अगर आप भी हैं पालतू जानवर रखने के शौकीन तो….

धर्मेन्द्र संधू

विश्व भर में कोरोना वायरस ने कई लोगों की जानें ली है और साथ ही छोड़ दिए हैं मानव समाज के सामने कई प्रश्न। आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से इस तरह की महामारी फैली ? कहां से आया यह वायरस ? और कैसे प्रवेश कर गया मानव शरीर में ? विश्व भर में इसकी वजह से अनेक अध्ययन हुए व हो रहे हैं। किसी ने कहा कि कोरोना बायोजैविक हमले के लिए चाइना ने बनाया था तो किसी ने दावा किया कि कोरोना वायरस चमगादड़ से फैला था। अगर यह संभव है कि जानवरों से इंसान को इस तरह के रोग हो सकते हैं, जो महामारी का रूप ले लें, तो संभव है कि पालतू जानवरों से भी कुछ रोग इंसान को लग सकते हैं। किस पालतू जानवर से किस तरह के रोग पैदा होते हैं, आज इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

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मानव प्रकृति ही ऐसी है जो चीज है इसे पसंद आ जाती है, वह उसे अपने पास रखना ही चाहता है। फिर वह चाहे जीवित हो या फिर निर्जीव। इंसान हमेशा से ही पशुओं को पालता आया है। कुछ को शौक के लिए और कुछ को व्यवसाय के लिए। किंतु पालतू पशु आपके व आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

पालतू जानवरों से फैलने वाले रोग

पालतू जानवरों से फैलने वाले ऐसे रोग हैं जो जानलेवा भी हो सकते हैं। गाय से फैलने वाला रोग मैड काऊ और चूहे, कुत्ते, सूअर से फैलने वाला लेप्टोस्पाइरेसिस ऐसे ही जानलेवा रोग हैं जिनसे बचाव के लिए लोगों में जागरूकता का होना जरूरी है।

क्या है मैड काऊ रोग ?

यह बीमारी पशुओं में सूक्ष्मजीवों के कारण होती है। इस बीमारी में पशुओं का दिमाग प्रभावित होता है। इस इंफेक्शन से दिमाग में छोटे-छोटे छेद होने लगते हैं जिससे दिमाग धीरे-धीरे खराब होने लगता है और इसके बाद अन्य समस्याएं पैदा होती हैं।

यह रोग कैसे फैलता है ?

अगर कोई व्यक्ति इस रोग से संक्रमित पशु के उस प्रभावित उत्तक को खा ले तो उससे भी यह रोग हो जाता है।

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मैड काऊ डिजीज के लक्षण

यह किसी भी उम्र या लिंग के व्यक्ति को हो सकती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को तंत्रिकाओं से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं । जैसे डिप्रेशन और शरीर के अंगों में तालमेल बिठाने में दिक्कत आने लगती है। समस्या के बढ़ने पर व्यक्ति को डिमेंशिया भी हो सकता है।

मैड काऊ डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है ?

इस रोग का पता लगाने के लिए डॉक्टर ईसीजी, एम.आर.आई या दिमाग व रीढ़ की हड्डी में मौजूद द्रव की जांच करते हैं। इस बीमारी का कोई निश्चित इलाज नहीं है परंतु यदि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को दौरे पड़ने लग जाते हैं तो उन्हें नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।

लेप्टोस्पाइरेसिस डिजीज क्या है ?

यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो जानवरों से फैलता है। इस संक्रामक बीमारी के ज्यादातर लक्षण कुत्ते, चूहे, गिलहरी, भैंस, घोड़े, भेड़, बकरी और सूअर में पाए जाते हैं। यह रोग इन जानवरों के पेशाब से संक्रमण रूप में फैलता है।

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रोग के लक्षण

तेज बुखार, सिर दर्द होना, उल्टी आना, पिंडली की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना, आंखों में जलन और लाल हो जाना, त्वचा का लाल होना इत्यादि इसके लक्षण है।

बचाव के तरीके

आमतौर पर यह रोग गंदे पानी के कारण फैलता है। बचाव के लिए गंदे पानी व जानवरों से दूर रहें। गंदे शौचालय का इस्तेमाल करने से बचें और साफ-सफाई का ध्यान रखें। वैसे तो इस बीमारी के कई उपचार हैं लेकिन ज्यादा स्थिति खराब होने पर इंसान की जान भी जा सकती है।

जानवरों से फैलने वाले अन्य रोग

रिंगवॉर्म

यह रोग छूने से फैलता है। यह वायरस महीनों तक रह सकता है। इससे फंगल इंफेक्शन की समस्या हो जाती है। रिंगवार्म होने पर त्वचा पर छोटे-बड़े गोल चकते हो जाते हैं जिनमें से कई बार पानी निकलता है और बहुत ज्यादा खुजली होती है।

रेबीज़

यह रोग कुत्ते, बिल्ली व बंदर के काटने से फैलता है। इस रोग का पालतू जानवरों से फैलने का खतरा कम होता है लेकिन अगर आपकी चमड़ी में कोई कट लगा है और उस पर जानवर की लार लग जाए तो यह रोग आपको लग सकता है। यह रोग व्यक्ति के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है जिससे वह पागल हो सकता है। इसके अलावा बिल्लियों व कुत्तों से फैलने वाला बैक्टीरियल रोग बार्टोनेला है। साथ ही कुछ अन्य रोग हैं जो जानवरों के संपर्क में आने से फैलते हैं। साफ-सफाई, सावधानी और सतर्कता से ही इन रोगों से बचा जा सकता है।

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