एक सदी में भी नहीं वापिस  हो पाएगी स्टेच्यू आफ यूनिटी पर खर्ची राशि

-स्टेच्यू आफ यूनिटी पर चीन के स्प्रिंग टैंपल में बने स्टेच्यू आफ बुद्धा से 10 गुणा अधिक राशि हुई खर्च
गुजरात में 2900 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि से निर्मित सरदार पटेल की  विश्व की सबसे उंची प्रतिमा कई कारणों से निरंतर चर्चा में बनी हुई है। प्रतिमा के पूर्ण तौर से स्वदेशी न होने का विवाद अभी थमा नहीं था कि प्रतिमा पर जनता के के टैक्स के तौर पर सरकारी खजाने में जमा 2900 करोड़ रुपय़े की राशि की वापिसी पर भी विवाद खड़ा हो गया है। माहिरों के अनुसार स्टेच्यू आफ यूनिटी  पर खर्च हुई राशि की वापिसी एक सदी में यानि कि 100 साल में भी संभव नहीं होने वाली है। सबसे खास बात यह भी है कि  स्टेच्यू आफ यूनिटी  पर करीब 15 साल पहले चीन में स्प्रिंग टैंपल में निर्मित की गई भगवान बुद्धा की 128 मीटर उंची प्रतिमा की तुलना में 10 गुणा अधिक राशि खर्च की गई है।
भारत में पुरात्तव विभाग के सर्वे अनुसार देश भर में 3600 एतिहासिक छोटी बड़ी पुरातन इमारतें हैं। सबसे खास बात यह है कि  इनमें से केवल 116 प्रमुख इमारतों का अवलोकन करने के लिए टिकट लिए जाने का प्रावधान है। आगरा स्थित ताजमहल देश की उन प्रमुख इमारतों में से एक है। जिसके दर्शन करने के लिए विश्व भर के पर्यटक सारा साल आते रहते हैं। ताजमहल विश्व के सात अजूबों में से एक भी है। केवल ताजमहल ही एक अनूठी पुरातन इमारत है। जिसे हर साल ताजमहल देखने वालों की संख्या आठ मिलियन है। इनसे सरकार को हर साल 25 करोड़ रुपये की आमदनी होती है। अन्य किसी भी पुरातन इमारत के अवलोकन से इतनी आय नहीं होती है।
अब यदि स्टेच्यू आफ यूनिटी की बात की जाए, तो इस प्रतिमा के निर्माण पर 2900 करोड़ रुपये की राशि खर्च आई है। यदि इस प्रतिमा को देखने वालों की संख्या ताजमहल देखने वालों के अनुसार हर साल आठ मिलियन हो तो सरकार को 25 करोड़ रुपये की आय ही होगी। अब सरकार को जनता के टैक्स के तौर पर वसूले 2900 करोड़ रुपये को सरकारी खजाने में वापिस लाने के लिए 120 साल यानिकि एक सदी से अधिक समय तक का इंतजार करना पड़ेगा। जबकि इस प्रतिमा में एेसा क्या है, जिसे इतने लोग देखने पहुंचेंगे। इस सवाल का जवाब किसी के पास भी नहीं होगा। अब चीन स्थित स्प्रिंग टैंपल में भगवान बुद्धा की 128 मीटर उंची प्रतिमा विश्व की दूसरी सबसे उंची प्रतिमा है। बावजूद इसके चीन में आने वाले पर्यटक सबसे पहले चीन की दीवार देखते हैं। भगवान बुद्ध की उक्त प्रतिमा चीन की टॉप 10 पुरातत्व इमारतों में भी शामिल नहीं है।
बहुत कम लोग जानते है कि स्टेच्यू आफ यूनिटी  प्रतिमा के निर्माण से पहले चीन स्थित स्प्रिंग टैंपल में भगवान बुद्धा की 128 मीटर उंची प्रतिमा का निर्माण करीब 15 साल पहले किया गया थ। जिसे विश्व की सबसे उंची प्रतिमा होने का दर्जा मिला हुआ था। इस प्रतिमा के निर्माण पर कुल 55 मिलियन डॉलर की राशि खर्च हुई थी। जबकि प्रतिमा के निर्माण पर करीब 18 मिलियन डॉलर की राशि खर्च हुई। वहीं अब भारत में  स्टेच्यू आफ यूनिटी  की प्रतिमा 182 मीटर उंची बनाई गई। केवल इस प्रतिमा के निर्माण पर 180 मिलियन डॉलर की राशि खर्च आई है। यानि कि महज 15 साल बाद निर्मित की गई प्रतिमा पर 10 गुणा अधिक राशि का खर्च आया है। जो कई सवालों के जवाब मांग रहा है।

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