राज्य के आढ़तियों के साथ वर्चुअल मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं।’’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी और किसानों को आढ़तियों के द्वारा अदायगी करने की स्थापित प्रणाली को तबाह करने के लिए केंद्र सरकार के कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी।
उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब में आढ़तिये खरीद प्रणाली का अटूट हिस्सा बने रहेंगे। मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित विभाग को आढ़तियों के राज्य सरकार की तरफ बकाया 131 करोड़ रुपए जारी करने के आदेश दिए
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने डी.बी.टी. के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने के लिए समय माँगा है जो शायद अलग-अलग राज्यों में चुनाव मुहिम में व्यस्त हुए हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि चाहे वह यह नहीं सोचते कि प्रधानमंत्री उनको मिलने के लिए समय देंगे परन्तु वह और उनकी सरकार केंद्र सरकार को पत्र लिखने और उनके दरवाजे खड़काना जारी रखेगी।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आढ़तियों को बताया कि उन्होंने 19 मार्च को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी निजी तौर पर बातचीत की थी और केंद्रीय मंत्री ने उनको इस मसले पर मदद का भरोसा दिया था। उन्होंने खुलासा किया कि राज्य के खाद्य, सिविल सप्लाईज और उपभोक्ता मामलों संबंधी मंत्री भरत भूषण आशु ने इस मुद्दे को लेकर अमित शाह के साथ मुलाकात की थी।
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मीटिंग के दौरान फेडरेशन आफ आढ़तिया एसोसिएशन आफ पंजाब ने हरियाणा पर दोष लगाया कि केंद्र सरकार की डी.बी.टी. के प्रस्ताव को स्वीकृत करके उनके साथ धोखा किया गया। उन्होंने पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री एम.एल. खट्टर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक सिक्के के दो पासे बताया। उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को कहा, ‘‘परन्तु हम आपके पर भरोसा करते हैं।’’
आढ़तियों के लिए अपनी तरफ से बेहतर करने का वायदा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में किसानों की आढ़तियों के साथ काफी देर की सांझ और परख की घड़ी पर खरा उतरा रिश्ता है। उन्होंने राज्य में आढ़तियों को कामयाब खरीद प्रणाली के लिए रीढ़ की हड्डी बताया।
मीटिंग के बाद एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने आढ़तियों के साथ उनके सरोकार विचारे और भरोसा दिया कि राज्य सरकार इस मसले के हल के लिए सभी संभव रास्ते तलाशेगी और इस सम्बन्धी भारत सरकार के पास भी पहुँच करेगी।
आढ़तियों की तरफ से अदायगी पर मौजूदा व्यवस्था कायम रखने के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम से सभी बकाए के निपटारे की माँग की जा रही है। उनकी तरफ से मंडियों में लाई जाने वाली किसानों की उपज को जमीनी रिकार्ड के साथ जोड़ने का भी विरोध किया जा रहा है। फेडरेशन के प्रधान विजय कालड़ा के नेतृत्व में आढ़तियों ने कहा कि मौजूदा ए.पी.एम.सी. एक्ट या नियमों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो इसको जमीनी रिकार्ड के साथ जोड़ने या किसानों से ऐसा डाटा मांगती हो। यदि इसको लागू भी किया जाना है तो इस सूरत में भी ए.पी.एम.सी. के नियमों में संशोधन करना होगा।
-NAV GILL