पंच तत्वों में हुई गड़बड़ी तो समझो बजी खतरे की घंटी

जानिए क्या है मानव शरीर में पंच तत्वों का महत्व

पंच तत्वों में हुआ परिवर्तन तो समझो बीमारी ने दी दस्तक ?

हमारा यह भौतिक शरीर मूल रूप से पांच तत्वों से मिलकर बना है। इसमें मुख्य रूप से धरती, जल, वायु, अग्नि व आकाश का सुमेल है। यह सभी तत्व सात चक्रों में विभाजित हैं। इन पांच तत्वों व सात चक्रों का संतुलन ही मानव शरीर को निरोग रखता है। पंच तत्वों का संतुलन बिगड़ने से कई प्रकार के रोग शरीर को घेर लेते हैं।

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पंच तत्व और मानव शरीर का आपसी संबंध

पृथ्वी अथवा मिट्टी मानव शरीर के सख्त व भारी हिस्सों जैसे हड्डियों,  मांस, दांतों इत्यादि का निर्माण करती है। जल का संबंध शरीर के तरल, ठंडे व नर्म हिस्सों से है जैसे खून, मूत्र, वसा व मांसपेशियां इत्यादि। अग्नि शरीर की गर्म व तेज़ प्रकृति से जुड़ी है तापमान, रंग, नज़र आदि। वायु सूखी व हलकी प्रकृति के तत्वों का निर्माण करती है। वायु शरीर के संचालन व गतियों,  श्वास प्रणाली, आंखों का खुलना-बंद होना इत्यादि से जुड़ी है। आकाश तत्व अपनी प्रकृति के अनुसार अंगों को अलग कर उनके बीच खाली तत्वों का निर्माण करता है। वायु तत्व की मात्रा कम हो जाने या बढ़ने पर गठिया, दर्द, लकवा व अकड़न इत्यादि विकार पैदा हो जाते हैं। अग्नि तत्व में गड़बड़ी होने पर दस्त, हैजा व खून संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं। जल तत्व का संतुलन बिगड़ने से सर्दी-जुकाम,खांसी व बार-बार पेशाब का आना जैसे विकार पैदा होने का खतरा बना रहता है। पृथ्वी तत्व बढ़ने से रसौली , जिगर, तिल्ली व मोटापा इत्यादि समस्याएं पैदा हो जाती हैं। आकाश तत्व में अगर विकार पैदा हो जाए तो पागलपन, घबराहट, बेहोशी, गूंगापन व बहरापन आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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बाहरी पंच तत्वों का मानव के भीतरी पंच तत्वों से संबंध

पृथ्वी अर्थात् मिट्टी: अकसर हम लोग अपने बच्चों को मिट्टी में खेलने से मना करते हैं।लेकिन बैक्टीरिया रहित मिट्टी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। मिट्टी का लेप मांसपेशियों का तनाव कम करने के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कील मुहांसों को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है। पेट के रोगों व खून में सुधार करने तथा दर्द व सूजन को कम करने के लिए मिट्टी का लेप किया जाता हैं। घर में छोटा सा बगीचा बनाना , पौधे लगाना सेहत के लिए लाभदायक सिद्ध होता है।

जल: शरीर की प्रत्येक प्रणाली जल से जुड़ी है। जल नाक, कान गले को नमी प्रदान करता है। जल ही शरीर के ज़हरीले तत्वों को बाहर निकालता है। जहां जल अर्थात् पानी का सेवन शरीर के लिए लाभदायक होता है वहीं इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान भी हो सकता है। अलग-अलग तापमान पर किया गया पानी का प्रयोग शरीर को अलग-अलग फायदे पहुंचाता है। गर्म पानी मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है वहीं गुनगुने पानी में शरीर को डुबो कर रखने से तनाव दूर होता है। ठंडे पानी की पट्टियां बुखार में लाभदायक सिद्ध होती हैं।

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अग्नि: शरीर में अग्नि की तत्व की मात्रा कम होने से पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है और दिल संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दियों के मौसम में हल्की धूप में बैठना फायदेमंद रहता है इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, कोलेस्ट्रोल का स्तर सही रहता है और हड्डियां मज़बूत होती हैं। त्वचा रोगों, किडनी की समस्याओं, बालों व दांतों के लिए धूप में बैठना लाभदायक होता है। इसके उल्ट गर्मी के मौसम में शरीर में अग्नि की मात्रा बढ़ जाती है इस लिए ज्यादा देर तक धूप में बैठने से डीहाइडेशन हो सकती है। गर्भावस्था में डाक्टर की सलाह से धूप में बैठने से कमर दर्द, थकान दूर होती है।

वायु: वायु हमारे शरीर के लिए प्राण तत्व है। वायु यानि आक्सीजन की सही मात्रा ना मिलने से श्वास प्रणाली ठीक ढंग से काम नहीं करेगी जिससे भोजन पचने में समस्या हो सकती है। फेफड़ों के लिए योगा करना व गहरी सांस लेना लाभदायक रहता है।

आकाश : आकाश अर्थात शून्य तत्व शरीर का संतुलन बनाने के लिए बेहद जरूरी है। शरीर व दिमाग को खाली छोड़ने से लाभ मिलता है क्योंकि आज प्रत्येक मानव के जीवन में भाग दौड़ इतनी बढ़ गई है कि खुद के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया है। ध्यान लगाने से तन व मन शांत हो जाता है और तनाव व चिंता से मुक्ति मिलती है। ध्यान लगाने से कई आसाध्य रोगों जैसे ब्लड प्रेशर, दिल के रोगों व अनिद्रा से मुक्ति मिलती है।

धर्मेन्द्र संधू

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