अयोध्या के ही नहीं बल्कि यहां के राजा भी हैं श्री राम

धर्मेन्द्र संधू

सभी जानते हैं कि भगवान राम अयोध्या के राजा थे, लेकिन अयोध्या के अलावा भी भारत में एक ऐसा स्थान है जहां आज भी भगवान राम का राज्य चलता है। इतना ही नहीं इस स्थान पर भगवान राम को एक महारानी के आग्रह पर आना पड़ा था। लेकिन यहां आने के लिए भगवान राम ने कुछ शर्तें भी रखी थीं। इस स्थान पर भगवान राम को समर्पित मंदिर भी बना हुआ है।

इसे भी देखें…इस मंदिर में होती है विशेष पूजा… राहु-केतु का प्रभाव होता है खत्म

यहां चलता है भगवान राम का राज्य

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के ओरछा में आज भी भगवान राम का राज्य चलता है। इस स्थान पर श्री राम की पूजा भगवान के रूप में नहीं की जाती बल्कि एक राजा के तौर पर की जाती है। आज भी पुलिस के जवानों द्वारा भगवान राम को सलामी दी जाती है। बुंदेला स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना यह मंदिर सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर में राम परिवार की भव्य मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मान्यता है कि भगवान राम हर रोज यहां आते हैं लेकिन किसी को दिखाई नहीं देते।

मंदिर का इतिहास

संवत 1600 में ओरछा में बुंदेला शासक महाराजा मधुकरशाह का राज्य था। महाराजा की पत्नी गणेशकुंवरि भगवान राम की भक्त थी। महारानी की प्रार्थना पर ही भगवान राम ओरछा में आए थे। राजा की पत्नी द्वारा खुद राजा राम की मूर्ति को अयोध्या से ओरछा लाया गया था। मान्यता है कि एक बार महाराजा ने रानी को वृंदावन चलने के लिए कहा लेकिन रानी ने जाने से मना कर दिया। इस पर राजा को गुस्सा आया और राजा ने रानी को यह कह दिया कि अगर तुम इतनी ही राम भक्त हो तो राम को ओरछा में ही ले आओ।

इसे भी देखें…देश के सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी है यह प्राचीन मंदिर

रानी ने की थी तपस्या

राजा द्वारा भगवान राम को ओरछा लाने की कही गई बात के बाद रानी ने सरयू नदी के तट पर अपना डेरा जमा लिया और वहीं पर कुटिया डालकर भगवान राम की आराधना करने लगी। कई महीनों की कठोर तपस्या के बाद भी भगवान राम के दर्शन न होने पर प्राण त्यागने की इच्छा से रानी ने नदी में छलांग लगा दी। इसके बाद नदी में ही भगवान राम ने रानी को दर्शन दिए। श्री राम के दर्शन होने पर रानी ने उनसे ओरछा चलने के लिए प्रार्थना की। इस पर भगवान राम ने एक शर्त रखी कि वह तभी ओरछा चलेंगे जब वहां राजसी शासन की समाप्ति होगी और राम राज होगा। श्री राम ने एक अन्य शर्त भी रखी थी कि वह ओरछा पहुंचकर एक बार जहां बैठ जाएंगे फिर वहां से उठेंगे नहीं। उसके बाद से आज तक श्री राम को ओरछा का राजा मानते हुए उनकी पूजा की जाती है।

मंदिर बनने से पहले ही हो गई थी मूर्ति स्थापित

मान्यता है कि रानी ने भगवान राम की मूर्ति को महल में ही रख दिया था। इसके बाद मंदिर का निर्माण करवाया गया। लेकिन श्री राम की मूर्ति महल में ही स्थापित हो चुकी थी। मंदिर बनने के बाद मूर्ति को उठाने के लिए कोशिश की गई, लेकिन कोई भी कोशिश सफल नहीं हुई। थक हारकर महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया। और साथ ही इस स्थान का नामकरण भी कर दिया गया। इसे राम राजा मंदिर के नाम से जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम रात को अयोध्या में विश्राम करते हैं और अपना दिन ओरछा में व्यतीत करते हैं।

इसे भी देखें…यहां हनुमानजी की नाभि से निकलता है चमत्कारी जल … पीने से होता है रोगों का इलाज

भगवान राम को आज भी सलामी देते हैं पुलिस के जवान

भगवान राम को राजा मानते हुए आज भी सूर्य निकलने से पहले व सूर्यास्त के बाद पुलिस के जवानों द्वारा सलामी देने की परंपरा जारी है। इसके अलावा भी पांच पहर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। गार्ड ऑफ ऑनर यानि सलामी देने की परम्परा लगभग 400 साल से चली आ रही है। भगवान राम के मंदिर में कमर पर बेल्ट लगाने की मनाही है। राजा राम के दरबार में सिपाहियों के अलावा और किसी का भी कमर को कस कर जाना मना है। यहां केवल सिपाही ही कमरबंद बांधते हैं।

LEAVE A REPLY