माता के चमत्कार ने मंदिर पर दुशमन के गिराए हजारों बमों को किया बेअसर

-राजस्थान भारत पाक सीमा पर स्थित है तनोट माता मंदिर
-पाक ने मंदिर पर गिराए थे तीन हजार बम, पर एक भी नहीं फटा
यह पूर्ण तौर से सत्य है कि जब हम किसी मंदिर का निर्माण कर उसमें अपने आराध्य की प्रतिमाओं को पूर्ण विधि विधान से स्थापित करते हैं। तो उन प्रतिमामों में वह आराध्य देवी देवता सदा के लिए प्राण-प्रतिष्ठित हो जाते हैं। वह देवी-देवता नमन करने वाले अपने भक्तों के सभी कष्ट करते हैं। उक्त कथन को राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित तनोट (तन्नोट मां) माता के मंदिर ने पूर्ण तौर से सच कर दिखाया है। इस मंदिर पर पाकिस्तान सेना की ओर से गिराए हजारों बमों को माता ने चमक्तारिक ढंग से बेअसर कर दिया।


कहां पर स्थित है तनोट मंदिर
तनोट मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले से लगभग 130 किलोमीटर दूरी पर स्थित हैं। तनोट राय को हिंगलाज माता का ही एक स्वरूप माना जाता है। हिंगलाज माता मौजूदा समय में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थापित है। भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने विक्रमी संवत 828 में तनोट माता का मंदिर बनवाकर मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठित किया था। यह मंदिर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है। साल में दो बार नवरात्र के दौरान तनोट राय माता मंदिर में मेला लगता है। सुबह शाम मंदिर में विधि पूर्वक आरती होती है।


तनोट माता मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि मामड़िया नाम का एक चारण था। जिनकी कोई संतान नहीं थी। उसने संतान प्राप्ति के लिए लगभग सात बार हिंगलाज माता की पैदल यात्रा की। एक रात माता ने चारण को स्वप्न में आकर पूछा कि वत्स, तुम्हें बेटा चाहिए या बेटी। तो चारण ने कहा कि माता आप ही मेरे घर पर जन्म ले लो। हिंगलाज माता की कृपा से उस चारण के घर पर सात पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया। इनमें से एक है तनोट माता जी। जिनको आवड़ माँ के नाम से भी जाना जाता है।

पाक ने यहां गिराए थे तीन हजार बम
वर्ष 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान पाक सेना ने यहां पर करीब तीन हजार बम गिराए थे परंतु माता की कृपा से इस मंदिर के आसपास गिरा कोई भी बम नहीं फटा। इनमें से अधिकांश अपना लक्ष्य चूक गए। इतना ही नहीं पाक सेना द्वारा मंदिर को निशाना बनाकर भी करीब 450 गोले बरसाये थे। माता के चमत्कार से एक भी बम और गोला नहीं फटा। मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं हुआ। मंदिर की इमारत भी जस की तस रही। तभी से तनोट माता जी भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हो गई। सेना के जवान ही मंदिर की देखरेख करते हैं।

 

मंदिर प्रांगण में प्रदर्शित हैं पाक बम
तनोट माता मंदिर परिसर में आज भी करीब 450 पाकिस्तानी बम आम लोगों के देखने के लिए प्रदर्शित किए हुए हैं। यह वही बम हैं, जो मंदिर पर गिरने के बाद भी फटे नहीं थे। वैज्ञानिक भी आज तक इस रहस्य का पता नहीं कर सके कि आखिर यहां पर बम क्यों नहीं फटे। भारतीय सेना और यहां के लोग इसे देवी माता का ही चमत्कार मानते हैं। सेना की ओर से यहां भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद में एक विजय स्तंभ का निर्माण भी किया गया है। इस मंदिर की सफाई से लेकर पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं के लिये सुविधाएं जुटाना भी बीएसएफके जवान ही संभालते हैं।

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मंदिर के दर्शन के लिए दिखाना पड़ता है पहचान पत्र
भारत पाक सीमा होने के कारण यह इलाका बहुत ही संवेदनशील है। यहां पर सीमा सुरक्षा बल आने-जाने वाले सभी श्रद्धालुओं पर कड़ी नजर रखती है। यहां होने वाली जांच में परेशानियों से बचने के लिए परिचय पत्र पास होना आवश्यक किया गया है। दोनों ही सेनाओं के लिये तनोट माता मंदिर एक महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है। सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में माता के दर्शन करने वालों में विदेशी पर्यटक बमों के न फटने के रहस्य को पास से देखने की जिज्ञासा लिए आते हैं।

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मंदिर तक जाने का रास्ता
तनोट माता के दर्शनों के लिए सबसे पहले राजस्थान के जैसलमेर पहुंचना होगा। जैसलमेर से प्राइवेट कार, राजस्थान रोडवेज की बस आदि आसानी से मिल जाते है | जैसलमेर से करीब 130 किमी दूरी पर यह मंदिर स्थित है। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए यहां पर्याप्त व्यवस्था भी है। यहां विश्राम गृह बना हुआ है|

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-वंदना

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