।
रात में हनुमान जी संगम के तट पर लेट गए, और उन्हें नींद आ गई। इधर माया ने हनुमान जी को धर दबोचा। और हनुमान जी घोर निद्रा में चले गए। भगवान राम गंगा पार कर प्रयाग पहुँचे। हनुमान जी को सोता देख यह वरदान दिया कि जो इस सोए हुए हनुमान की मूर्ति रुप के दर्शन करेगा। उसे बिना किसी प्रयास के मेरी कृपा प्राप्त हो जाएगी। हनुमान जी को अमोघ वरदान देकर भगवान राम भारद्वाज ऋषि के आश्रम तथा अक्षयवट का दर्शन करते हुए आगे बढ़ गए। यह वरदान आज अक्षरशः सत्य हो रहा है। इस सिद्ध हनुमान मंदिर में हनुमान जी के दर्शन मात्र से ही समस्त बाधाएं, कष्ट शांत हो जाते हैं।

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अकबर भी नहीं हटा सके थे यह प्रतिमा
मुगल शासन के दौरान बादशाह अकबर ने यहां परअपने किले का निर्माण शुरु किया। तब उसकी दीवार की ही सीध में सोए हुए हनुमान का मंदिर पड़ गया। उसने तुरंत हिंदू धर्मगुरुओं व पंडितों को डरा-धमका कर हनुमान जी के मंदिर को अन्य स्थापित करने का फैसला सुनाया। हनुमान जी मूर्ति की खुदाई होने लगी। जब समूची मूर्ति की खुदाई नीचे से कर ली गई। जब उसे उठाया जाने लगा। तब सभी कोशिशे नाकाम हो गई। आखिर अकबर ने उस मंदिर को हटवाने का काम बंद करवा दिया। आज भी भव्य किले की दीवार हनुमान जी के मंदिर की तरफ टेढ़ी ही है।

वर्ष 2011 में गंगा माता ने करवाया हनुमान जी को स्नान

वर्ष 2011 में गंगा में जबरदस्त उफान आने के कारण हनुमान जी लेटी हुई प्रतिमा गंगा माता के जल में डूब गई। हनुमान जी को स्नान करवाने पहुंची गंगा माता का यह रुप पहली बार देखने वालों का तांता लगा रहा।

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प्रदीप शाही

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