धर्मेन्द्र संधू
आधुनिक जीवन शैली के कारण जीवन में कई बदलाव आए हैं। प्लास्टिक आज की जरूरत और एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। आजकल लोगों का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि उनके पास विचार करने के लिए वक्त ही नहीं है लेकिन अगर आज भी रुककर विचार नहीं किया गया तो यह प्लास्टिक मानव समाज के लिए एक भयानक संकट का रूप धारण कर सकती है।
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प्लास्टिक का जन्म
प्लास्टिक के आविष्कार का श्रेय ब्रिटेन के वैज्ञानिक एलेग्जेंडर पाक्र्स को जाता है। उन्होंने इसे नाइट्रोसैलूलोज कहा, जिसे उनके सम्मान में पार्कसाइन कहा जाने लगा। पाक्र्स हाथी दांत का सिंथेटिक विकल्प खोज रहे थे ताकि सजावटी सामान बनाने के लिए हाथी दांत की जगह उस पदार्थ का इस्तेमाल किया जा सके और हाथियों की हत्या को रोका जा सके।
एक बहुत अच्छी नीयत के साथ किया गया प्लास्टिक का निर्माण आज सम्पूर्ण मानव जाति के लिए खतरा बन चुका है।
प्लास्टिक के नुकसान
भले ही प्लास्टिक आज के युग की आवश्यकता बन चुका है लेकिन फिर भी यह मानव जीवन के लिए सबसे अधिक खतरनाक है। इससे होने वाले नुकसान इस प्रकार हैं-
भूमि की उर्वरक क्षमता में कमी
पॉलिथीन के इस्तेमाल के बाद इसे फेंक दिया जाता है। ज्यादातर लोग पॉलिथीन को कूड़ा डालकर फेंकने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं। पॉलिथीन न तो जलाया ही जा सकता है और ना ही यह सड़ता है। जितनी भूमि के नीचे इसकी परत जमती जाती है, वह बंजर बनने लगती है।
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पर्यावरण के लिए हानिकारक
प्लास्टिक बनाने में या इसको दोबारा इस्तेमाल में लाने में और इसको जलाते समय जितनी भी जहरीली गैसें निकलती हैं, वह पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक हैं।
पशुओं के लिए खतरनाक
कुछ लोग खाने-पीने की चीजें प्लास्टिक की थैलियों में डालकर बाहर फेंक देते हैं। पशु खाने की चीजों के साथ इन प्लास्टिक की थैलियों को भी खा जाते हैं, जो उनकी भोजन नली में फंस जाती हैं और कई बार पशुओं की मृत्यु का कारण बनती हैं।
भूमिगत जल स्तर में गिरावट
प्लास्टिक की परत बारिश या अन्य प्रकार के व्यर्थ होने वाले पानी को भूमि के नीचे जाने से रोकती है जिससे भूमि के अंदर बाहरी जल का रिसाव नहीं हो पाता। इसी कारण भूमिगत जल स्तर निरंतर घटता जा रहा है।
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मानव की सेहत के लिए घातक
प्लास्टिक का इस्तेमाल मानव की सेहत के लिए भी घातक है। हम प्लास्टिक के थैलों का प्रयोग खाने-पीने की गर्म चीजों को डालने या पैकिंग के लिए करते हैं। कुछ लोग तो गर्म चाय भी प्लास्टिक की थैलियों में डलवा लेते हैं। इन चीजों को जब हम खाने-पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं तब प्लास्टिक के कुछ तत्व हमारे शरीर में चले जाते हैं जो कैंसर जैसी घातक बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। इसके अलावा समागमों में चाय पीने या भोजन के लिए प्लास्टिक के गिलासों व प्लेटों का चलन है, यह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
कैसे करें बचाव ?
हम लोग अपनी जीवन शैली में थोड़ा बहुत परिवर्तन लाकर प्लास्टिक के घातक परिणामों से बच सकते हैं।
कम करें इस्तेमाल
प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करें । बाजार में खरीददारी करते समय चीजों को डालने के लिए कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करें। राशन की दुकानों से राशन लाने के लिए हाथ से बने हुए कपड़े के थैलों का प्रयोग काफी बेहतर हो सकता है।
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खराब प्लास्टिक से नई चीजों का निर्माण
जो प्लास्टिक की चीजें इस्तेमाल योग्य ना रह गई हों, उन्हें रीसाइकिल करके कुछ नईं चीजों का निर्माण करके भी इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है जैसे कि रा प्लास्टिक से दोबारा प्लास्टिक की कुर्सियों का निर्माण, सड़कों के निर्माण में भी आजकल प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां तक कि जर्मन की सरकार प्लास्टिक को ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर बिजली बना रही है।
हम लोग छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए या आलस के चलते प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम नहीं कर रहे हैं लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि यह खतरा सिर्फ दूसरों के लिए नहीं है बल्कि हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए भी है। देश का जिम्मेदार नागरिक बनें और प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करके अपने पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने में मदद करें।
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