चंडीगढ़, 27 अप्रैल: गर्मी के मौसम की शुरुआत के चलते एयर कंडीशनरों के प्रयोग सम्बन्धी शंकाओं को दूर करते हुये स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड -19 के दौरान स्वास्थ्य संस्थाओं और रिहायशी /व्यापारिक स्थानों में ए.सी. (एयर कंडीशनरों) के प्रयोग सम्बन्धी विस्तृत दिशा -निर्देश जारी किये गए हैं।
हल्दी, गिलोय और लहसुन के आगे आखिर हार ही गया चीन का राक्षस…
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि क्योंकि एयर कंडीशनर एक कमरे के बीच की हवा को घुमा कर (री-सर्कुलेट) दोबारा ठंडा करने के नियम पर काम करता है, इसलिए मौजूदा कोविड -19 की स्थिति में कुछ चिंताजनक शंकाऐं सामने आ रही हैं कि एयर कंडीशनर की बड़े स्थानों जैसे कि मॉल, दफ़्तर, अस्पताल, स्वास्थ्य केन्द्रों आदि में प्रयोग के साथ लोगों को ख़तरा हो सकता है।
कैंसर से बचाव करती है यह साधारण सी सब्ज़ी
संक्रमण के फैलने की संभावना स्वास्थ्य संस्थाओं खासकर कोविड -19 वार्डों या आइसोलेशन सेंटरों में और ज्यादा होती है और इसलिए यह सिफ़ारिश की गई है कि इन क्षेत्रों में बाकी सभी अस्पताल या बिल्डिंग की अपेक्षा एयर कंडीशनिंग सिस्टम अलग हो जिससे संभावित संक्रमित हवा या छींटों को फैलने से रोका जा सके।
जोड़ों के दर्द से लेकर पुराने रोगों को दूर करता है यह तेल
कुछ स्थानों पर जहाँ अलग एयर कंडीशनिंग नहीं की जा सकती, वहाँ इक_ी हुई बाहर जाने वाली हवा (एग्जास्ट एयर) में संक्रमित रोगाणु होने की संभावना रहती है और इसलिए उपयुक्त तकनीक का प्रयोग करके संक्रमण को फैलने के खतरे से बचाव किया जा सकता है। कोविड -19 के प्रभावित मरीज़ के कमरे की एग्जास्ट हवा का ट्रीटमेंट, हैपा -फिलटरेशन या केमिकल डिसइनफैकशन के साथ किया जा सकता है, हवा की बबलिंग करने के लिए ग़ैर धातु मैटीरियल वाले डिफ्यूजड़ एयर एरीएटर टैंक का इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें 1 प्रतिशत सोडियम हाईपोकलोराईट सोल्यूशन का प्रयोग किया जाये।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि यह सिफ़ारिश की जाती है कि एकांतवास केंद्र हवादार होने चाहिएं और नेगेटिव या न्युट्रल प्रेशर पर मेंटेन होने चाहिएं। जब मैकैनिकल वैंटीलेशन का प्रयोग किया जाये तो एक बार प्रयोग वाला (नॉन -रीसरकुलेटरी सिस्टम) होना चाहिए, जोकि साफ़ से गंदी (मरीज़ों की तरफ साफ़ और एग्जास्ट की तरफ गंदी) हवा ले जाने के बहाव के तरीके के अनुसार काम में लाया जाये।
इकाईयों का बचाव (मेनटेनेंस) मैनूफैकचरर के दिशा निर्देशों की पालना करते हुए किया जाये। जिसमें फि़ल्टर, ग्रीलें, डिफ्यूजरज़ और अन्दरूनी सतेहों को डिसइनफेकट और साफ़ किया जाये।
व्यापारिक और औद्योगिक स्थानों के लिए यह सिफारिश की जाती है कि कोविड -19 के खतरे के हवा में फैलाव को कम से -कम रखने के लिए ज़रूरी है कि अंदरूनी वातावरण में अधिक से अधिक बाहरी हवा आनी चाहिए।
सिफऱ् खिड़कियाँ खोलने के स्थानों पर यदि वैंटीलेशन वाला मैकैनिकल वैंटीलेशन सिस्टमज़ और एयर कंडीशनिंग सिस्टमज़ हो तो ज़्यादा बेहतर तरीके से बाहरी हवा को फि़ल्टर करके अंदरूनी हवा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
यदि ताज़ी हवा उपलब्ध न हो रही हो तो यह सिफारिश की जाती है कि ताज़ी हवा के लिए सैंट्रल इनलाईन फेन फि़ल्टर यूनिट के साथ एक एयर डकट (हवा वाली पाईप) जोड़ दी जाये और यदि मल्टीपल कैसेट या मल्टीपल हाई बाल यूनिट हो तो ताज़ी हवा को ग्रीलों के द्वारा अंदरूनी क्षेत्र में या उसके नज़दीक पहुँचाया जा सकता है।
ताज़ी हवा की कम से -कम मात्रा 3 क्यूबिक मीटर /घंटा प्रति व्यक्ति और 3.75 क्यूबिक मीटर /घंटा प्रति सकेयर मीटर (5 सीएफएम प्रति व्यक्ति और 0.6 सीएफएम प्रति सकेयर फुट) की सिफारिश की जाती है।
जिन इमारतों में मैकैनिकल वैंटीलेशन सिस्टम नहीं है, उनमें खुलने वाली खिड़कियों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। यह सिफारिश की जाती है कि री-सर्कुलेट सिस्टम के मामलों में रिटरन एयर सर्कुलेशन को सीमित किया जाये। इस रिटरन एयर सिस्टम को एग्जास्ट सिस्टम में बदला जा सकता है।
रिहायशी स्थानों के लिए यह सलाह दी जाती है कि कमरे का तापमन 24 से 27 डिग्री सैल्सियस पर सैट किया जाये और नमी (ह्यूमीडिटी) को 40 से 70 प्रतिशत में रखा जाये। एयर कंडीशनर की समय -समय पर सर्विस करवाई जाये जिससे फि़ल्टर साफ़ रहे।
ज़्यादा लोगों वाले कमरे में हवा बाहर निकालने वाला पंखा (ऐगज़ास्टफैन) लगाया जा सकता है, जिससे कमरे में नेगेटिव प्रेशर बने और ताज़ी हवा का चलन रहे। कमरे में घूम रही हवा को समय -समय पर बाहर निकाला जाये।