मुख्यमंत्री के आदेशों पर कपास की कृषि अधीन क्षेत्रफल 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने के लिए पुख्ता प्रबंध

-कृषि विभाग ने फ़सलीय विभिन्नता के अधीन बनाई व्यापक योजना
-कपास की समय पर बिजाई के लिए बी.टी. कॉटन बीज के 21.5 लाख पैकेट खऱीदे-विसवाजीत खन्ना
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की हिदायतों पर कृषि विभाग ने राज्य सरकार के फ़सलीय विभिन्नता प्रोग्राम के अंतर्गत वर्ष 2020 में कपास की कृषि अधीन क्षेत्रफल 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख करने की योजना बनाई है, जिसके लिए बी.टी. कॉटन बीज और अन्य उचित लागतों के लिए पुख्ता प्रबंध किए जा चुके हैं।
यह जानकारी देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विसवाजीत खन्ना ने बताया कि पंजाब के दक्षिणी- पश्चिमी जिलों में कपास, $खरीफ की फ़सल की दूसरी बड़ी पारंपरिक फ़सल है और समय-समय पर रुझान बदलने के कारण यह बहुत अत्यधिक संवेदनशील नकदी फ़सल है। इसी कारण कृषि विभाग ने फ़सलीय विभिन्नता प्रोग्राम को पड़ाववार ढंग से लागू करके धान अधीन क्षेत्रफल को कम करके मक्कई और कपास अधीन लाने के लिए व्यापक रणनीति बनाई है।
बताने योग्य है कि वर्ष 2018 के दौरान 6.62 लाख एकड़ क्षेत्रफल कपास की खेती अधीन लाया गया था, जिसके बाद साल 2019 में इस क्षेत्रफल को बढ़ाकर 9.7 लाख एकड़ तक लाया गया। इसी तरह कृषि विभाग ने मौजूदा साल में कपास की कृषि अधीन क्षेत्रफल 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बनाई है।
कपास की बिजाई के आगामी सीजन के लिए की गई तैयारियों संबंधी विस्तार में जानकारी देते हुए विसवाजीत खन्ना ने बताया कि विभाग ने निश्चित किए गए लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी प्रबंध कर लिए हैं और राज्य सरकार ने बीज तैयार करने वाली देश की अग्रणी कंपनियों से बी.टी. कॉटन के 21.5 लाख पैकेटों की व्यवस्था भी कर ली है।
उन्होंने बताया कि कृषि विभाग ने सम्बन्धित विभागों की सहायता के साथ खाली प्लॉटों, सडक़ों के आस-पास, खुले मैदान से घास-पात (जहाँ अक्सर सफ़ेद मक्खी जमा होती है) हटाने के लिए भी ज़ोरदार मुहिम शुरू कर दी है। राज्य भर के मुख्य कृषि अफसरों को भी इस कार्य को मिशन के तौर पर मुकम्मल करने के हुक्म दिए गए हैं। इसके अलावा मुख्य कृषि अफ़सर-कम-नोडल अफसरों को नहरों /सेम नालों की सफ़ाई के लिए नहरी /ड्रेनेज विभागों के अधिकारियों के साथ तालमेल करने की हिदायतें भी जारी कर दी हैं, जिससे कपास की निर्विघ्न बिजाई को यकीनी बनाने के लिए नहरी पानी की सप्लाई में कोई दिक्कत पेश न आए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने आगे बताया कि मुख्य कृषि अफसरों और स्टाफ को राज्य में अनाधिकृत नकली बीज की तस्करी पर कड़ी निगरानी रखने के लिए कहा गया है, क्योंकि यह बीज का रस चूसने वाले कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे फ़सल को भारी नुकसान होता है। इसी तरह बाग़बानी विभाग को फसलों और सब्जियों संबंधी भी पौधों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है।
श्री खन्ना ने कृषि विभाग के डायरैक्टर सुतंतर कुमार ऐरी को सम्बन्धित मुख्य कृषि अफसरों और फील्ड स्टाफ के साथ कपास पट्टी का निरंतर दौरा करने की जि़म्मेदारी सौंपी है, जिससे कपास की बिजाई के मौके पर कपास उत्पादकों को किसी किस्म की मुश्किल पेश न आए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि कोविड-19 के कारण कफ्र्यू /लॉकडाउन के मद्देनजऱ कृषि विभाग ने बीटी कपास के बीज और खादें आदि के समय पर प्रबंध करने के लिए विस्तृत योजना तैयार करने के लिए कार्यवाही शुरू कर दी है। विभाग ने किसानों से बीते सीजन की बाकी रहती कपास की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए भारतीय कपास कोर्पोरेशन (सीसीआई) के साथ भी तालमेल किया है और इसलिए कपास पट्टी की 19 मंडियां चालू की गई हैं। सी.सी.आई. ने अगले सीजन के दौरान कपास की खरीद के लिए अपने समर्थन का भरोसा भी दिया है।
भारत सरकार ने मार्च के अन्तिम सप्ताह में बीटी कपास की दर वर्ष 2020 के लिए नोटीफाई किये हैं और कृषि विभाग ने 27 कंपनियों को पीएयू लुधियाना द्वारा सिफ़ारिश की गई बीटी कॉटन की बीज के किस्में आगे तुरंत कंपनियों को बेचने की आज्ञा दी है और जि़ला स्तरीय कृषि अधिकारियों को अपने जिलों में माँग के अनुसार और बीज ऑनलाइन प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं।
खन्ना ने आगे कहा कि दक्षिणी भारत की बीज तैयार करने वाली सभी नामी कंपनियाँ, जो बीटी कपास का बीज तैयार करती हैं, के साथ पंजाब में बीटी कपास के बीज के 25 लाख पैकेट सप्लाई करने के लिए ऑनलाइन संपर्क किया गया है।
बठिंडा में सैंट्रल रेल प्वाइंट के तौर पर सभी बड़ी बीज कंपनियों के बफर गोदाम हैं। कंपनियों के बफर गोदामों तक बी.टी. कपास के बीजों की सही ढग़ से सप्लाई और आगे बीज डीलरों को सप्लाई के लिए जि़ला मैजिस्ट्रेट और सी.ई.ओज़ के ज़रिये कंपनियों के साथ रोज़ाना ऑनलाइन संपर्क बनाया जाता है। निष्कर्ष के तौर पर, राज्य बीटी कपास बीज के 21 लाख पैकेट प्राप्त करने में सफल रहा है और बाकी बीज कंपनियों द्वारा हरियाणा / राजस्थान के बफर गोदामों में आरक्षित रखे गए हैं या ट्रांजि़ट अधीन हैं। 21 लाख पैकेटों में से 12.75 लाख पैकेट डीलर प्वाइंटों पर पहुँचा दिए गए हैं और कोविड -19 के मद्देनजऱ जारी ऐडवायजऱी के अनुसार बीज डीलरों ने इनमें से 3.25 लाख पैकेट किसानों को घर-घर पहुँचा दिए हैं।
काबिलेगौर है कि नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य (एस.डी.जीज़) निर्धारित किए हैं। उत्पादन में वृद्धि, गरीबी को दूर करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जैसे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग का मुख्य संकेतक फ़सलीय विभिन्नता है, जो प्रगति अधीन है।

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